Sunday, April 21, 2024

भाजपा द्वारा क्षत्रिय इतिहास के सुनियोजित विकृतीकरण की सनसनीखेज दास्तान


भाजपा द्वारा क्षत्रिय इतिहास के सुनियोजित विकृतीकरण की सनसनीखेज दास्तान---

आम तौर पर दक्षिणपंथियों द्वारा कहा जाता है कि भारतवर्ष में वामपंथियों व विदेशी इतिहासकारों द्वारा इतिहास को अपने एजेंडे के तहत तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया तथा मनमुताबिक नैरेटिव बनाए गए।

इसमे सत्यता भी है किंतु आज हम आपको बताएंगे कि इतिहास विकृतीकरण सिर्फ वामपंथियों या विदेशी इतिहासकारों ने ही नही किया बल्कि गत 1 दशक से यही कृत्य भाजपा व संघ परिवार के द्वारा भी किया जा रहा है।

आइये विस्तार से समझते हैं कि इनके कृत्य व उसके पीछे इनका मूल उद्देश्य क्या है??👇👇

अंग्रेजो ने ,वामपंथियों ने या कांग्रेसियों ने जो किया वो किया,अब जरा इन अपने वालो पर भी नजर डालिए,जो हमारी उदासीनता ,अकर्मण्यता, लाचारी औऱ अंधभक्ति का लाभ उठाकर हमारे पूर्वजो के इतिहास को विकृत करने में लगे हुए हैं

1--साहब सिंह वर्मा तत्कालीन मुख्यमंत्री दिल्ली (भाजपा)---

सबसे पहले इन्होंने इन्होंने गुज्जर वोटबैंक के दबाव में सबसे पहले 22 वर्ष पूर्व दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में गुज्जर सम्राट मिहिरभोज नाम से प्रतिमा लगवाई और इतिहास के साथ आपराधिक छेड़छाड़ करते हुए गुज्जर सम्राट मिहिरभोज नाम से नियमविरुद्ध राजमार्ग का नामकरण किया गया।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सम्राट मिहिरभोज की जाति के प्रकरण में गुज्जर इसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं 👆

2--केंद्रीय सँस्कृति मंत्री डॉ० महेश शर्मा, सांसद गौतमबुद्धनगर (भाजपा)---

दिनांक 09 मार्च 2019 को केंद्रीय सँस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने गुज्जर वोटबैंक के लिये उनकी मांग पर दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान में प्रतिहार राजपूत राजवंश को गुज्जर सम्राट दर्शाकर एक अलग गैलरी बनवाई, और इस संस्थान का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी से करवाया।

इस लोकसभा सीट पर राजपूत वोट (4 लाख) शत प्रतिशत महेश शर्मा को मिलता है जबकि गुज्जर वोट (2.5 लाख) हर बार अपने स्वजातीय बसपा-सपा उम्मीदवारों को ही जाता है, फिर भी महेश शर्मा द्वारा क्षत्रियो की भावनाओं का निरादर करते हुए इतिहास के साथ छेड़छाड़ में अपना सहयोग दिया।

इस पुरातत्व संस्थान मे गुज्जर सम्राट के नाम से बनवाई गई गैलरी को भी गुज्जर हाईकोर्ट मे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कर रहे है 👆

3--त्रिवेंद्र सिंह रावत तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड (भाजपा)-

क्षत्रिय बाहुल्य उत्तराखंड प्रदेश के इकलौते गुज्जर विधायक प्रणव चैंपियन के दबाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्षत्रिय समाज के विरोध को दरकिनार करते हुए लक्सर में गुज्जर सम्राट के नाम से सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा लगवाई और चौराहे का नामकरण करवाया, यही नही इस प्रतिमा व चौराहे के स्थापना के लिये सरकारी फंड भी दिलवाया गया‼️

सरकारी फंड से स्थापित इस प्रतिमा और चौराहे के नामकरण को भी गुज्जर संगठन ग्वालियर हाईकोर्ट में सबूत के तौर पर प्रस्तुत कर रहे हैं👆

