Wednesday, April 17, 2024

भाजपा से क्यों नाराज है देशभर का राजपूत ?

 


भारतीय जनता पार्टी से क्यों नाराज हैं देशभर के राजपूत ??

आजकल पश्चिमी उत्तरप्रदेश से उठकर देशभर में फैल गए क्षत्रिय राजपूत जनाक्रोश की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा चल रही है।

ज्यादातर पत्रकार बन्धु या भाजपा आईटी सेल से जुड़े सोशल मीडिया इंफ्लूएसर जानबूझकर या अनभिज्ञता में राजपूतों की नाराजगी को फर्जी तर्को के आधार पर खारिज कर रहे हैं, जबकि यह नाराजगी कई कारणों से आज से नही बल्कि कई वर्षों से चल रही थी, जिसे निरंतर भाजपा व मीडिया ही नही बल्कि विपक्षी दलों द्वारा भी लगातार अनदेखा किया जा रहा था।

आइए जानते हैं विस्तार से उन सभी मुद्दों को जिनके कारण देशभर के क्षत्रिय राजपूत भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध उद्देलित हैं और उनके कार्यक्रमो में भाजपा उम्मीदवारों को हराने की कसमें खाई जा रही है।


1--क्षत्रिय महापुरुषों व राजवंशों का इतिहास विकृतीकरण--

क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास से भाजपा नेताओं के संरक्षण में लगातार छेड़छाड़ की जा रही थी और गुज्जर आदि जातियों को क्षत्रिय वँशो पर दावे करने को भाजपा नेताओं द्वारा ही उकसाया व प्रोत्साहित किया जा रहा था।

गत 7-8 वर्षों से गुज्जर समाज द्वारा क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार पर दावे को भाजपा नेताओं द्वारा ही लगातार हवा दी गयी, भाजपा सरकारों के दिग्गज नेताओं द्वारा ग्वालियर, दादरी, यमुनानगर व कैथल में सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमाएं स्थापित करवाते हुए उन पर गुज्जर जातिसूचक शिलापट लगवाए गए जबकि सभी इतिहासकार एकमत हैं कि गुर्जर एक स्थानसूचक संज्ञा थी।

दादरी प्रकरण, कैथल प्रकरण, ग्वालियर प्रकरण, यमुनानगर व फरीदाबाद प्रकरण ही नही बल्कि सहारनपुर में बिना अनुमति गुज्जर गौरव यात्रा निकलवाकर क्षत्रिय इतिहास पर बलात कब्जे के प्रयासों को भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं का पूर्ण समर्थन व संरक्षण रहा ,इसके कारण देशभर के राजपूतों में भाजपा के प्रति गत कई वर्षों से आक्रोश की ज्वाला अंदर ही अंदर भड़क रही थी जिसने एकाएक बड़ा रूप ले लिया।

2--श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट में क्षत्रियों की उपेक्षा व प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में श्रीराम के वंशजों की अनदेखी--

श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट में किसी भी राजपूत को स्थान नही दिया गया, जबकि ट्रस्ट मे ब्राह्मणों का बोलबाला है, इसकी प्रबल मांग को भी अनसुना किया गया, 

अयोध्या के आसपास ही सैंकड़ो गांव में श्रीराम के वंशज सूर्यवंशी/रघुवंशी राजपूत आज भी रहते हैं जिन्होंने कई सदी तक श्रीराम जन्मभूमि की रक्षा के लिये  मुगलों से लंबी लड़ाई लड़ी, बलिदान दिए, गत 500 वर्षों से उन्होंने प्रण करते हुए सर पर पगड़ी नही पहनी।प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में उन्हें भी आमंत्रित नही किया गया बल्कि पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

श्रीराम के वंशजों को सम्मान दिए बिना राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिये अधूरे श्रीराम मंदिर का अनावरण किया गया, इसे लेकर अवध व देशभर के राजपूतों में गहरा रोष व्याप्त हुआ।


