प्रतापराव गुजर (Who was Prataprao Gujar)---
एक बेहद हास्यास्पद प्रचार जो उत्तर भारत/ एनसीआर के पशुपालक गूजर/गुज्जर समुदाय द्वारा सोशल मीडिया पर किया जाता है वो यह कि हाईकोर्ट ने अपने किसी आदेश में छत्रपति शिवाजी महाराज को गूजर/गुज्जर जाति का होने की मान्यता दी है , यही नही इस दावे को हकीकत मानकर गूजर भाई छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती भी मनाते हैं!
आइये करते हैं गूजरों के इस दावे की पड़ताल
गूजर/गुज्जर जिस कोर्ट केस का लिंक शेयर करके छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी जाति से जोड़ते हैं दरअसल वो कोर्ट केस छत्रपति शिवाजी के सेनापति प्रतापराव गुजर के एक वंशज ने किया था जो सम्पत्ति विवाद था, उस आदेश में कहीं भी शिवाजी महाराज की जाति को लेकर कोई निर्णय नही दिया गया न ही यह उस मुकदमे का कोई हिस्सा था!!
वो सीधा सीधा संपत्ति विवाद था।
अब आइये जानिए कौन थे शिवाजी महाराज के प्रमुख सेनापति प्रतापराव गुजर??
क्या प्रतापराव गुजर का सम्बन्ध उत्तर भारत की गूजर/गुज्जर बिरादरी से था??
क्या महाराष्ट्र में भी गूजर/गुज्जर बिरादरी की कोई आबादी है ??
तो जानिए सच्चाई :-
महाराष्ट्र में 96 कुली मराठा क्षत्रिय जाति में ही एक सूर्यवंशी कुल है गुजर!!
जी हां ये गुजर मराठा कुल खुद को उत्तर भारत के बडगूजर राजपूतो का वंशज मानता है न कि उत्तर भारत के पशुपालक
गूजर बिरादरी से अपना कोई सम्बन्ध मानता है...
प्रतापराव गुजर बडगूजर मराठा क्षत्रिय थे न कि पशुपालक गूजर/गुज्जर !!!
प्रतापराव गुजर का जन्म सतारा के भोसारे गांव में 1615 ईस्वी मे हुआ था, इनका असली नाम कुड़तोजी गुजर था, इन्होंने मिर्जा राजा जयसिंह की सेना के विरुद्ध शिवाजी की ओर से लड़ते हुए बड़ी बहादुरी दिखाई थी, तो शिवाजी महाराज ने इनको "प्रतापराव" की उपाधि दी थी!!
1674 ईसवी में प्रतापराव गुजर मुगल सेनापति बहलोल खान के विरुद्ध बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए, छत्रपति शिवाजी महाराज ने इनके बलिदान से प्रभावित होकर अपने पुत्र राजाराम का विवाह प्रतापराव गुजर की पुत्री जानकीबाई से किया।
जानकीबाई अपने पति राजाराम की 30 वर्ष की आयु में मृत्यु हो जाने पर सती हो गयी थी।
तो भाइयो ये थे महान शूरवीर मराठा सेनापति प्रतापराव गुजर जो बडगूजर मराठा कुल से थे ,आज भी महाराष्ट्र के 96 कुली मराठो में गुजर वंश (बडगूजर) मिलता है ,
फेसबुक ट्विटर पर बहुत से गुजर मराठा हैं, इनका उत्तर भारत के पशुपालक गुज्जरों से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नही है।।
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के अतिरिक्त तीन और गुर्जर नामधारी जातियां मिलती हैं उनका भी उत्तर भारत के गुज्जरों से कोई लिंक प्रमाणित नही है..
इनमे पहले हैं लेवे गुर्जर या रेवे गुर्जर---
ये आधुनिक गुजरात के लेवा कुणबी (पाटीदार) जाति से है ,कुछ सदी पहले ही ये गुजरात से महाराष्ट्र के खानदेश इलाके में बस गए थे तो गुजरात से आने के कारण इन्हें महाराष्ट्र में लेवा गुर्जर कहा गया, इनके गुजरात के लेवा कुनबियों में रिश्ते भी हो जाते हैं और खानदेश के लोगो ने जानकारी दी कि इनके जाति प्रमाणपत्र में भी अक्सर लेवे पटेल लिखा होता है !!!दूसरे हैं डोरे गुर्जर---
ये खुद को सदियों पहले राजस्थान से महाराष्ट्र मे आकर बसे राजपूत ही मानते हैं इनके वंशनाम राजपूतो जैसे ही हैं,
दरअसल कुछ मान्यताओं के अनुसार ये प्राचीन गुर्जरात्रा (आज के दक्षिण पश्चिम राजस्थान का गोडवाड़ इलाका) से बहुत पहले महाराष्ट्र में जाकर बसे वो राजपूत हैं जो कुछ समय बाद अलग जाति बन गए और गुर्जरात्रा से जाने के कारण गुर्जर कहलाए।
इनका भी उत्तर भारत के पशुपालक गूजर/गुज्जर समाज से कोई सम्बन्ध प्रमाणित नही है!!!