4--भाजपा व अन्य दलों के क्षत्रिय समाज के कई वरिष्ठ मंत्रियों/सांसदों/विधायको (जनरल वीके सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, मनीष सिसोदिया, सतीश सिकरवार, ठा० धीरेंद्र सिंह ,पंकज सिंह, राजनाथ सिंह आदि)-----

गत वर्षो मे गुज्जरो ने इनसभी को धोखे से या वोटबैंक का लालच दिखाकर अपने कार्यक्रमो मे बुलवाया और उनके हाथो से ही गुज्जर सम्राट नाम से शिलापटो के अनावरण करवा लिये,यही नही गुज्जर सम्राट नाम से रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट आदि के नामकरण हेतु इनसे लेटरपैड पर संस्तुति पत्र भी लिखवा लिए गए!

भाजपा व अन्य दलों के इन तमाम तथाकथित क्षत्रिय नेताओ के लेटरहैड , फोटो व समाचार पत्रों में छपी उनकी खबरों को भी गुज्जर समाज ग्वालियर हाईकोर्ट में यह दर्शाकर प्रस्तुत कर रहा है कि स्वयं राजपूत नेताओ को ही गुज्जर सम्राट नामकरण से कोई आपत्ति नही है!!

5--कंवरपाल गुज्जर शिक्षा मंत्री हरियाणा (भाजपा)---

इनके द्वारा इसी वर्ष मार्च 2021 में हरियाणा के यमुनानगर में क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज को गुज्जर सम्राट लिखवाकर जगाधरी के तिकोना चौक का नामकरण करवाया व प्रतिमा स्थापित करवा दी गई, क्षत्रिय समुदाय के प्रबल विरोध के बावजूद अभी तक छलकपट से लिखा गया गुज्जर शब्द प्रतिमा व चौक से नही हटवाया गया।।

इसे भी गुज्जर सम्राट सबूत के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत कर रहा है 👆

6--भाजपा मंत्री दिनेश खटीक मेरठ--

गुज्जरो की मांगपर  इन्होंने वर्ष 2019 मे मवाना कस्बे मे राजा भोज परमार की प्रतिमा को गुज्जर सम्राट मिहिरभोज नाम से स्थापित करवा दिया गया

इन मूर्खो को कन्नौज के प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज और धारानगरी के सम्राट भोज परमार मे अंतर भी नही मालूम, यहां भी क्षत्रिय युवाओं के प्रबल विरोध को दबा दिया गया।।

ये प्रतिमा भाजपा नेताओं की संस्तुति पर नगरपालिका द्वारा लगवाई गयी, इसलिए इसे भी गुज्जर समाज साक्ष्य के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत कर रहा है👆‼️

7--केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर सांसद फरीदाबाद (भाजपा)--

इनकी शह पर 2 माह पूर्व ही अनंगपुर गांव में न सिर्फ मिहिरभोज बल्कि अनंगपाल तोमर को भी गुज्जर सम्राट नाम से प्रतिमाएं लगवाई गयी।

यहां क्षत्रिय युवाओं के जोरदार विरोध के कारण मंत्री कार्यक्रम में नही पहुंचे और गुज्जर सम्राट नाम के शिलापट भी हटवा दिए गए, पर बाद में पुनः गुज्जर सम्राट नामक शिलापट लगवा दिए गए।

ये हाल तब है जब कृष्णपाल गुज्जर की जीत में हर बार क्षत्रिय मतदाताओं की प्रमुख भूमिका होती है‼️

इसे भी गुज्जर समाज ने साक्ष्य के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत किया है, हाईकोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी द्वारा इसका स्थलीय निरीक्षण भी किया गया है👆‼️

8--विवेक शेजवलकर तत्कालीन मेयर ग्वालियर (भाजपा)--

ये केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हैं।इनके द्वारा गुज्जर समाज की मांग पर नगर निगम के सौजन्य से मिहिरभोज की प्रतिमा गुज्जर सम्राट के नाम से स्थापित करवाई गई, जबकि मूल प्रस्ताव में सिर्फ सम्राट मिहिरभोज लिखा था।इस प्रतिमा पर पूरे ग्वालियर चंबल में क्षत्रिय व गुज्जर जातियों में जबरदस्त तनाव बना हुआ है, मामला हाईकोर्ट में चला गया है औऱ कोर्ट के आदेश पर फिलहाल गुज्जर सम्राट लिखे शिलापट को ढक दिया गया है‼️‼️

