यदुवंशी क्षत्रिय राजपूत(THE REAL YADAV)---------
कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़े और अधिक से अधिक शेयर करें,अगर कोई असहमति अथवा नवीन जानकारी हो तो कमेंट के माध्यम से सभ्य शब्दों में जरुर अवगत कराएं,आपका स्वागत है......
आज हम आपको सच्चे यदुवंशी क्षत्रिय राजपूतो और आजकल छदम यादव उपनाम लिखने वालो के बारे में सटीक जानकारी देंगे।
जब जब धर्म की हानि होती है अधर्म का जोर बढ़ता है तो भगवान नारायण क्षत्रिय वर्ण में अवतार लेकर आतताइयों का संहार करते हैं.क्षत्रियों में सुर्यवंश की रघुवंश शाखा में भगवान श्री राम के रूप में और चन्द्रवंश की यदुवंशी शाखा में योगिराज श्री कृष्ण के रूप में नारायण ने अवतार लिया..........
श्रीकृष्ण अवतार पूर्ण अवतार माना जाता है.श्री कृष्ण ने कंस जैसे अत्याचारी का वध किया और महाभारत के युद्ध में पांड्वो का पक्ष लेकर धर्मयुद्ध में सहायक बने.
श्री कृष्ण के जीवनकाल में ही गांधारी के श्राप से यदुवंश में गृह युद्ध हुआ जिससे यदुवंश का विनाश हो गया.....
श्रीकृष्ण का बाल्यकाल में लालन पालन नन्दबाबा के यहाँ हुआ था,नन्दबाबा गोकुल में अहीरो से कर वसूलने का कार्य करते थे,जबकि श्री कृष्ण यदुवंशी क्षत्रिय थे.....
पर पिछले सौ सालो से सभी अहीरों ने भगवान् श्री कृष्ण से जोड़कर खुद को यादव लिखना शुरू कर दिया है.....पर ये एक ऐसा झूठ है जिसने सच का रूप धारण कर लिया है,
जबकि महाभारत के मुसल पर्व में साफ़ लिखा है कि जब अर्जुन बचे हुए यदुवंशी स्त्री बच्चो को द्वारिका से वापस लेकर आ रहे थे तो मार्ग में उन्हें अभिरो अहीरों ने लूट लिया था।
तभी कहा गया कि
" समय होत बलवान,अभीरन लूटी गोपिका वही अर्जुन ,वही बाण!"।
जिन्होंने यदुवंशी स्त्रियों बच्चो को असहाय स्थिति में लूट लिया था विडम्बना देखिये आज वही अहीर यादव उपनाम लिखने लगे और असली यदुवंशी राजपूतो ने भाटी ,जादौन,जडेजा आदि नये उपनाम धारण कर लिए।
19 वी सदी तक भी अहीर खुद को यादव नही मानते थे।रेवाड़ी के यदुवंशी अहीर खुद को राजपूत ही मानते थे जो पितृ पक्ष की और से यदुवंशी राजपूत थे। पर लगभग सन1920 में अहिरो की सभा हुई जिसके बाद ग्वाल ,गोप,अहर,घोसी,कमरिया अहिरो ने अचानक से यादव उपनाम लिखना शुरू कर दिया।
जबकि गुजरात,महाराष्ट्र के अहीर आज भी खुद को यादव नही लिखते हैं।
शुद्ध रक्त के यदुवंशी क्षत्रिय सिर्फ राजपूतो और मराठो में जादौन, भाटी,जडेजा, चुडासमा,जाधव,छोकर,सलारिया
जब जब धर्म की हानि होती है अधर्म का जोर बढ़ता है तो भगवान नारायण क्षत्रिय वर्ण में अवतार लेकर आतताइयों का संहार करते हैं.क्षत्रियों में सुर्यवंश की रघुवंश शाखा में भगवान श्री राम के रूप में और चन्द्रवंश की यदुवंशी शाखा में योगिराज श्री कृष्ण के रूप में नारायण ने अवतार लिया..........
श्रीकृष्ण अवतार पूर्ण अवतार माना जाता है.श्री कृष्ण ने कंस जैसे अत्याचारी का वध किया और महाभारत के युद्ध में पांड्वो का पक्ष लेकर धर्मयुद्ध में सहायक बने.
श्री कृष्ण के जीवनकाल में ही गांधारी के श्राप से यदुवंश में गृह युद्ध हुआ जिससे यदुवंश का विनाश हो गया.....
श्रीकृष्ण का बाल्यकाल में लालन पालन नन्दबाबा के यहाँ हुआ था,नन्दबाबा गोकुल में अहीरो से कर वसूलने का कार्य करते थे,जबकि श्री कृष्ण यदुवंशी क्षत्रिय थे.....
पर पिछले सौ सालो से सभी अहीरों ने भगवान् श्री कृष्ण से जोड़कर खुद को यादव लिखना शुरू कर दिया है.....पर ये एक ऐसा झूठ है जिसने सच का रूप धारण कर लिया है,
जबकि महाभारत के मुसल पर्व में साफ़ लिखा है कि जब अर्जुन बचे हुए यदुवंशी स्त्री बच्चो को द्वारिका से वापस लेकर आ रहे थे तो मार्ग में उन्हें अभिरो अहीरों ने लूट लिया था।
तभी कहा गया कि
" समय होत बलवान,अभीरन लूटी गोपिका वही अर्जुन ,वही बाण!"।
जिन्होंने यदुवंशी स्त्रियों बच्चो को असहाय स्थिति में लूट लिया था विडम्बना देखिये आज वही अहीर यादव उपनाम लिखने लगे और असली यदुवंशी राजपूतो ने भाटी ,जादौन,जडेजा आदि नये उपनाम धारण कर लिए।
19 वी सदी तक भी अहीर खुद को यादव नही मानते थे।रेवाड़ी के यदुवंशी अहीर खुद को राजपूत ही मानते थे जो पितृ पक्ष की और से यदुवंशी राजपूत थे। पर लगभग सन1920 में अहिरो की सभा हुई जिसके बाद ग्वाल ,गोप,अहर,घोसी,कमरिया अहिरो ने अचानक से यादव उपनाम लिखना शुरू कर दिया।
जबकि गुजरात,महाराष्ट्र के अहीर आज भी खुद को यादव नही लिखते हैं।
शुद्ध रक्त के यदुवंशी क्षत्रिय सिर्फ राजपूतो और मराठो में जादौन, भाटी,जडेजा, चुडासमा,जाधव,छोकर,सलारिया
हैह य,कलचुरी,सरवैया आदि वंशो में मिलते हैं,
इन सब यदुवंशी क्षत्रिय शाखाओ और उनकी रियासतों की पूरी डिटेल हम अलग से दंगे।
श्री कृष्ण जी का छत्र जो आज भी जैसलमेर मे श्री कृष्ण जी वंशज भाटी वंश के राजपूत परिवार पर सुरक्षित रखा हुआ है जो इस बात का सबसे पुख्ता सबूत है कि श्री कृष्ण जी के असली वंशज भाटी है ना कि वो लोग जो तथ्यहीन बाते और लोगो को बरगलाने के स्वघोषित श्री कृष्ण जी के वंशज खुद को बताकर राग अलाप रहे है --!!
हाल ही में गुजरात में न्यायालय द्वारा जाडेजा राजपूतों को श्रीकृष्ण का वंशज होने की मान्यता दी गयी है।
अन्य समाज में यदुवंश या तो राजपूत पुरुषों के उन वर्गों की महिलाओ से अंतरजातीय विवाह से उत्पन्न हुआ है अथवा उन्होंने छदम यदुवंशी का रूप धारण कर लिया है......