3--EWS के सरलीकरण से इंकार--

EWS के सरलीकरण हेतु उसमे कई अव्यवहारिक शर्तो को हटाने की मांग क्षत्रिय राजपूत समाज कई वर्षों से कर रहा है, कृषि भूमि/प्लाट-घर के साइज आदि अव्यवहारिक शर्तो के कारण क्षत्रियो के न तो EWS सर्टिफिकेट बन पा रहे हैं न ही ews कोटे में क्षत्रियो का चयन हो पा रहा है,

केंद्रीय सेवाओं या राज्य सरकार की नोकरियो में EWS कोटे के तहत क्षत्रियो को नगण्य प्रतिनिधित्व मिल रहा है, राजस्थान की गहलोत सरकार द्वारा EWS का सरलीकरण किया जिसका लाभ स्वर्णो को मिलना शुरू हुआ है, पर केंद्र व भाजपा शासित राज्यों में इन सभी मांगो को जानबूझकर लगातार अनसुना किया गया है।

4--अग्निवीर योजना--

आज भी राजपूतो की स्वभाविक पसंद व रोजगार का बड़ा जरिया सैन्य सेवाएं हैं, किंतु सेना में अग्निवीर भर्ती शुरू करने से राजपूतो में भी भारी नाराजगी है।

5--भारत रत्न आदि पुरस्कारों में क्षत्रिय महापुरुषों की अनदेखी---

आज तक किसी भी राजपूत को भारत रत्न नही दिया गया जबकि महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद, जनरल सगत सिंह राठौड़, महान शिक्षाविद हरिसिंह गौर, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर व वीपी सिंह आदि कई महान हस्ती राजपूत समाज मे जन्मी, जब विभिन्न सामाजिक वर्गों को संतुष्ट करने के लिये राजनैतिक कारणों से उनके महान व्यक्तियों को इसी सरकार ने भारत रत्न दिया है तो क्षत्रियो को ही क्यों अनदेखा किया गया, इसे लेकर भी जनाक्रोश है।

ये 👆👆 कुछ गैर राजनैतिक मुद्दे हैं जिन्हें लेकर गत कई वर्षों से राजपूत युवाओं और विचारकों में भाजपा को लेकर नाराजगी धीरे धीरे व्याप्त होती गयी और सोशल मीडिया के माध्यम से सभी राजपूतो में इन मुद्दों का प्रचार होता गया।

अब राजनैतिक मुद्दों और तात्कालिक कारण जिनसे आक्रोश भड़का उन पर आते हैं 👇👇

यूपी में ठाकुरवाद का फर्जी नैरेटिव ---

इस मिथ्या प्रचार को भाजपा के ही योगी विरोधी गुट व गोदी मीडिया ने हवा दी,

यूपी में योगी सरकार के शपथ लेने के बाद 2017 से यह फर्जी नरेटिव लगातार बनाया गया कि यूपी में ठाकुरवाद चल रहा है, जिस भी अधिकारी के नाम के आगे सिंह लिखा देखा उसे ठाकुर राजपूत घोषित कर फर्जी सूचियां वायरल की गई, 

उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद ठाकुरों को न तो पर्याप्त सरकारी नोकरियाँ मिली, न पहले से ज्यादा प्रशासनिक तैनाती मिल पाई, राजनैतिक प्रतिनिधित्व तो पहले से भी सिकुड़ गया, ठाकुरवाद के इस नैरेटिव को क्षत्रियो के प्रति द्वेषभाव रखने वाले घाघ पत्रकारों ने फैलाया व खुद भाजपा के ही एक गुट ने इसे हवा दी और इसका पार्टी स्तर से भी कभी खंडन नही किया गया।

बृजभूषण शरण सिंह के प्रकरण में बाबा रामदेव की साजिश पर जाट लॉबी के दबाव में भाजपा ने उन्हें अकेला छोड़ दिया, जिससे समाज मे आक्रोश बढ़ता गया, अब उनका टिकट भी जाट लॉबी के दबाव में होल्ड पर रखा गया है।

गुजरात मे पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा राजपूत समाज पर दिए अपमानजनक बयान के बावजूद उस पर कोई कार्यवाही न होने से भी पहले से उपेक्षित वहां के राजपूत समुदाय में भारी गुस्सा है और वहां पुलिस द्वारा कई सामाजिक नेताओ की पगड़ी सरेआम उछाले जाने की शर्मनाक घटनाएं भी सामने आई हैं।