9--योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश (भाजपा)---

योगी जी स्वयं गढ़वाल के प्रतिहार वंश में जन्मे हैं जहां के सभी क्षत्रिय वंश बिष्ट, नेगी, रावत टाइटल लिखते हैं, घोर विडंबना देखिये कि भाजपा के रणनीतिकारों ने सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार के वंशज योगी आदित्यनाथ से ही उनके पूर्वज की प्रतिमा का अनावरण गुज्जर सम्राट नाम से करवाने की योजना बना दी, ताकि योगी क्षत्रिय समाज का कोपभाजन बने, औऱ योगी जी ने भी बिना सोचे विचारे इस कार्यक्रम में जाने की सहमति दे दी‼️‼️

जब देशभर के क्षत्रिय समाज ने इसका सड़को पर उतरकर जबरदस्त विरोध किया तब जाकर प्रतिमा अनावरण के समय गुज्जर शब्द हटाया गया, पर बाद में गुज्जरों ने न सिर्फ दोबारा गुज्जर लिख दिया बल्कि स्वयं योगी आदित्यनाथ के नाम पर कालिख पोत दी‼️

जो अपने समाज का नही होता उसे दूसरे समाज से भी कतई सम्मान नही मिलता है,योगी जी को वीपी सिंह का हश्र याद रखना चाहिये, काश योगी जी ने इस कार्यक्रम में जाने की सहमति देने से पहले सोच विचार लिया होता या अपने शासन प्रशासन से फीडबैक लिया होता तो आज गुज्जर व राजपूत दोनो समाज में उन्हें बुराई न मिलती।

गुज्जरों की योजना थी कि योगी को छलकपट करके अपने कार्यक्रम में एक बार बुलाकर उन्ही के हाथों से गुज्जर सम्राट मिहिरभोज नाम से प्रतिमा अनावरण करवा लें तो क्षत्रिय समाज का हौसला टूट जाता, पर क्षत्रिय युवाओं के प्रबलतम विरोध ने उनके इस षड्यंत्र को विफल कर दिया 👍

10--तथाकथित कुंवर प्रणव चैंपियन भाजपा विधायक, चौ० वीरेंद्र सिंह एमएलसी भाजपा, नन्दकिशोर गुज्जर भाजपा विधायक, मीनाक्षी लेखी सांसद , जयप्रकाश पूर्व मेयर----

तथाकथित चैंपियन प्रणव ,कांग्रेस सरकार में मुस्लिमो की भीड़ ने इसके महल में घुसकर आगजनी करके इसकी सारी हेकड़ी निकाल दी थी, तब ये कुछ नही कर पाए थे।

उसने दिल्ली के फतेहपुर बेरी गांव में सम्राट मिहिरभोज, सम्राट अनंगपाल तोमर, सम्राट भोज परमार, सम्राट पृथ्वीराज चौहान, बाप्पा रावल इन सभी को गुज्जर सम्राट लिखवाकर प्रतिमाएं स्थापित करवाई‼️‼️

यूपी में मनोनीत एमएलसी चौ० वीरेंद्र सिंह के गांव जसाला में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को गुज्जर सम्राट लिखकर प्रतिमा स्थापित करवाई जा रही थी, क्या बिना वीरेंद्र सिंह की सहमति के यह सम्भव है?