कुछ यदुवंशी अंतरजातीय विवाह के कारण जाटों में भी मिल गये हैं,जैसे
इन सब यदुवंशी क्षत्रिय शाखाओ और उनकी रियासतों की पूरी डिटेल हम अलग से दंगे।
श्री कृष्ण जी का छत्र जो आज भी जैसलमेर मे श्री कृष्ण जी वंशज भाटी वंश के राजपूत परिवार पर सुरक्षित रखा हुआ है जो इस बात का सबसे पुख्ता सबूत है कि श्री कृष्ण जी के असली वंशज भाटी है ना कि वो लोग जो तथ्यहीन बाते और लोगो को बरगलाने के स्वघोषित श्री कृष्ण जी के वंशज खुद को बताकर राग अलाप रहे है --!!
हाल ही में गुजरात में न्यायालय द्वारा जाडेजा राजपूतों को श्रीकृष्ण का वंशज होने की मान्यता दी गयी है।
अन्य समाज में यदुवंश या तो राजपूत पुरुषों के उन वर्गों की महिलाओ से अंतरजातीय विवाह से उत्पन्न हुआ है अथवा उन्होंने छदम यदुवंशी का रूप धारण कर लिया है......
कुछ यदुवंशी अंतरजातीय विवाह के कारण जाटों में भी मिल गये हैं,जैसे
भरतपुर का राजवंश--
करौली के जादौन राजपूत बालचंद्र नेे सोरोत गोत्र की जाट कन्या का डोला लूटकर उससे विवाह कर लिया।उसकी संतान जाटों में मिल गयी और उससे उनमे सिनसिनवार वंश चला और भरतपुर की गद्दी की स्थापना की।
पटियाला,नाभा,जीन्द फरीदकोट की जट्ट सिख रियासते----
जैसलमेर के भाटी राजपूत पंजाब 12 वी सदी में पंजाब आये। इनमे से फूल सिंह ने जाट लडकी से शादी की जिनकी सन्तान आज सिद्धू,बराड आदि जट्ट सिख हैं इन्होने वहां पटियाला,नाभा,जीन्द,फरीदकोट आदि रियासत स्थापित की जो आज फूल्किया कहलाती हैं।जो शुद्ध रहे उन्होंने हिमाचल की सिरमौर रियासत स्थापित की।
एनसीआर के भाटी गुज्जर----
जैसलमेर के रावल कासव और रावल मारव बुलंदशहर आये इन्होने यहाँ धूम मानिकपुर रियासत की स्थापना की जिसमे 360 गाँव थे। पर बाद में यहाँ के बहुत से भाटी राजपूत समीपवर्ती गूजरो से शादी विवाह करके गूजरो में शामिल हो गये और आज भाटी गूजर कहलाते हैं।इस इलाके में और समीपवर्ती पलवल में आज भी भाटी राजपूत पाए जाते हैं।
शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह----
स्वयं पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह जिनके पूर्वज सांसी जाति के थे और बाद में शक्तिशाली होने के कारण इस वंश के साथ दुसरे सिख जाट मिसलदारो ने शादी विवाह किये जिससे यह सांसी जाति से निकलकर जाटों में शामिल हो गये,यह सांसी जाति अपनी उत्पत्ति सांसमल नाम के भाटी राजपूत से मानती है,इनका वंश सांसी जाति से निकलकर जाटों में संधावालिया कहलाया.
इसी तरह पंजाब और हरियाणा का सैनी(शुद्ध सैनी न कि माली) समुदाय भी मूल रूप से मथुरा का यदुवंशी है
इसी प्रकार मुस्लिम मेव जाति में भी यदुवंश पाया जाता है।
भारत में शुद्ध क्षत्रिय राजपूत यदुवंशियों की प्रमुख रियासते करौली,जैसलमेर,कच्छ,भुज राजकोट, जामनगर,सिरमौर,मैसूर आदि हैं.
दक्षिण का विजयनगर साम्राज्य, होयसल,देवगिरी आदि भी यदुवंशियो के बड़े राज्य थे।
पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में भी बड़े बड़े भाटी मुस्लिम राजपूत जमीदार हैं,सिंध में सम्मा,भुट्टो,भुट्टा भी यदुवंशी राजपूत हैं।...
उत्तर पश्चिम भारत के अतिरिक्त महाराष्ट्र में भी मराठा क्षत्रियो में जाधव वंश(यदुवंशी) पाया जाता है.छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भी यदुवंशी क्षत्राणी थी,दक्षिण की अर्यासु जाति और राजू जाति में भी यदुवंश मिलता है।
हमारे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षत्रिय बन्धु अक्सर यदुवंशी राजपूत शब्द पर भ्रमित हो जाते हैं क्योंकि उस इलाके में यदुवंशी राजपूत न के बराबर हैं
और वो अक्सर अहीर ग्वालों को ही यदुवंशी समझते हैं,
दरअसल श्रीकृष्ण का जन्म यदुवंशी क्षत्रियों में हुआ था,परिस्थितिवश उनका लालन पालन गोकुल में आभीर ग्वालों के बीच हुआ था,जबकि उन ग्वालो का यदुवंश से कोई सम्बन्ध नही था।
श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणी से प्रधुम्न हुए,प्रधुम्न के अनिरुद्ध और अनिरुद्ध के वज्रनाभ हुए जिनका पांडवो द्वारा इंद्रप्रस्थ की गद्दी पर राज्याभिषेक किया गया,
आज के जादौन, भाटी, जाड़ेजा, चुडासमा, सरवैया, रायजादा,सलारिया, छोकर, जाधव राजपूत ही श्रीकृष्ण के वास्तविक वंशज हैं ।
जैसे यमुना का नाम अपभ्रंश होकर जमुना हो गया इसी तरह आम बोल चाल की भाषा में बृज के यदुवंशी पहले यादव से जादव फिर जादों और जादौन कहलाए जाने लगे,
जबकि भाटी जाड़ेजा आदि यदुवंशी शाखाएं नए वंशनाम से प्रसिद्ध हो गयी,
इसका लाभ उठाकर सन् 1915 में ब्रिटिश काल में अहीर,गोप, ग्वाला, अहर ,कमरिया, घोसी जैसी अलग अलग जातियों ने मिलकर एक संस्था बनाई और मिलकर खुद को यादव घोषित कर दिया ,जबकि उससे पहले किसी रिकॉर्ड अभिलेख में इन अलग अलग जातियो को कभी यादव नही कहा गया न ही ये खुद को यादव कहते थे,
दरअसल आज जो यादव जाति कहलाई जाती है वो कम से कम एक दस बारह अलग अलग जातियों का एक समूह है जिसने महज सौ वर्ष पहले खुद को यादव घोषित कर दिया और एकता के बल पर राजनैतिक ताकत हासिल करके एक झूठ को सत्य के रूप में प्रचारित कर दिया।।
आज भी इन नकली यादवो की अलग अलग जातियो में आपस में विवाह सम्बन्ध नही होते,सिर्फ राजनैतिक ताकत के लिए ये एकजुट हैं।
सिर्फ हरियाणा रेवाड़ी के अहीर यदुवंशी कहे जा सकते हैं क्योंकि ये खुद को यदुवंशी राजपूतो से अंतर्जातीय विवाह सम्बन्धो द्वारा अहीरों में जाना बताते थे अब ताकतवर होकर वो भी मुकरने लगे हैं
कुछ और तथ्य----------
1---हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी यदुवंशी राजपूत हैं
2---परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय मेजर शैतान सिंह भाटी और परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय गुरुबचन सिंह सलारिया यदुवंशी राजपूत थे।।
विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस जीतने वाले नामदेव जाधव भी यदुवंशी मराठा राजपूत थे ��
3--पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ भी यदुवंशी भाटी राजपूत थे।
4--छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भी यदुवंशी मराठा राजपूत थी
5--ओलम्पिक में भारत की ओर से पहला व्यक्तिगत पदक जितने वाले पहलवान केडी जादव भी मराठा राजपूत थे,
6--शेरे पंजाब पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह भी यदुवंशी भाटी राजपूतो के वंशज थे,
7--भरतपुर के जाट राजा और पटियाला नाभा जींद कैथल फरीदकोट के जट्ट सिक्ख राजा भी खुद को आज भी यदुवंशी राजपूतो का वंशज मानते हैं जिनके पूर्वज जाट महिलाओ से शादी करके जाट बन गए थे।।
कितनी विडम्बना है कि आज असली यदुवंशियो को कोई नही जानता और फर्जी यदुवंशी सारे देश में सिर्फ सौ सालो के भीतर छदम पहचान से छा गए हैं।
खैर योगीराज श्री कृष्ण ईश्वर का अवतार हैं,उनकी आराधना का अधिकार समस्त सनातन धर्मावलम्बियों को है.....