इन सब घटनाओं से देशभर के क्षत्रियो में भारी रोष है।

अब आइए राजपूतो के राजनैतिक प्रतिनिधित्व पर 

👇👇

भाजपा नेताओं व समर्थकों द्वारा अक्सर यह अहसान जताया जाता है कि उत्तराखंड में राजपूत मुख्यमंत्री है व हिमाचल में भी भाजपा ने राजपूत मुख्यमंत्री बनाया था, 

जबकि सत्यता यह है कि इन दोनों बेहद छोटे राज्यो में 40% जनसंख्या राजपूत है ,वहां कांग्रेस से भी राजपूत ही मुख्यमंत्री बनते हैं तो भाजपा ने कौन सा एहसान कर दिया??

यूपी में सबसे लोकप्रिय नेता व हिंदुत्ववादी छवि होने के कारण योगी जी मुख्यमंत्री बने हैं, पर उनके मुख्यमंत्री होने का अर्थ यह नही है कि राजपूतो को हर स्तर पर दबाया जाए या उनकी अनदेखी की जाए।

हाल ही में छत्तीसगढ़ में रमनसिंह मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे पर उन्हें विधानसभा स्पीकर बनाकर हाशिये पर डाल दिया गया, यही नही छत्तीसगढ़ में किसी भी राजपूत न तो मंत्री बनाया गया न ही किसी राजपूत को लोकसभा/राज्यसभा टिकट दिया गया, यह अन्याय नही तो क्या है??

मध्यप्रदेश जहां राजपूतो की बहुत बड़ी आबादी है और कांग्रेस के जमाने से राजपूतो का बड़ा वर्चस्व रहा, वहां विधानसभा चुनाव नरेंद्र सिंह तोमर को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर हुआ, यही प्रचारित था कि शिवराज हटे तो नरेंद्र तोमर ही मुख्यमंत्री बनेंगे, पर विजयी राजपूत विधायको की सबसे ज्यादा संख्या होने के बावजूद नरेंद्र तोमर को मात्र स्पीकर बनाकर उनकी राजनैतिक हत्या कर दी गयी और मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में भी राजपूतो को उचित स्थान नही दिया गया। मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा सीट हैं जहाँ कभी 6-7 राजपूत सांसद बनते थे, वहां पिछली बार भी 3 टिकट दिए थे, पर इस बार सिर्फ 1 टिकट राजपूतों को दिया गया जबकि ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व बढ़ा दिया गया, एक बड़े राज्य में राजपूतो को दबाने पर आक्रोश भड़कना स्वभाविक है।

जब छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में राजपूत मुख्यमंत्री नही बना तो राजस्थान में उम्मीद थी कि कोई राजपूत जरूर मुख्यमंत्री बनेगा ,पर वहां भी अचानक से भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया गया, राजपूत को डिप्टी CM का झुनझुना पकड़ा दिया गया! भजनलाल के शपथ लेने के समय करणी सेना अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या हुई, पर कोई कार्यवाही उच्च संरक्षण में तिहाड़ जेल में बैठे लारेंस विश्नोई पर नही हुई।

लोकसभा चुनाव में भी राजस्थान में राजपूतो को मात्र 3 टिकट जबकि कांग्रेस के परंपरागत समर्थक जाट समुदाय को 7 टिकट दिए गए, इससे भी समाज मे रोष पनप रहा था।

हरियाणा व गुजरात में गत एक दशक से राजपूतो का राजनैतिक प्रतिनिधित्व भाजपा ने लगभग शून्य कर दिया है, 

झारखंड में 2019 में 2 राजपूत सांसद थे, इस बार दोनो के टिकट काटकर झारखंड की राजनीति से राजपूतो का सफाया कर दिया गया, परंपरागत सीट धनबाद से भी टिकट काटकर भाजपा ने पूर्वी भारत मे भी राजपूतों के आक्रोश को बढ़ा दिया और मनाने की भी कतई कोशिश नही की गई।

कुछ ही माह पूर्व राज्यसभा की 50 से ऊपर सीट रिक्त हुई जिसमें भाजपा द्वारा मात्र 1 राजपूत को टिकट दिया गया।