लोनी का भाजपा विधायक नन्दकिशोर गुज्जर व उत्तराखंड का भाजपा विधायक प्रणव चैंपियन ये दोनों क्षत्रिय समुदाय के विरुद्ध लगातार अपमानजनक बयानबाजी कर चुके हैं ‼️

नन्दकिशोर गुज्जर व चौ० वीरेंद्र सिंह द्वारा कैराना के तितरवाड़ा में बिना प्रशासन की अनुमति के सम्राट मिहिरभोज को गुज्जर सम्राट बताकर प्रतिमा लगवाई गयी है।

भाजपा के मीनाक्षी लेखी व जयप्रकाश पूर्व मेयर द्वारा भी क्षत्रिय समुदाय के प्रबल आक्रोश के बावजूद दिल्ली में मिहिरभोज को गुज्जर बताकर कार्यक्रम कराए गए।

11--गत सहारनपुर में आयोजित गुज्जर गौरव यात्रा के पीछे का षडयंत्र----

आरएसएस/भाजपा के कुछ धूर्त लोगो द्वारा जानबूझकर गुर्जर परियोजना नामक कार्यक्रम बनाया गया, जिसका मूल मकसद था कि हिन्दू व मुस्लिम गुज्जरों को सम्राट मिहिरभोज के नाम पर एक मंच पर लाकर भाजपा के पक्ष में मतदान करवाना!!

भाजपा नेताओ की शह पर नकुड़ क्षेत्र में गुज्जर गौरव यात्रा निकलवाई गयी, इस कार्यक्रम में न सिर्फ मिहिरभोज बल्कि पृथ्वीराज चौहान तक को गुज्जर सम्राट लिखे बैनर लहराए गए औऱ राजपूत समाज पर अपमानजनक टिप्पणियों के वीडियो वायरल हुए।

भाजपा व संघ के नेताओ ने इसके लिये अपने सबसे प्रतिबद्ध समर्थक राजपूत समुदाय की भावना आहत करने में जरा भी लज्जा नही आई और इन्ही के षड्यंत्र के कारण सहारनपुर में राजपूत व गुज्जर समुदायों में आज भी कड़वाहट है और इसी के परिणामस्वरूप राजपूतो ने हालिया लोकसभा चुनावों में कैराना, सहारनपुर व मुजफ्फरनगर लोकसभा सीटों पर भाजपा के विरुद्ध लामबंद होकर मतदान किया है।

12--कैथल प्रकरण--

हरियाणा के कैथल में भाजपा के गुज्जर नेताओं के द्वारा राजपूतो के विरोध को दरकिनार करते हुए चौक का नामकरण गुज्जर सम्राट मिहिरभोज कराते हुए जातिसूचक शब्द लिखकर मिहिरभोज प्रतिमा स्थापित कराई गई, 

विरोध करने पर राजपूतो पर प्रशासन ने लाठीचार्ज भी किया, इस प्रकरण में स्थानीय भाजपा विधायक लीलाराम गुज्जर व भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक गुज्जर की बड़ी भूमिका रही, यह प्रकरण अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

ये 👆 सिर्फ चंद उदाहरण हैं, इनके अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन,  व वर्तमान मुख्यमंत्री हरियाणा नायब सिंह सैनी आदि तमाम नाम गिनाए जा सकते हैं ,जो राजपूतो के प्रबल विरोध के बावजूद गुज्जरों के वोटबैंक के दबाव में क्षत्रिय इतिहास के विकृतिकरण में उनका साथ कंधे से कंधा मिलाकर दे रहे थे।।

ये हाल तब है जब यूपी में गुज्जर महज 0.7% जबकि क्षत्रिय 8% हैं, उत्तराखंड में गुज्जर महज 1% ,जबकि क्षत्रिय 35% हैं। हरियाणा व एनसीआर में भी राजपूतो की संख्या गुज्जरों से कहीं ज्यादा हैं, गुज्जर सिर्फ स्वजातीय को वोट देता है जबकि क्षत्रिय समुदाय अभी तक शत प्रतिशत भाजपा को ही वोट करता आया है।

भाजपा नेताओं व गुज्जर समाज द्वारा क्षत्रिय इतिहास विकृतीकरण के कुछ अन्य उदाहरण---

राजस्थान का वरिष्ठ भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया राणा पुंजा सोलंकी को भील बताता है जबकि शिवराज सिंह चौहान वीरांगना दुर्गावती को गोंड जनजाति से जोड़कर ट्वीट करते हैं‼️‼️

