Tuesday, August 4, 2015

RAO CHANDRASEN RATHORE

राव चन्द्रसेन राठौड़

Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास


मित्रों भारत भूमि क्षत्रिय वीरो की शौर्य गाथाओं से भरी पड़ी है। आज हम आपको उस वीर यौद्धा की गाथा सुनाएँगे,जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं पर महाराणा प्रताप की तरह उन्होंने भी कभी मुगलों के आगे अपना सर नही झुकाया।हालाँकि इतिहासकारों ने उनके संघर्ष और स्वाभिमान को महत्व नही दिया।
उस वीर यौद्धा का नाम है राव चन्द्रसेन राठौड़।
राव चन्द्रसेन मारवाड़ के राजा मालदेव के पुत्र थे। ये महाराणा प्रताप के समकालीन थे। इनकी योग्यता को देखकर मालदेव ने छोटा होने के बावजूद इन्हें ही अपना उतराधिकारी नियुक्त किया।
इससे उनके भाई रामसिंह और उदयसिंह उनसे रुष्ट हो गये और अकबर से मिल गये।
अकबर ने इन्हें अपने अधीन करने के लिए कई बार सेना भेजी। पर इस वीर ने कभी भी अपना सर अकबर के आगे नही झुकाया।
ज्यादा दबाव पड़ने पर चन्द्रसेन ने जोधपुर छोडकर सिवाना में डेरा जमा लिया।और अकबर के खिलाफ युद्ध की तैय्यारी शुरू कर दी।
अकबर ने फुट डालों और राज करो कि नीति के तहत उनके भाई उदयसिंह को जोधपुर का राजा घोषित कर दिया।और हुसैनकुली को सेना लेकर सिवाना पर हमला करने के लिए भेजा,पर उस सेना को चन्द्रसेन के सहयोगी रावल सुखराज और पताई राठौड़ ने जबर्दस्त मात दी।
दो वर्ष लगातार युद्ध होता रहा,थक हारकर अकबर ने कई बार चन्द्रसेन को दोबारा जोधपुर वापस देने और अपने अधीन बड़ा मनसबदार बनाने का प्रलोभन दिया। पर स्वंतन्त्रता प्रेमी चन्द्रसेन को यह स्वीकार नही था।
तंग आकर अकबर ने आगरा से जलाल खां के नेत्रत्व में तीसरी बड़ी सेना भेजी,पर राव चन्द्रसेन के वीरो ने जलालखां को मार गिराया।
इसके बाद अकबर ने चौथी सेना शाहबाज खां के नेत्रत्व में भेजी,जिसने 1576 ईस्वी में बड़ी लड़ाई के बाद सिवाना पर कब्जा कर लिया,और राव चन्द्रसेन पहाड़ों में चले गये।
पुन शक्ति जुटाकर 1579 ईस्वी में राव चन्द्रसेन ने पहाड़ों से निकलकर मुगलों को खदेड़ दिया।पर दुर्भाग्य से इसके कुछ ही समय बाद संन 1580 ईस्वी में सचियाव गाँव में राव चन्द्रसेन राठौड़ का निधन हो गया।
डिंगल काव्य में राव चन्द्रसेन राठौड़ को इस तरह
श्रद्धान्ज्ली दी गयी------
""'अणदगिया तुरी उजला असमर।
चाकर रहण न डिगिया चीत।
सारै हिन्दुस्थान तणा सिर।
पातल नै चन्द्रसेन प्रवीत।।""
अर्थात----जिसके घोड़ो को कभी शाही दाग नही लगा,जो सदा उज्ज्वल रहे,शाही चाकरी के लिए जिनका चित्त नही डिगा, ऐसे सारे भारत के शीर्ष थे राणा प्रताप और राव चन्द्रसेन राठौड़।
राव चन्द्रसेन राठौड़ को हमारी और से हार्दिक श्रधान्जली।



सोर्स---
1-राजस्थान में राठौड़ साम्राज्य भूर सिंह
2-डा0 ए0 एल0 श्रीवास्तव
3-राजेन्द्र सिंह राठौड़ बीदासर

4-http://rajputanasoch-kshatriyaitihas.blogspot.in/2015/08/rao-chandrasen-rathore.html
सलग्न चित्र----मेहरानगढ़ किला।

4 comments:

  1. बहुत सुंदर जानकारी हुकुम।
    राव चन्द्रसेन राठौड़ का त्याग और संघर्ष किसी भी रूप में महाराणा प्रताप जी से कम नही था।मगर इनके बारे में लोग ज्यादा नही जानते।

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  2. Ya right .. sir....

    Rao chandrsen rathod and maharana pratap dono equal the.. lekin hamare chandrsen jiko koi jyada se jyada log peh chante nhi hain .... is liye unhe koi yaa nhi rkhta . Is liye hmein unko famous krna chahiye... kyun ki aane vali pedhi ko voh bhul n jay... ok.


    Rk RATHőD from somnatH .. Ravi .


    Jai ranbanka ..

    Plz famous great rao chandrsen rathod.

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