पर सच क्या है और झूठ क्या है ये सबके सामने आना चाहिए।
सभी यदुवंशी क्षत्रियों राजपूतो मराठों से विनती है कि अपने नाम के आगे शाखा के साथ साथ यदुवंशी जरुर लिखें।
जय श्रीकृष्ण जय राजपुताना जय क्षात्र धर्म, जय यदुवंश
पटियाला,नाभा,जीन्द फरीदकोट की जट्ट सिख रियासते----
जैसलमेर के भाटी राजपूत पंजाब 12 वी सदी में पंजाब आये। इनमे से फूल सिंह ने जाट लडकी से शादी की जिनकी सन्तान आज सिद्धू,बराड आदि जट्ट सिख हैं इन्होने वहां पटियाला,नाभा,जीन्द,फरीदकोट
एनसीआर के भाटी गुज्जर----
जैसलमेर के रावल कासव और रावल मारव बुलंदशहर आये इन्होने यहाँ धूम मानिकपुर रियासत की स्थापना की जिसमे 360 गाँव थे। पर बाद में यहाँ के बहुत से भाटी राजपूत समीपवर्ती गूजरो से शादी विवाह करके गूजरो में शामिल हो गये और आज भाटी गूजर कहलाते हैं।इस इलाके में और समीपवर्ती पलवल में आज भी भाटी राजपूत पाए जाते हैं।
शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह----
स्वयं पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह जिनके पूर्वज सांसी जाति के थे और बाद में शक्तिशाली होने के कारण इस वंश के साथ दुसरे सिख जाट मिसलदारो ने शादी विवाह किये जिससे यह सांसी जाति से निकलकर जाटों में शामिल हो गये,यह सांसी जाति अपनी उत्पत्ति सांसमल नाम के भाटी राजपूत से मानती है,इनका वंश सांसी जाति से निकलकर जाटों में संधावालिया कहलाया.
इसी तरह पंजाब और हरियाणा का सैनी(शुद्ध सैनी न कि माली) समुदाय भी मूल रूप से मथुरा का यदुवंशी है
भारत में शुद्ध क्षत्रिय राजपूत यदुवंशियों की प्रमुख रियासते करौली,जैसलमेर,कच्छ,भुज राजकोट, जामनगर,सिरमौर,मैसूर आदि हैं.
दक्षिण का विजयनगर साम्राज्य, होयसल,देवगिरी आदि भी यदुवंशियो के बड़े राज्य थे।
पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में भी बड़े बड़े भाटी मुस्लिम राजपूत जमीदार हैं,सिंध में सम्मा,भुट्टो,भुट्टा भी यदुवंशी राजपूत हैं।...
उत्तर पश्चिम भारत के अतिरिक्त महाराष्ट्र में भी मराठा क्षत्रियो में जाधव वंश(यदुवंशी) पाया जाता है.छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भी यदुवंशी क्षत्राणी थी,दक्षिण की अर्यासु जाति और राजू जाति में भी यदुवंश मिलता है।
हमारे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षत्रिय बन्धु अक्सर यदुवंशी राजपूत शब्द पर भ्रमित हो जाते हैं क्योंकि उस इलाके में यदुवंशी राजपूत न के बराबर हैं
और वो अक्सर अहीर ग्वालों को ही यदुवंशी समझते हैं,
दरअसल श्रीकृष्ण का जन्म यदुवंशी क्षत्रियों में हुआ था,परिस्थितिवश उनका लालन पालन गोकुल में आभीर ग्वालों के बीच हुआ था,जबकि उन ग्वालो का यदुवंश से कोई सम्बन्ध नही था।
श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणी से प्रधुम्न हुए,प्रधुम्न के अनिरुद्ध और अनिरुद्ध के वज्रनाभ हुए जिनका पांडवो द्वारा इंद्रप्रस्थ की गद्दी पर राज्याभिषेक किया गया,
आज के जादौन, भाटी, जाड़ेजा, चुडासमा, सरवैया, रायजादा,सलारिया, छोकर, जाधव राजपूत ही श्रीकृष्ण के वास्तविक वंशज हैं ।
जैसे यमुना का नाम अपभ्रंश होकर जमुना हो गया इसी तरह आम बोल चाल की भाषा में बृज के यदुवंशी पहले यादव से जादव फिर जादों और जादौन कहलाए जाने लगे,
जबकि भाटी जाड़ेजा आदि यदुवंशी शाखाएं नए वंशनाम से प्रसिद्ध हो गयी,
इसका लाभ उठाकर सन् 1915 में ब्रिटिश काल में अहीर,गोप, ग्वाला, अहर ,कमरिया, घोसी जैसी अलग अलग जातियों ने मिलकर एक संस्था बनाई और मिलकर खुद को यादव घोषित कर दिया ,जबकि उससे पहले किसी रिकॉर्ड अभिलेख में इन अलग अलग जातियो को कभी यादव नही कहा गया न ही ये खुद को यादव कहते थे,
दरअसल आज जो यादव जाति कहलाई जाती है वो कम से कम एक दस बारह अलग अलग जातियों का एक समूह है जिसने महज सौ वर्ष पहले खुद को यादव घोषित कर दिया और एकता के बल पर राजनैतिक ताकत हासिल करके एक झूठ को सत्य के रूप में प्रचारित कर दिया।।
आज भी इन नकली यादवो की अलग अलग जातियो में आपस में विवाह सम्बन्ध नही होते,सिर्फ राजनैतिक ताकत के लिए ये एकजुट हैं।
सिर्फ हरियाणा रेवाड़ी के अहीर यदुवंशी कहे जा सकते हैं क्योंकि ये खुद को यदुवंशी राजपूतो से अंतर्जातीय विवाह सम्बन्धो द्वारा अहीरों में जाना बताते थे अब ताकतवर होकर वो भी मुकरने लगे हैं
कुछ और तथ्य----------
1---हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी यदुवंशी राजपूत हैं
2---परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय मेजर शैतान सिंह भाटी और परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय गुरुबचन सिंह सलारिया यदुवंशी राजपूत थे।।
विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस जीतने वाले नामदेव जाधव भी यदुवंशी मराठा राजपूत थे ��
3--पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ भी यदुवंशी भाटी राजपूत थे।
4--छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भी यदुवंशी मराठा राजपूत थी
5--ओलम्पिक में भारत की ओर से पहला व्यक्तिगत पदक जितने वाले पहलवान केडी जादव भी मराठा राजपूत थे,
6--शेरे पंजाब पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह भी यदुवंशी भाटी राजपूतो के वंशज थे,
7--भरतपुर के जाट राजा और पटियाला नाभा जींद कैथल फरीदकोट के जट्ट सिक्ख राजा भी खुद को आज भी यदुवंशी राजपूतो का वंशज मानते हैं जिनके पूर्वज जाट महिलाओ से शादी करके जाट बन गए थे।।
कितनी विडम्बना है कि आज असली यदुवंशियो को कोई नही जानता और फर्जी यदुवंशी सारे देश में सिर्फ सौ सालो के भीतर छदम पहचान से छा गए हैं।
खैर योगीराज श्री कृष्ण ईश्वर का अवतार हैं,उनकी आराधना का अधिकार समस्त सनातन धर्मावलम्बियों को है.....
पर सच क्या है और झूठ क्या है ये सबके सामने आना चाहिए।
सभी यदुवंशी क्षत्रियों राजपूतो मराठों से विनती है कि अपने नाम के आगे शाखा के साथ साथ यदुवंशी जरुर लिखें।
जय श्रीकृष्ण जय राजपुताना जय क्षात्र धर्म, जय यदुवंश
Kisnaut yadav kisme ate h. Kisnaut gotra.