इस समय देश मे 1 भी राज्यपाल राजपूत नही है।

इस समय सम्भवतः भाजपा से 1 भी प्रदेश अध्यक्ष राजपूत नही है।

योगी जी को स्वतंत्र रूप से कार्य न करने देना----

राजपूत समाज की नाराजगी का एक और कारण यह है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ जी को स्वतंत्र होकर कार्य करने नही दिया जा रहा है, 

योगी न तो किसी को लोकसभा/राज्यसभा/विधानसभा/विधानपरिषद टिकट दिला पाते, न ही उनकी संगठन में कोई पद दिलवाने की हैसियत है! यहां तक कि योगी अपनी मर्जी से अपना चीफ सेक्रेटरी/डीजीपी तक नियुक्त नही कर सकते, एक प्रकार से उन्हें मुखौटा के रूप में प्रयोग किया जा रहा है और 2024 लोकसभा के तत्काल बाद उन्हें हटा दिया जाएगा ऐसी भी चर्चाएं जोरो पर हैं, इन चर्चाओं से योगी आदित्यनाथ की छवि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है और क्षत्रिय समाज के युवा ही नही बल्कि बुजुर्ग व महिलाएं भी उद्देलित हैं।



अब आएं पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भाजपा राज में राजपूतो के लगातार हाशिये पर जाने की कसक, जिसके कारण इस बार यहां राजपूतो के सब्र का बांध टूट गया लगता है 👇👇

जाटलैंड का फर्जी मिथक और भाजपा सरकार में जाटों को राजपूतो पर तरजीह देना----

सन 1891, 1901, 1931 की ब्रिटिश जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार वेस्ट यूपी के 26 जिलों में राजपूतो की आबादी जाट व गुज्जर से कहीं ज्यादा है पर मीडिया जानबूझकर इस क्षेत्र को जाटलैंड कहता है , अमित शाह व दूसरे राजनेताओ को भी यही गलतफहमी है।

आंकड़ों के अनुसार वेस्ट यूपी की 26 लोकसभा सीटों पर कुल मात्र 4.9% जाट आबादी व 1.7% गुज्जर आबादी तथा 6.5% राजपूत आबादी है, यहां सर्वाधिक जनसंख्या मुस्लिम व जाटव दलितों की है इसके बाद राजपूतो का नम्बर आता है।किंतु मीडिया व राजनैतिक दलों के फर्जी जाटलैंड के मिथक के कारण इस इलाके में जाटों को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जाता है, उसके बाद गुज्जरों को महत्व दिया जाता है, जबकि इन 26 जिलों के राजपूतो को कहा जाता है कि आपके समाज को पूर्वी उत्तरप्रदेश में अच्छा प्रतिनिधित्व मिला है यह कहकर उन्हें प्रतिनिधित्व से वंचित कर दिया जाता है।

वेस्ट यूपी में राजपूत शुरू से भाजपा को ही एकमुश्त वोट करता आया है ,जबकि जाट हर बार भाजपा के विरुद्ध रालोद-सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट करता रहा, गुज्जर सिर्फ अपने समाज के उम्मीदवार को वोट करता है वो चाहे किसी दल से हो।

सन 2012 में जब अखिलेश सरकार बनी तो यूपी में महज 3 जाट विधायक जीतकर आए थे, उस समय जाट हाशिये पर थे, पर जैसे ही 2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनी तो भाजपा ने अपने बेस वोटर राजपूत को दरकिनार कर जाटों का हर स्तर पर तुष्टिकरण शुरू कर दिया।

सन 2012 से 2022 तक वेस्ट यूपी में राजपूतो के 2 सबसे मजबूत नेता रहे संगीत सोम और सुरेश राणा को भाजपा के ही जाट व अन्य प्रभावशाली नेताओं ने भितरघात कर हरवा दिया, पर उन भितरघातियों पर पार्टी ने कोई कोई कार्यवाही नही की ,बल्कि उन्हें एमएलसी बनाकर पुरुस्कृत किया गया, इससे राजपूत समाज में नाराजगी व हताशा बढ़ती गयी।