गुज्जर संगठन पिछले कई दशक से क्षत्रियों के इतिहास पर अनधिकृत व बलात कब्जा जमाने के लिये प्रयासरत हैं ,वो मोटा पैसा ख़र्च करके शोध छात्रों से अपने समर्थन में फर्जी रिसर्च पेपर छपवा रहे हैं, गुज्जरों द्वारा फर्जी बुक्स लिखवाई जा रही हैं, सँस्कृति मंत्रालय व ASI तक में घुसपैठ कर रहे हैं, न्यूज़ चैनल व न्यूज़ एजेंसी में अपने फर्जी लेख छपवाते हैं।तनुजा कोठियाल जैसी इतिहासकार , केके मौहम्मद जैसे पुरातत्वविद, सुमंत भट्टाचार्य जैसे सोशल मीडिया एक्टिविस्ट लालच व क्षत्रियों से द्वेष के वशीभूत इनके प्रोपगैंडा का साथ दे रहे हैं। यही नही विकिपीडिया पर क्षत्रिय वँशो के आर्टिकल अपने मनमुताबिक एडिट करवा लेते हैं, और उनके इस षड्यंत्र में उनके समाज का हर पार्टी का छोटा बड़ा नेता ,उद्योगपति, रियल एस्टेट व्यवसायी उनके साथ है ,जबरदस्त फंडिंग हो रही है। हर प्रकार की विचारधारा चाहे राष्ट्रवादी हों या वामपंथी, पाकिस्तानी मुस्लिम गुज्जर हों, भीम आर्मी हो, मण्डल आर्मी हो, या दिलीप सी मण्डल जैसा अम्बेडकरवादी सब इनके साथ खड़े नजर आते हैं‼️‼️

जबकि क्षत्रिय समुदाय का कोई नेता अपने  समाज का साथ देना तो दूर इस मुद्दे पर भी अपने वोटबैंक के स्वार्थ के लिये या तो समाज के युवाओं को कोस रहे हैं या किंकर्तव्यविमूढ़ होकर पार्टी अनुशासन के बहाने मुँह पर टेप लगाए हुए हैं ,क्या पार्टियो का अनुशासन गुज्जर नेताओ पर लागू नही होता??हिन्दू एकता की बात करने वाले इन गुज्जरों को क्यों नही समझाते??

कई दशक से ये षडयंत्र चल रहा है पर हिन्दू एकता व सामाजिक सद्भाव के नाम पर क्षत्रिय समुदाय लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करता रहा और ये अपने दुष्कृत्यों में निरंतर लगे रहे, अब पानी सर से ऊपर गुजर गया तो प्रतिकार करना अवश्यम्भावी है 👊👊

क्षत्रिय इतिहास विकृतीकरण के पीछे भाजपा का मकसद--

दरअसल भाजपा का मालूम है कि क्षत्रिय उसके अंधभक्त हैं वो कहीं नही जाने वाले, क्षत्रियो के पास अब सिर्फ एक दौलत बची है वो है उसके पूर्वजों का गौरवशाली इतिहास, यही सबसे बड़ी पूंजी है।
भाजपा थिंक टैंक हर किसान व ओबीसी जातियों को कोई न कोई ऐतिहासिक नायक जिसने अरबों तुर्कों मुगलों का सामना किया था उनका वंशज बताकर उनमें हिंदुत्व व गौरव की भावना भरकर अपना वोटबैंक बनाना चाहती है इसीलिए भर/पासी समुदाय को राजपूत सम्राट सुहेलदेव बैस की पहचान देने का प्रयास हुआ, रानी दुर्गावती चंदेल को गोंड जनजाति से जोड़ा गया, राणा पुंजा सोलंकी को भील पहचान दी गयी और सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार को गुज्जर समाज से जोड़ने का कुत्सित प्रयास किया गया।

अपने प्रतिबद्ध सामाजिक वर्ग के इतिहास को भाजपा व संघ परिवार दूसरो के तुष्टीकरण के लिये खैरात के रूप मे बांट रहा है,कथित राष्ट्रवादियों की चले तो क्षत्रिय समाज को बस महाराणा प्रताप तक ही सीमित करके ,बाकी सबको गद्दार घोषित कर दिया जाए, यही नैरेटिव वो पिछले कई दशक से बना रहे हैं।

अब क्षत्रिय समुदाय के पास सिवाय इतिहास के औऱ बचा ही क्या है??