ReplyDeleteNo kisnauth koi gotra nhi balki parich hy bhai i am yaduvanshi kshritya in( manjhraut ) from patna
DeleteWho are then tambolis?
DeleteI am not satisfying
DeleteBhai mai manjhraut yadav hu.ye to yaduvanshi Kshatriya hai na
Deleteअहीरों की ऐतिहासिक उत्पत्ति को लेकर विभिन्न इतिहासकर एकमत नहीं हैं। परंतु महाभारत या श्री मदभागवत गीता के युग मे भी यादवों के आस्तित्व की अनुभूति होती है तथा उस युग मे भी इन्हें आभीर,अहीर, गोप या ग्वाला ही कहा जाता था।[21] कुछ विद्वान इन्हे भारत मे आर्यों से पहले आया हुआ बताते हैं, परंतु शारीरिक गठन के अनुसार इन्हें आर्य माना जाता है।[22] पौराणिक दृष्टि से, अहीर या आभीर यदुवंशी राजा आहुक के वंशज है।[23] शक्ति संगम तंत्र मे उल्लेख मिलता है कि राजा ययाति के दो पत्नियाँ थीं-देवयानी व शर्मिष्ठा। देवयानी से यदु व तुर्वशू नामक पुत्र हुये। यदु के वंशज यादव कहलाए। यदुवंशीय भीम सात्वत के वृष्णि आदि चार पुत्र हुये व इनहि की कई पीढ़ियों बाद राजा आहुक हुये, जिनके वंशज आभीर या अहीर कहलाए।[24]
ReplyDelete“ आहुक वंशात समुद्भूता आभीरा इति प्रकीर्तिता।(शक्ति संगम तंत्र, पृष्ठ 164)[25] ”
इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि यादव व आभीर मूलतः एक ही वंश के क्षत्रिय थे तथा "हरिवंश पुराण" मे भी इस तथ्य की पुष्टि होती है।[26]
भागवत मेँ भी वसुदेव ने आभीर पति नन्द को अपना भाई कहकर संबोधित किया है व श्रीक़ृष्ण ने नन्द को मथुरा से विदा करते समय गोकुलवासियों को संदेश देते हुये उपनन्द, वृषभान आदि अहीरों को अपना सजातीय कह कर संबोधित किया है। वर्तमान अहीर भी स्वयं को यदुवंशी आहुक की संतान मानते हैं।[27]
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, अहीरों ने 108 A॰D॰ मे मध्य भारत मे स्थित 'अहीर बाटक नगर' या 'अहीरोरा' व उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले मे अहिरवाड़ा की नीव रखी थी। रुद्रमूर्ति नामक अहीर अहिरवाड़ा का सेनापति था जो कालांतर मे राजा बना। माधुरीपुत्र, ईश्वरसेन व शिवदत्त इस बंश के मशहूर राजा हुये, जो बाद मे यादव राजपूतो मे सम्मिलित हो गये।[1]
Bahut achha tark laga.Krisna vansh ho yaa baaki Yadav Vansh ho, Hain to aakhir Yaduvansh hi.Yaduvansh me hi Rajaon ka jo Vansh Chala wahi Rajput kahalaya.
Delete1922 में मद्रास हाईकोर्ट ने मदुराई के यादव-आहिर को शूद्र घोषित किया था. जबकि वे क्षत्रिय होने का दावा कर रहे थे.
Delete1924 में भूमिहार जमीनदार नारायण सिंह ने बिहार के मुंगेर जिला के लाखुचक गाँव में जनेऊ पहनने का सामूहिक कार्यक्रम कर रहे यादवोँ पर सैकड़ोँ की सेना के साथ हमला किया था. नारायण सिंह का कहना था कि धर्म की रक्षा राजा का कर्तव्य है और शूद्र यादव जनेऊ धारण कैसे कर सकते है?.
Agar bhati jadav or anya jo tm bata rhe ho asli yaduvansi h to aaj tak kaha gaad mara rhe the jb tm keh rhe ki ahir asli yaduvansi nahi h to jb wo khud ko yaduvansi ghosit kar rhe the tb tumlog kaha gaad mara rhe the roka kyu nahi aaj tak bhati ya jadav ya or bhi jo tum keh rhe wo aaj bi kbi apna naam yaduvansh se jodd kar nahi dikate .tum kutto k wajah hinduo me ekta nahi h tmlog bhagwan ko jaise lgta h registry krwa liye ho sale .itna hi pramaan h tumare paas to suprim court kyu nahi chale jate ho .
DeleteAbe chutiye AHEER/HEER Koi caste nhi Hoti blki ek alag nasl hai.jinke purkhe ABHEER ke naam se Jane jate the.aur ABHEER Bharat me ane waale phle videshi logon me se ek hain..
DeleteAur rhi BAAT tere do Kaudi ke jhoomiharo ki to wo Koi raja nhi blki Muslimo ki gaand gulami krne waale log the.jiske purkhe bheekh maang mar khaate the...
Lekin is post me ek BAAT Shi hai AUR wo ki AHEER is not equal to YADAV.kyonki Aheer/Heer=ABHEER.
Smjha labour class Patel...
Yanhi mansikta to desh ke tukade kar rah h,wo raja aurngjeb ki tarah pagal tha,to usko mahan Mal liya jayega ki wo forward tha,Jo ki nirdosho pr jurm dha rha tha,paglo ka vo vanshaj raha hoga,qki aisa ghinaun kriya to sfed chamadi wale angrej karte the uske pardada unhi ke vanshaj rahe honge
DeleteAbe sun mai kisi ko bat nahi raha aur sun ek bat tuh nalanda aa ja labour class kaun hai dikha deta hu humare yanha abhi bhi tumhare caste wale kam karte hai par mai unki izat karta hu roz bhojan karwata inhi hatho se sale tum nahi samjhoge agar khud ko mahan kaihte ho toh aake inki help karo gar banbao humare kheto me maihnat majduri jo karte hai inki behan beti wo chhurbao samjhe aur patel labour class hai shayad beta tujhe achhe se patelo se bhet nahi huyi.Tum bhul gaye vallavh bhai patel chhatrapati shivaji maharaj ko south ke humare naidu reddy patel are tumhara abhi voice president kaun hai jara dekho samjhe.Labour class kya hota hai n beta tumse achha koi nahi samjhega phir v nadani
DeleteVaise patel bhai mehnat karna koi galat baat thode na hai . Chitrakoot ke ram sundar patel urf thokia, daddua patel , balkhadia patel ye sab yanha ke dacait hai , iske bare mein nahi bataya apne
Deleteyadv is best
DeleteBhai kya bat hai dacaito ke bare me turant bol diye magar chhatrapati shivaji vallavh bhai patel jinhone desh ko ek kiya us iron man ko bhul gaye aur dacait kis caste me nahi hai
DeleteKya Rewadi Yaduwanshi Aheer Yadav Nahi Hai
ReplyDeleteHain father side se
DeleteFather side mother side kuch nahi hota. Vansh sirf father se hota hai
Deleteबड़े आश्चर्य का विषय है कि आपको इन विद्वानों से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता है जिन्होंने वन वीक सीरीज पढ़ पढ़ कर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है वास्तव मैंने भारतीय इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं पता नहीं ऐसी बेहूदा बातें नहीं करते यादव और राजपूत दोनों अलग-अलग गांव में हैं दोनों अलग-अलग हैं इनका अलग-अलग इतिहास है कुछ लोगों से यादों का उत्कर्ष देखा नहीं जाता तो वह फूट डालने के लिए ऐसी बातें कह देते हैं यदुवंशियों को भारत वर्ष में देश काल और परिस्थिति के अनुसार अहीर ग्वाला को यादव यदुवंशी घोषी गोला ग्वाला इत्यादि अनेक समानार्थी नामों से जाना जाता है यह सब फिजूल की बातें बंद करें इससे पहले यादों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो महाभारत और द्वापर युग के ग्रंथों में यदुवंशियों का प्रचुर इतिहास भरा पड़ा है क्यों तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हैं आपने जो उक्ति को आधार बनाया है वह युक्ति ही स्वयं में गलत है मनुष्य बली नहीं होत है समय होत बलवान भीलन लूटी गोपियां वही अर्जुन वही बाण भीलों ने गोपियों को लूटा था अहीरों ने नहीं लूटा भलेमानस अपने ही वंश के लोगों को कोई कैसे लूट सकता है आपने जो जिस झूठी उक्ति के आधार पर यह झूठा तर्क खड़े करने का प्रयास किया है उसका झूठ तो शुरू में ही पकड़ा गया कोई ठोस आधार चुनते धन्यवाद
DeleteHum kisi se dikkat nahi hai bhai chahe thakur rajput Brahman etc phir pata anil bhai ye log aapas me fut kyon daalte hain
DeletePlease Bhai Ek bar khakhar Rajputo Ka history padh lo wo kis jati k the
ReplyDeleteAp ahir jati ke he bas
DeleteBhati ka khahi jikr nahi mahabhata mein
DeleteJhoota bol raha
Yadav cash khatma ho gaya gandhari me Sharpe se .tum kaha she ayey ho.