सन 2022 विधानसभा चुनाव के बाद तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो भाजपा ने वेस्ट यूपी की फ्रेंचाइजी जाटों के गुट को दे रखी हो, हर स्तर पर उनकी मनमानी चली और भाजपा के मूल मतदाता मन मसोसकर सब नजारा देखने को विवश होते गए।

वेस्ट यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 के टिकट वितरण में राजपूतो की अनदेखी--

दरअसल मेरठ सहारनपुर मण्डल में यह चर्चा थी कि यदि गाजियाबाद से जनरल वी०के० सिंह को टिकट न दिया गया तो सहारनपुर अथवा मेरठ से किसी राजपूत को टिकट जरूर दिया जाएगा, जबकि राजपूत समाज मांग कर रहा था कि जब इसी इलाके में गुज्जर को 3 व जाट को 4 टिकट दिए जा सकते हैं तो राजपूतो को 2 टिकट क्यों नही मिल सकते! पर जब भाजपा ने वो 1 टिकट भी काटकर शून्य कर दिया तो राजपूत ही नही बल्कि सभी जानकार भौचक्के रह गए!!

वेस्ट यूपी में राजपूत वोट 👇

गौतमबुद्धनगर लोकसभा में 4.5 लाख

गाजियाबाद में 5 लाख

फतेहपुर सीकरी में 3.5 लाख वोट होने के बावजूद इन सीटों पर राजपूत उम्मीदवार को टिकट नही दिया गया।

वेस्ट यूपी में राजपूतो की जनसंख्या जाट गुज्जर ब्राह्मण से अधिक होने के बावजूद अभी हाल ही के टिकट वितरण में 👇👇 

ब्राह्मणों को 4 टिकट (महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर, जितिन प्रसाद पीलीभीत, सतीश गौतम अलीगढ़, व राघव लखनपाल शर्मा सहारनपुर)

जाटों को 4 टिकट (मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, बागपत से राजकुमार सांगवान, मथुरा से हेमा मालिनी, फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर)

गुज्जर को 3 टिकट (कैराना से प्रदीप चौधरी, बिजनोर से चंदन गुज्जर, अमरोहा से कंवर सिंह तंवर) 

जबकि सर्वाधिक संख्या वाले राजपूत समाज को सिर्फ 1 टिकट मुश्किल सीट मुरादाबाद (जहां 52% मुस्लिम जनसंख्या है) से देकर राजपूतो का राजनैतिक प्रतिनिधित्व शून्य करने की सुनियोजित साजिश रची गयी।

वेस्ट यूपी में यूपी मंत्रिमंडल 👇👇

जाट 2 कैबिनेट मंत्री (चौ० लक्ष्मीनारायण व बलदेव औलख) व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा भूपेंद्र सिंह

ब्राह्मण 3 कैबिनेट मंत्री (सुनील शर्मा, योगेंद्र उपाध्याय, जितिन प्रसाद)

जबकि वेस्ट यूपी ही नही पूरे यूपी में 1 भी राजपूत कैबिनेट मंत्री इस समय नही है।

वेस्ट यूपी में भाजपा द्वारा राज्यसभा में प्रतिनिधित्व--

भाजपा द्वारा वेस्ट यूपी से तेजवीर सिंह सहित 2 जाट राज्यसभा सांसद बनाए गए, सुरेंद्र नागर गुज्जर भी राज्यसभा सांसद है, व लक्ष्मीकांत वाजपेयी समेत कई ब्राह्मण राज्यसभा सांसद हैं, पर पूर्व सांसद ठाकुर विजयपाल तोमर का इस बार टिकट ही काट दिया गया और पश्चिमी यूपी से अब एक भी राजपूत राज्यसभा में भाजपा ने नही भेजा है!!