कांग्रेस ने अंग्रेजो व वामपंथियों के लिखे इतिहास के आधार पर क्षत्रियों के 10 हजार साल के इतिहास को मात्र 500 साल (7 वी सदी से 12 वी सदी राजपूत काल) तक सीमित कर दिया था, और अब ये तथाकथित राष्ट्रवादी हमसे हमारा ये बचा खुचा गौरव भी छीन लेना चाहते हैं‼️‼️‼️

क्या आप ऐसा होने देंगे या प्रतिकार करेंगे??

जी नही, हम अपने पूर्वजों के लिये लड़ेंगे और इतिहास विकृतीकरण की हर कोशिश का मुंहतोड़ जवाब देंगे 🙏👊🤝💪

जय जय श्रीराम

15 comments:

  1. Bhaut hi achha lekh hai ,,,

    ReplyDelete
  2. Bilkul sahi yahi baat hai ,,,,,, BJP soft change kar rahi hamari kshatriya history ko tahas nahas ka rahi ,,,wahi kaam jo pahale congresss ne #maharanpratap ke sandarbh me kiya ,,,,,, koi apne samaj ke liye nahi hai,, ,,,,

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छा लेख लिखा है

    ReplyDelete
  4. एकदम सही तथ्य है भाई

    ReplyDelete
  5. क्षत्रिय⚔️🚩April 22, 2024 at 4:12 AM

    पहले हम मुगलों से लड़े फिर अंग्रेजो से लड़े अब सरकारों और जाति चोरों से लड़ रहे हैं हम अपना प्रतिनिधि चुनना होगा जो जीतकर सांसद में हमारे लिए बोले बड़े मंच पर हमारे इतिहास विकृतिकरण का विरोध कर हमें महाराणा प्रताप जी के अलावा मिहिरभोज जी और अनगपाल तोमर जी की प्रतिमाएं बड़े स्तर के मंत्रियों से लगवानी होंगी जिससे जाति चोरों की गेंद का कीड़ा शांत हो

    ReplyDelete
  6. क्षत्रिय⚔️🚩April 22, 2024 at 4:12 AM

    पहले हम मुगलों से लड़े फिर अंग्रेजो से लड़े अब सरकारों और जाति चोरों से लड़ रहे हैं हम अपना प्रतिनिधि चुनना होगा जो जीतकर सांसद में हमारे लिए बोले बड़े मंच पर हमारे इतिहास विकृतिकरण का विरोध कर हमें महाराणा प्रताप जी के अलावा मिहिरभोज जी और अनगपाल तोमर जी की प्रतिमाएं बड़े स्तर के मंत्रियों से लगवानी होंगी जिससे जाति चोरों की गेंद का कीड़ा शांत हो

    ReplyDelete
  7. बहुत ही अच्छा लेख। हमे अपने इतिहास एवं पूर्वजों को संरक्षितकरने का सामूहिक प्रयास करना होगा।

    ReplyDelete
  8. True I m totally agreed with your point of view

    ReplyDelete
  9. सारगर्भित

    ReplyDelete
  10. Jai rajputana Jai Maa bhavani 🙏 🙏 🙏 🙏

    ReplyDelete
  11. Jay rajputana 🚩

    ReplyDelete
  12. अब समय बदल रहा है राजपूत समाज जाग चुका है बस कुछ भाजपूत और जाग जाये

    ReplyDelete
  13. बहुत ही शानदार लेख, धन्यवाद, पोइन्ट नम्बर 4 से असहमत हूं, ये सभी क्षत्रिय राजनेता समाज द्रोही है सत्ता के लालच में, गद्दार

    ReplyDelete