DeleteKrishna se hajaaron saal pahle se Yaduvanshi hain. Gandhari ke sharaap se Krishna k vanshaj Jyaada prabhavit hue thhe na ki other Yaduvanshi
DeleteBhai Parshuram k shraap se saare KSHATRIYA mar Gaye the tab aap kaha se aaye vahi se Yadav bhi aaye kya faaltu ka likhate ho yr ...
Deletegdha ko ghoda khate raho to kya vah ghoda jayeg is tarah ki bharam karane valee soochnaye na dale to achchha hoga
DeleteA. S. YADAV
Ha hai
DeleteARCHIOLOGICAL SARVEY OF INDIA K ANUSAR TRIKUTA K ABHIR (AHEER)HOYESEL YADAV DWARSAMUDRA K SEUNA YADAV,R=CHAUKUKYA VANSH K YADAV SABHI KRISHANA PUTRA SAMB AUR PRADUMAN K VANSHAJ HAI.CHUDASAMA RAJKUMAR GARHRIPU KO AHIR AUR YADAV DONO NAMO SE SAMBODHIT KIYA JATA HAI.MAUSHUL PARVA ME SPAST HAI KRISHAN NE SAMP KO SHOP DIYA THA KI TUMHARE PATNIYO KA BHOG ABHIR KARENGE WO ABHIR KOI AUR NAHI KRISHAN PUTRA ANIRUDH K VANSAJ THE JO US SAMAY ABHIRWAL K SARDAR THE ARJUN DWARA HASTINAPUR JATE SAMAY AURAT AUR BACHCHO KO LUTANE WALE ABHIR JO KRISHANK HI VANSHAJ THE JO KRISHAN K SAMAY ME HI ABHIRWAL K SASHAK BAN GAYE THE .JO BATD ME JANMEJAI K YAG ME NAGWANSHIYO K VINASH ME AHAM YOGDAN DENE K KARAN AHEER(AHI+ARI )NAGO K DUSHAMAN K SAMMAN SE SUSHOBHIT KIYE GAYE. PLEASE BE ONE PLEASE MERE EK SAWAL KA JAWAB DE AKHIR YADUWANSH K HI ITANE TUKADE KYO.
ReplyDeleteBhai abheet anirudh ke vansas kahan se hogye .... Anirudh ka beta jo pradyumn tha uski saadi kirat kingdom ke raja banasur ki betiusha se hua tha aur jb dwarka dub rhi thi to jo usha ka beta chotha balak tha naam tha braj nabh jisko arjun bacha kr lapya aur mathura jo andhak rajya ki rajdhani thi gaadi pr bithaya baad me braj nabh ne brajhmandal basaya .. aur tum bol rhey is bachey ke vansas bhi hogye bahut saarey abhir..
DeleteBrjh nathe Sri Krishna ji purv bête the..
DeleteO lokeshvar Singh Parduman Ka Beta anirudh tha.
DeleteYadavsn vansh ko gumrah mat Karo aaj yadav aage bad raha hai to bhed nikaley ja raje hai yadav he asli kshtrya hai.
Deleteअमरकोष मे गोप शब्द के अर्थ गोपाल, गोसंख्य, गोधुक, आभीर, वल्लब, ग्वाला व अहीर आदि बताये गए हैं।[5]
ReplyDeleteप्राकृत-हिन्दी शब्दकोश के अनुसार भी अहिर, अहीर, आभीर व ग्वाला समानार्थी शब्द हैं।[6] हिन्दी क्षेत्रों में अहीर, ग्वाला तथा यादव शब्द प्रायः परस्पर समानार्थी माने जाते हैं।.[7][8] वे कई अन्य नामो से भी जाने जाते हैं, जैसे कि गवली,[9] घोसी या घोषी,[10] तथा बुंदेलखंड मे दौवा अहीर।
आप बिल्कुल तथ्य सम्मत और प्रमाण की बात कह रहे हैं इसके लिए आपको साधुवाद
Deleteजिसने भी ये यादवो के बारे में ये सूचनाएं डाली है उसे यादव जाती के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है, पहली बात तो यादव चंद्रवंशी होते है, इसी कारण यादव क्षत्रिय होते है, दूसरी बात यादव भगवान श्री कृष्ण के ही वंशज है, तीसरी बात रही गांधारी के श्राप की तो अर्जुन ही द्वारका नगरी से यादवो को सुरक्षित ले कर आया था, चौथी बात राजपूत मतलब ठाकुर जाती के लोगो से नही होता इसलिये चंद्रवंसी होने के साथ यादव राजपूत भी है लेकिन इसका मतलब ठाकुर जाती के समुदाय से बिलकुल भी नहीं है, पांचवी और आखरी बात जो लोग यादव जाती पर सवाल उठाते है, वो यादव जाती से जेलस रखते है, और ऐसे लोग किसी भी जाती के सगे नहीं हो सकते। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपका
विनोद यादव
Advocate
म 9999561580
9971636880
Chamber No.606
Lawyers Chamber Block
Saket Courts Complex
New Delhi 110017
advocatevinodyadav@gmail.com
Yadav G mai apke sawal se puri tarah salamat hu aur apne ye baaten sahi batae hai aur apko to ye baat pataa hi hai ki yadav logo se har cost ke log jalate hai ahir to kashtriya hote hain jabki kashtriya kaa matalab thakur se nhi ek vir yodhdha se hai jabki yadav vir-ahir kashtriya Ahir hote hain thanks
DeleteYes right sir ��aur hame aware rahna Hoga
DeleteYadav jii actually main aap ye btaiye ki agar yadav three Krishna ke vanshaj hai to OBC main kiu aate hai ... Or koi rajput to ni ate OBC main ... Yadav jii khne se koi Yadav nii bann jaata or will baat Orr bataye Mahabharata main Arjun ke vanshaj ko tomar btaya gya h joki OBC main nhi aate or wo bhi Krishna ke relative the .....
DeleteYadav jii actually main aap ye btaiye ki agar yadav three Krishna ke vanshaj hai to OBC main kiu aate hai ... Or koi rajput to ni ate OBC main ... Yadav jii khne se koi Yadav nii bann jaata or will baat Orr bataye Mahabharata main Arjun ke vanshaj ko tomar btaya gya h joki OBC main nhi aate or wo bhi Krishna ke relative the .....