विधानपरिषद सदस्य--

भाजपा द्वारा विधानपरिषद यानी एमएलसी में वेस्ट यूपी से 3 जाट भूपेंद्र चौधरी, वंदना वर्मा व मोहित बेनीवाल हैं,

3 गुज्जर एमएलसी बनाए गए ,जिनमे अशोक कटारिया, वीरेंद्र चौधरी व नरेंद्र भाटी हैं।

श्रीचंद शर्मा आदि कई ब्राह्मणों को भी एमएलसी बनाया गया है।

किंतु भाजपा के सबसे प्रतिबद्ध सामाजिक वर्ग राजपूतो को वेस्ट यूपी मेरठ सहारनपुर मण्डल से 1 भी एमएलसी पद नही दिया गया।

इन सब कारणों से यह प्रतीत होता है कि वेस्ट यूपी में जाटों के गुट ने भाजपा के शक्तिशाली केंद्रीय गुट से हाथ मिलाकर यहां अपना पूर्ण अधिपत्य जमा लिया और योजनाबद्ध तरीके से यहां से मजबूत राजपूत नेताओ को राजनैतिक बनवास दिया गया है। बिना भाजपा को वोट दिए जाट समाज भाजपा सरकार में सत्ता सुख भोग रहा है ,दशको से जाट समाज के लोग रालोद-सपा गठबंधन को एकमुश्त वोट करते रहे और बिना BJP को वोट दिए भाजपा मे MP/MLA/मंत्री/MLC/राज्यसभा सदस्य बनते रहे!

वहीं भाजपा को करबद्ध समर्थन करने वाला वेस्ट यूपी का राजपूत समाज 2017 के बाद से ही उपेक्षा झेलकर आज हताश होकर बगावत पर उतर आया है क्योंकि अपना अस्तित्व बचाने और अपना वजूद दिखाने के लिये समाज के पास और कोई विकल्प नही बचा है।जिस वेस्ट यूपी से कभी 5-6 राजपूत सांसद बनते थे वहां भाजपा के एक गुट ने उन्हें आज शून्य पर पहुंचा दिया है।

जाटों की देखादेखी अब राजपूतो व अन्य जातियों को भी जाट भाइयो ने रास्ता दिखा दिया है कि यदि राजपूतो व अन्य समाजों को भी सम्मान पाना है,तो पहले BJP के खिलाफ एकमुश्त मतदान करके अपना वजूद दिखाना जरूरी है ।

पत्रकार बन्धु गत 3-4 दिन से राजपूतो की नाराजगी के वास्तविक कारणों को अनदेखा कर मनमाने तर्को के आधार पर खारिज कर रहे हैं औऱ पूर्वांचल में राजपूतो को मिले लोकसभा टिकटों के आधार पर पश्चिमी उत्तरप्रदेश के लाखों राजपूतो को आंसू पोछने को बोल रहे हैं, वहीं भाजपा आईटी सेल इसे पाकिस्तान का षड्यंत्र बता रहा है!!

सोशल मीडिया पर राजपूत समाज के लिये आवाज उठाने वाले जिन युवाओं की आलोचना की जा रही है ये वही राजपूत युवा हैं जो वर्षों से इसी भाजपा के अंधभक्त होकर निस्वार्थ भाव से इनका प्रचार करते थे, आज इतनी नाराजगी है तो कोई तो कोई न कोई कारण अवश्य होगा।

पर भाजपा हाईकमान व मीडिया का बड़ा हिस्सा राजपूत समुदाय की नाराजगी के वास्तविक कारणों को जानने के बजाय इसे किसी साजिश के तौर पर देख रहा है जबकि राजपूत समाज कई वर्षों से भाजपा की नीतियों के विरुद्ध अपना आक्रोश निरंतर व्यक्त करता रहा है।

9 comments:

  1. Mughalputo tumhare khoon me gaddari bhari padi hai, BJP chali jayegi tab apne abba mughal aur tonti chor ke sath rahna...tonti chor tum logo ko laat marke bhagayega

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    1. Kutti ke beej mughalput hoga tu .
      Teri maa dadi firi hogi mughlo mein bkl aaj bhi sbse jyada sanskar hai kshatriyo mein bkl nupur Sharma kanhaiya lal pe chup kyu the tere baap?:randiu ke rajputo ne theka liya kya tumhara virodh kre to bure sath rhe to bure.muh mein moot denge aa asli id se neech

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    2. वो तुम्हे भगाएगा, हमने तो पहले भी राज किया था, आज भी हमारी बदौलत तुम कर रहे हो। अब huk वापिस उनके साथ मिलकर तुमारी बजाएंगे।

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