महाराष्ट्र की रेवे गुर्जर या डोरे गुर्जर बिरादरियों के कुल वंशनाम उत्तर भारत के गूजरो से नही मिलते।।
तीसरी जाति है बडगूजर
महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में बडगूजर नामक एक अलग जाति भी मिलती है जो वर्तमान में न तो राजपूत है न मराठा और न ही गूजर।।
ये भी भूतकाल में बडगूजर राजपूतों से अलग होकर बनी हुई जाति प्रतीत होती है।
पर अब कुछ दशक से उत्तर भारत के पशुपालक गूजर/गुज्जर बिरादरी और महाराष्ट्र की गुर्जर नामधारी इन बिरादरियों में सम्पर्क हो गया है और पहचान बनाने व वोटबैंक दिखाने के लिये ये खुद को एक बताने लगे हैं, असल मे इनमे ऐतिहासिक या नस्लीय कोई भी साम्यता प्रमाणित नही होती !!
अगर महाराष्ट्र की उपरोक्त गुर्जर नामधारी जातियों का सम्बन्ध उत्तर भारत के गूजरो से हो भी, तब भी प्रतापराव गुजर मराठा का इनसे कोई सम्बन्ध नही है
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तो भाइयो महाराष्ट्र में उत्तर भारत के पशुपालक गूजर या गुज्जर समुदाय की कोई आबादी है ही नही!!
जिन मराठा सेनापति प्रतापराव गुजर के नाम से ये उन्हें अपनी बिरादरी का होने का दावा करते हैं और प्रतापराव की पुत्री का विवाह शिवाजी महाराज के पुत्र से होने के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज को भी गूजर या गुज्जर होने का हास्यास्पद दावा करते हैं उन महान यौद्धा प्रतापराव गुजर का भी उत्तर भारत के पशुपालक गुज्जर समुदाय से कोई सम्बन्ध नही है।।
छत्रपति शिवाजी महाराज भोंसले और उनके पिता शाहजी भोंसले खुद को मेवाड़ के गुहिलोत राजपूतो का वंशज मानते थे यही ऐतिहासिक और प्रमाणित सत्य है ।
महापुरुष सभी की साझा धरोहर होते हैं किंतु मिथ्या प्रचार या मिथ्याभिमान उचित नही है
what is the base of your statements..Please share the references or remove this baseless crap.
ReplyDeleteKoi reference ho tb share kre 😆 ye to inki hypothesis hai, inke lajput shabha ka gyan h 😆
DeleteAccha hai bhai shbi ko rajput shid kro ,par isse koi park nhi padega
ReplyDeleteI am from the same village of Shri Pratap rao Gujar and whatever facts kept are true.
ReplyDeleteGujar Is khtraiy 96clan Maratha in maharashtra.
Ye sab gurjaro ko alag karne ki rakniti h
Deleteright information which remove my little doubt
ReplyDeletethank you
Are yrr tum khud ki hi kahaniya aur khud ke hi oppinion mat banaya kro. Itni moti budhi aur kattar soch ha tumhari ki tumhe koi tark bhi samajh nahi aata. Ese to me kehdu ki dogra rajputo ka aur rajasthan ke rajputo ka aapas me koi lena dena nahi ha kyonki dono ka hi origin alag alag area se ha, ek ka rajasthan se ha aur dusre ka jammu ke region se ha, ab bta? Ab kya iss aadhar pr maan lega meri baat ko!
ReplyDeleteAre tumko kuch mental problem ha kya? Jab sabhi iss adhar par gujjar kahe jate the kyonki ve gujaratra ke nivasi the, to firr gujjar ko gujjar se hi alag krne ki kya mansha ha, jab sabhi isiliye gujjar the kyonki ve gujjaratra se the.
Aur aa maharastra chl yaha khandesh ke region me ye khud ko gujjar caste se btate ha. Aur kaafi baar gujjar mahasbha me bhi aate ha maharashtra ke gujjar
Ek baar Dogra Rajput se ya Dogra logo se hi puch le bhai ki Dogra naam kahan se aaya? Aur itna jayega to bhai wahan ke gujjaron se bhi puch lena unka itihas, saara vaham door ho jayega
DeleteAbe chodu ke lode tu hi h sabse bada itihaskar or sab to chutia h ek bar mughalo ke bare mai bhi likh de jodha bai ke bare mai apne fufa ke bare mai
ReplyDeleteकुडतोजी जाधव नाम है।। छत्रपती शिवाजी महाराज ने उन्हें गुजर पद् वी दिई है।
ReplyDeletekyu chutiyapa dikhare ho mtlb kuch bhi story bna dete ho tum or ha jalgao jile m gurjaro ki khafi abadi h
ReplyDeleteYou were here to make people know that maharaj was rajput... Baseless ... Maratho ke prati jalan saf dekhte hai 🤧
ReplyDeletebhai mori koi rajput nhi ek prajaati hai schithian jatt ki joh pura duniya me milta hai.german me sbse jyaada .
ReplyDeleteRajput bohot obsession m h sabhi ko apne caste m dal rhe h .plz aisa mat kro m khud rajput hu , sabhi caste ka yogdan h bharatvarsh m is prakar ki statement baseless h or illogical h
ReplyDeleteLo ab gurjar ko bhi apna bna diya ..wah mughlputon tumhara jabab nh..
ReplyDeleteRight.
ReplyDeletecorrect info
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