DeleteFir OBC m kiuu aate ho
DeleteGujarat ahir devayat bodar
Deleteओबीसी केटेगरी में आने का यह मतलब नहीं है कि यादव क्षत्रिय नहीं है यादव विश्व प्रसिद्ध क्षत्रिय चंद्र वंश से संबंधित रहे हैं आपको शायद मालूम नहीं राजस्थान की 5% राजपूत जातियों को भी आरक्षण दिया गया है और यह OBC में आती है इसके अलावा ओबीसी में ब्राह्मणों की 3 उप जातियां आती हैं जो आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए थे ओबीसी सूची 1992 में जारी की गई थी उससे पहले तो यादव जनरल में ही थे OBC केटेगरी में करने से यादवों का रक्त नहीं बदल जाता यह भ्रम धारणा फैलाना बंद करो क्या आप भारत के धार्मिक इतिहास में स्थान स्थान पर अहीर यादव जो समानार्थी शब्द के रूप में लिखा हुआ है उसे मिटा दोगे महाराज वसुदेव और नंद बाबा दोनों सगे चचेरे भाई हैं इनके वंशावली महाभारत में दी गई है इसके अतिरिक्त माता देवकी और रोहिणी रोहिणी जो बलराम की माता है वसुदेव की दूसरी पत्नी है किस को बेवकूफ बनाते हो यदुवंशियों का उत्कर्ष देखा नहीं जाता तो भाई अपनी आंखें बंद कर लो लेकिन इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कृपया ना करें इस प्रकार करने का कोई भी फायदा नहीं होगा क्योंकि सारा संसार जानता है भगवान कृष्ण यदुवंशी चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं नए की राजपूत राजपूत शब्द तो तब था ही नहीं यह तो सातवीं शताब्दी में महाराज हर्षवर्धन के पश्चात आया कुछ यदुवंशी क्षत्रिय कालांतर में राजपूतों में विलीन हो गए इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह कहना कि केवल वही विशुद्ध यादव हैं सर्वथा गलत है जिस प्रकार बरगद के मूल तने से शाखाएं निकलकर उसकी जटाएं एक वृक्ष का रूप धारण कर लेती हैं और फिर यह कहना कि यह जटाएं ही मूल है बहुत ही हास्यास्पद विषय है इस पर तनिक विचार करो क्यों हंसी के पात्र बनते हो
DeleteSri krishna k samay obc st sc ye sb nahi hota tha ye to rajput or brahmano ne khud ko ucha dikhane k liye kiya jara apni buddhi pe jor dalo
DeleteBhai kise chutiya bna rhe ho abhiran looti gopiya gop ki gopiya gop matlav aheer.... Sahi kahawat he bheelan looti gopiya
ReplyDeletesahi kaha bhai abhiran nahi bheelan h
Deleteneeraj bhai is pankti ko gujrati me bole to (kaba lute arjun ko) yese bolte he in sutiyo ne abhiran jod diya he
DeleteYadav Rajput hote he isse sehmat hu pr jadeja jadaun etc ye gotra the yaduvansh ke jo baad me rajya karne ke karan ek alag astitv ban gaye bo kewal yaduvansh ke gotra he puri Yadav jati nhi...... Or haa sabse phle Ham Hindu he sabhi bhai he ye divide bali soch Band karo
ReplyDeletebhai ye baat jra lalu n mulayam ko batao
DeleteYadavo ki branch se Jadeja or jadoun nikle h but bache huye asli yadavo ko.ahir bolkr unhe galat btaya Jata h ye galat h Jadeja jadunn k.alawa b ashli Yadav Yaduvanshi h unke baare m likno tb . Because na hm na ghosi na gwala na kamariya hm also Yadav h or cast m hme ahir Yadav likhna padta h to hm Ahir thodi ho Gye hm asli yadavo.me se h
Deletesahi kaha
Deleteसही कहा भाई हम असली यादव हैं
Deleteभाई मेरे परदादा से पहले से ही यादव अहीर लिखते आ रहे
ReplyDeleteहैआप 100 साल बोल रहे जबकि में 150 साल पहले की बात कर रहा
हुआप ऐसे फोकट के पोस्ट ना
करे
Sahi bat hy bhai because i am yadav (manjhraut )
DeleteSahu bole bhai
DeleteBhai 100 sal se ahir Yadav likh rahe hai aise gyani ko 100-100juto se pranam abhi hall hi me jail se riha huye kaidi chaudhi Yadav ki umr 104 sal hai aur unke pita shivdev Yadav the aur jail record me bhi yahi maujud hai air ha chauchaura (Gorakhpur) me pratham swatantrata sangram senaniyo ka jo nam darj hai usme bhi Yadav likha gaya hai .an hame apki ginati pr tajjub ho raha hai.1857 me 1st swatantrata sangram huwa tha jara ginati kr le kitane sal huwa.
DeleteYou know nothing 🖕
DeleteYadav koi caste nahi he apne cast certificate per delve.
ReplyDeleteभारत सरकार का कोई भी जातिगत दस्तावेज़ देखिये। अहीर आभीर यादव यदुवंशी ये सभी परिभाषित जातियाँ है और भारत का पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिसर्च के रिपोर्ट के अनुसार अहीर असली यदुवंशी है और इतिहास साबित करता है की कालांतर मे कुछ अहीरों ने खुद को यदुवंशी अहीर से यदुवंशी राजपूत मे परिवर्तित कर लिया। जो अपनी जड़ का नहीं वो किसी का नहीं। सभी जड़ है अहीर व गोप जाति। विकिपड़िया पढ़ लो भाति राजपूत भी cattle keeper अर्थात ग्वाले ही थे। किसको उल्लू बनाते हो। हमे क्या पढ्ना लिखना आता नहीं। अब वो प्राचीन ब्रहमिण युग नहीं है भाई। कुछ मुस्लिमों व इसाइयों से सीखो वो सबको एक समझते है और एक हिन्दू के नाम पे कलंक एसे लोग हे जो एक मे से निकले लोगो मे ऊंचा नीचा करके एक से अनेक बनाने मे लगे हो। धिक्कार जैसा काम।
Deletetum karo yo sahi ham kare to galat... rajput koi cattel palan wale nahi the vo warrior community hai.... yaha khoon sabit karta hai kon rajpoot hai or ko ahir. mulayam family ko up satta di gyi usko raj karna nahi aaya ... rajpoots ke khoon me raj karna hai... jo hinduo per goliya chalva de vo chhatriya ho hi nahi sakta...... vo bhi ram ke nam per
Deleteलालू ने राज करना नही आया और अखिलेशने 5 साल क्यों कर लिया पूरा, ओर एक बात अगर ठाकुरो को राज करना आता था तो देश ग़ुलाम क्यों हुआ
DeleteBhai Virender tu kya bol raha hai tu sikhayega ab Raaj karana ... Rehanedo do beta tumse na ho paayega Munna ..
DeleteVirendra ji , vedanusar 1 kshatriya ko yudh na hone ki sthiti me 2 karm alowed hain , krishi aur pashupalan.......sainik aur raja me antar hai , kintu dono kshatriya hain...raja ke vanshaj rajpoot aur sainik ke vanshaj kshatriya hote hain.....bechara sainik roji roti ke liye pashupalan ya kheti karne laga , to tum log unhe kshatriya nahi bol rahe ho , sharm karo .....
DeleteNanad baba k paas 9 lakh cows thi...wo pashupalak the...lekin krishna ke real chacha the , yaduvanshi the , isiliye aheero me 1 shakha nandvanshi bhi hai .....update ur knowledge.....aur koi garib hone se paraya nahi ho jaata...satya satya rahta hai
Beta apni caste to pata kar lo . Apna aslii baap ka naam pata kro mudit yadav ....
DeleteYadav likhne se yaduvanshi nhii ho jaoge....... BC
-- Thakur Bhanu Jadaun
Cost certificate program yadav likha h,hmare pr tumko Kya pta?tum manoge bhi nhi qki samntwadi soch wale tum sab
DeleteYadav koi caste nahi he apne cast certificate per delve.
ReplyDeleteअपना मेल आइ डी भेज और caste certificate देख।
DeleteBhati bhai ab tub hame btaoge..... Jo khud kab Yadav ki or bagte ho or kabhi rajput ki or ...... Hahahaha.
Deletephle tum to koi ek caste chun lo.... .
Mere caste certificate par Yadav hi likh h... Ek bar Central Govt OBC list dekh kar fir bol Or Yadav hamari caste All india me h or sub-caste ahir h... Central OBC me Yadav hi likh jata h. State OBC me us state ki sub-caste....
Tum shala pagal ho
DeleteMr. Parshant Bhati Ji theek kaha aap ne-- yadav koie cast nahi, I am asking you --aap batao ki aap ki cast kya hai, yadav to ek kul /vansh hai -- or aap --?
DeleteJay Shri Krishna - Jai Rajrajeshwari Kaila Devi
ReplyDeleteJay Shri Krishna - Jai Rajrajeshwari Kaila Devi
ReplyDeletejai ho jai kaila devi ki
DeleteJai kaila devi ki
Deleteग्वाल सखाओं की भी यही दशा है, कभी वे व्याकुल और अधीर होते हैं, कभी Ñष्ण की निष्ठुरता पर क्षुब्ध होकर कहते हैं-
ReplyDeleteभए हरि मधुपुरी-राजा, बड़े बंस कहाय।
सूत मागध बदत बिरुदहि बरनि बसुधौ तात।।
राजभूषन अंग भ्राजत, अहिर कहत लजाज।।
कहावत ऐसे नहीं है इस तरह गुमराह न करें असली कहावत इस तरह है। मनुष बली नहि होत है ,समय होत बलवान | भीलन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बान ||
ReplyDeleteDear Mr Vishnu , perhaps you Ahirs have created this
DeleteBecause Ahirs attack yaduvanshis not bhils
Vo bhil bhi krishanji hi banke aye the Arjun ka ghamand todne me liye
DeleteBhaiyo Yaduvansh se hi aheer Bane h PR iska MATLAB ye nhi ki Yadav Yaduvanshi kshtriy nhi h . Aheer ek branch h Yaduvansh ki . Yadav name lgane ki wajah s kshtriy Badal nhi jaate
ReplyDeleteChandravansh se Yaduvansh h or is se hi ahir Yadav or Yaduvanshi Rajput h . Yadav ek surname h jo chalta AA Raha h . Yadav lgane s Yadav aheer NI ho Gaye . Saare khstriy h .
ReplyDeleteagar aisa hai yo hamai govt. chutiya hsi ahiro ko reservation kyu. baki chhatiyo ko kyu nahi.... can u give any valid reason
DeleteBahi mere reservation unee di jati h jo population m jayada ho .. tere kahane ka mtlb h ki Google (Wikipedia)chutiya h ki yeh bata h ki yadav ahir yaduvanshi sab ek h tu chutiya h mere bahi aur ahiro k baare m mat bol jayada
DeleteYar vinay tujhe itna nahi pata ki google kya batata hai google ki apni data nahi ye tum log ki data hai jo tum log me se hi koi dalta hai aur google toh bus usko search karke tumhe dikha deta hai.Kya yar tum kis duniya me ji rahe ho
Deleteआहुक वंशात समुद्भूता आभीरा इति प्रकीर्तिता।(शक्ति संगम तंत्र, पृष्ठ 164
ReplyDeleteye prithviraj chauhan ka poster kyun lagaye ho...mujhe kuch samajh nahi aaya...main chauhan hun aur mujhe bhi bahut kuch pata hai.....aur bhaiyon jo pehle lade hai wo sab kshatriya hai....aur kshatriyon ko kuch bhi maangna nahi chahiye
ReplyDeleteSahi bat bole praduma yadav g i am yaduvanshi kshritya (manjhraut ) mantu singh yadav patna
ReplyDeleteYadavon ko shaap mila hua hai ki WO Kshatriya hokar bhi raja nahi ho sakte. Yah shaap chandravanshi raja yayati be apne bade bete yadu ko diya tha. Iske bavjood kai yadav mashoor raja bane par unme she adhikansh atyachari ho gaye jaise mahismati ka sahasrabahu air mathura ka kans. shayad shaap ullanghan ka fall ho. air tabse yadavon ki social status girti hi chali gayi. chunki yadav kul bahut purana hai kyunki rigved me yadu Jan ka varnan hai. Isliye sambhav hai ki us samay ke samaj me jab gopalan hi aaryon ka mukhya pesha tha to kai yadavon be use apnaya ho air aaj tak us parampara ko dho rage gain. Us samay to samaj varnvihin tha par bad me uttarvaidik kal me barn vyavastha ka uday hua. Tab ho sakta hai ki yadu kul bhi kshstriyon air vaiyshyon me barn gaya hoga. Aur bad KE kal me jab barn vyavastha kathor hoti chali gayi tab yadavon ka star air gir gaya ho. waise yadavon ka poorn Nash Krishna KE kal me nahi hua yah varnan srimadbhagwat me hai. Lenin koi bhi poorn daawe KE sath nahi kah Sakta ki paanch hazaar saalon me uski jaati mishran se bachi ho. Yah bahut bada samay hota hai air is me bahut uthapatak ki sambhavna hai. Cause romila thapar apni kitab bharat ka itihas me likhti hain ki ahir jat air gurjar apna udbhav Kshatriyon she manti hain air inhone apni jaatiya stithi Gavan Di hai. Samay hot balwan.
ReplyDeleteHere is link to the work of English scholar investigating tenuous and mostly spurious link between true descendants of Krishna and modern day Ahirs/Gwalas and Neo-Yadavs:
ReplyDeletehttp://www.sainionline.com/colonial-ethnologies/colonial-ethnologies--the-ahirs
"The Dyashraya-Kavya of Hemchandra speaks of a Chordasama prince reigning near Junagarh as an Abhira and a Yadava. But this is no doubt very conjectural, and the simple fact that Krishna was a herdsman would be a sufficient reason for the Ahirs to claimn connection with him. It is pointed out that the names of Abhira chieftains given in the early inscriptions are derived from the god Siva, and this would not have been the case if they had at that epoch derived their origin from Krishna, an incarnation of Visnu. " If the Abhiras had really been the descendants of the cowherds (Gopas) whose hero was Krishna, the name of the rival god Siva would never have formed components of the names of the Abhiras, whom we find mentioned in inscriptions. Hence the conclusion may safely be drawn that the Abhiras were by no means connected with Krishna and his cowherds even as late as about A.D. 300, to which date the first of the two inscriptions mentioned above are assigned. Precisely the same conclusion is pointed to be the contents of the Harivanshi and Bhagwat Purana. The upbringing of Krishna among the cowherds and his flirtations with the milkmaids are again and again mentioned in these works, but the word Abhira does not occur even in the connection. The only words we find used are Gopa, Gopi and Vraja. This is indeed remarkable. For the descriptions of the removal of Krishna as an infant to Nanda, the cowherd's hut, of his childhood passed in playing with the cowherd boys, and of his youth spent in the amorous sports with the milkmaids are set forth at great length, but the word Abhira is not once again met with. From this only one conclusion is possible, that is, that the Abhiras did not originally represent the Gopas of Krishna. "
Nanda Gop once came to visit Shuklatirth. On the way back, he worshiped Koteshwara Shiva daily with ten crore crown flowers. After some time, Shiva was pleased and admitted Nanda into the ranks of his Gana and he became Gopeshwara. Matlab kuch bhi spread karna h///////////
Deletemahashivaratri par dudh chadane ki parampra yadav pramukh sri krisha ne hi chalu kiya tha ja ke dekh sri krishna ///////////////
DeleteSome more information on Saini Yaduvanshi Rajput kings of Mathura, Karauli and Delhi:
ReplyDeletehttp://www.sainionline.com/list-of-saini-yaduvanshi-kings
http://www.sainionline.com/origin-of-saini-caste-from-yadu-rajputs
The following is reference to a historical Buddhist text (GHATA-JĀTAKA) which clearly shows that Nand was not a Yadava but a servant of Yadavas in the times of Krishna:
ReplyDeletehttp://www.sacred-texts.com/bud/j4/j4018.htm
According to Ghata-Jataka, a historical Buddhist text:
ReplyDelete"Now, Devagabbhā had a female servant named Nandagopā. The woman’s husband, Andhakavenhu, was also her servant. "
ham asli yaduvanshi hai jinhe log jadouv kahte hai, qunki brij ki boli me ya ko j bolte hai isliye yadov ka jadou ho gya or log hmko jadou ya jadubanshi khne lge hai, jbki na hm rajput hai or na hi hm ahir hai...
ReplyDeleteभुट्टो और भुट्टा यदुवन्शी राजपुत नही है चालुक्य राजपूत वंश के है
ReplyDeleteभुट्टो चालुक्य राजपुत है
ReplyDeletebhai ap ka ye lekh u.p k yadavo ko nind se jagane ka hi kam kiya aur unhone hindutva ka sath de kr sachhe kshatriya hone ka praman prastut kr diya. thanks
ReplyDeleteखुद को यदुवंसी राजपूत बुलाते हो । तुम लोग की पुरानो में कोई बात भी नहीं आती । और हम यादव की गाथा पुरानो में :वेदों में हे । इस लिए हम ही यदुवंसी हे और हमे ही रहे गे।: और रही राजपूत की बात तो:6.मी सदी से अप लोग की बात हे ।उस से पहले की कोई बात ही कहा हे। और यादव तो उस से पहले के हे तो इस लिए हमे ही ओरनिजल यदुवंसी हे और हमे सा रहे गे
ReplyDeletetum ahir ho yadav nahi.... ek yadav bhagwan ram ke logon per goli nahi chalava sakta vo ek ahir hi je sakta hai.... chhatiya khoo n kabhi thanda nahi ho sakta
Deleteविजय जी आप ने सही कहा राजपूत नहीं था क्षत्रिय था राजपूत to हमारी उपाधी हैं इसे समझने का प्रयाश करे पुराणों में यदुवंशी क्षत्रिय थे राजपूत तो 11वी सतब्दी मे सब लोग लगाने लगे नहीं तो ये शब्द पहले राजपूतरो के लिए होता था
Deleteविजय जी आप ने सही कहा राजपूत नहीं था क्षत्रिय था राजपूत to हमारी उपाधी हैं इसे समझने का प्रयाश करे पुराणों में यदुवंशी क्षत्रिय थे राजपूत तो 11वी सतब्दी मे सब लोग लगाने लगे नहीं तो ये शब्द पहले राजपूतरो के लिए होता था
Deleteइस चुतियें की इतनी जल रही है यादवो से की खुद की कहानी लिख रहा है
ReplyDeletejal to tei rahi hai jo tu aisi bhasha use ke raha hai
DeleteSub caste: Charak
ReplyDeleteCaste:Rajput
Gotar:Bhardwaj
Vansh:surya
Kon say rajput hai?
bhagwan sri krishna jab kudh vrindawan chhorkar ja rahe the tab unhone waha ke vasiyo ki apna saga and sambhandhi bataya tha aur hmhe tere jaise dogle se pramaan ki jarurat nhi h/////
ReplyDeletemathura me kitne pecent yadav( ahir) hai
Deletekarauli me kinte % jadon h pahle ye bata/////////// now gurjar and Meena castes dominate Karauli.
DeleteToday's Yadavs aka Ahirs or gops or gwalas are actually not a single caste. The only thing that connects them is surname yadav which they start using from 20th century onwards. Rewari Ahirs were first to declare themselves Yadavs in about mid of 19th century.This is not the case of Ahirs only. Any one search for Sanstrikization in google. In India every second obc and sc caste wants to declare themselves Kshatriya or brahmin
ReplyDeleteTruth is no one of them is actual yadav.
Chal bhai rajputo man lete hai tum Yadav ho pr tumne Yadav likhana KB chhod diya .boli badal sakti hai bhasha badal sakti hai pr likhane me to nam nahi badal sakta .aur ha jalo mat brabari karo .
DeleteNitin bro it's sanskritization n yes many backward classes in india used this process to take an upward leap in caste hierarchy include ahirs n gwalas but failed........Khud ko yaduvanshi btana,krishna k kul ka btana,middle name main singh lgana 1920 k baad shuru kiya ahir/gaalon ne.....All india yadav mahasabha k baare main padho....Un logon ne to khud ko kshatriya tak ghosit kr diya tha(under the process of sanskritization) kyonki ahiron ko angrez apni army ka officer/ya kisi or mehekme ka officer nhi bnate the na hi unhe koi recognition mila hua tha......Apna itihas thk se padho apne pta lag jayega...........Mulayam ne isi baat ka fayda uthaya or ahiron ko ek jut kr k rajneeti main aa gya...........Maine yeh post sirf jaankari k liye daali hai mujhe kisi bhi jaati se koi ber nhi chahe koi bhi ho.
DeleteAngrejo ne aheero ko marshal race mana tha.jankari puri rakho.
Delete1802 mei pransukh yadav ka janm hua sikho ke senapati the aur dono anglo mysore war mei sikho ke khilaf larei senapati the sikho ke jab unka janm 1802 aur unke puravaj bhi yadav hi kagte rahei tab tum sikahoge kaun yadav hai kaun yaduvanshi aur paramar chauahn silanki oaratihar ka naam kahi kisi ves mahabharat aur ramyana mei nhi hai ye sab videshi orajati the inhe yagya ke dwara 7 th century mei convert karaya gya hai shaka Hun yunan kushan aur manhol hai Jo khud kuch sau saal pehle banei Hindu wo dosro ko kya sikhaenge ki kaun kya hai
Deletebhai nitin tum log agr yaduvanshi ho to yaduvanshi likhte kyun nahi.
Deletemain jahan rahata hoon wahan jadon ke bahut village hain wo sabhi khud ko rajpoot ya thakur kahaten na ki yaduvanshi. jadon yaduvanshi nahi hain.
नितिन सिंह थोड़ी किताबे भी पढ़ लिया करो कही सुनी बातों पर विश्वास मत करो महाभारत कल में संस्कृत में सब कुछ लिखा जाता था अगर ये कहावत सही होती तो संस्कृत में होती ये बाद में तुम जैसे लोगों ने गड लीं हैं जातीय द्वेष के कारण जहाँ तक मैंने किताबों में देखा है अहीर यदुवंशी क्षत्रिय बताये गए हैं यदुवंशी राजा सात्वत के सात पुत्र थे इन्ही के वंशज वृष्णि भोज आभीर (अहीर) अंधक वंशी कहलाये तोड़ी सही जानकारी ले लो राजपूत और यदुवंशी दोनों अलग - २ जातियां हैं यदुवंशी या यादव वंश ७००० साल से भी पुराना है और राजपूत १०वी सदी की कास्ट है इतिहास की किताबे जरा पड़ो तुम राजपूत हो राजपूत रहो यदुवंशिओ में मत घुसो
DeleteA Bhai Aap Ko Kya Lagata Hai Rajputo Ke Itihas K Bare Me aap Janate kya ho Jo Pandavas The Vo Bhi Kshatriy The....
Deletee
ReplyDeleteye sale hair bhais charane vale apne ko mahan banane me lage hai eska to ye matlab nhi ki dusre ko apna bap bana le par ye sale dogala hone ko bhi raji hai jo aone ko kshatriya ki aulad bta rhe hai * khun bahate aaye hai sabse uchi shan hai etihas ke panno par bhi likha rajputo ka nam *ese mita de kisiki aukat nhi
ReplyDeleteBilkul sahi mera bahi
DeleteBilkul sahi mera bahi
DeleteBilkul sahi mera bahi ye sale ahir apnni aukat bhul gay h
DeleteShri krishn bi gaye bhais hi charate the 😀😃😄
DeleteTu bhool gaya apni okaat
DeleteBaahmno k Baad jaatiwaad ...Main ye main wo..Krna ye theka tumne hi le rakha hai...Baaki asli Yadav Ahir asli hi rahenge ..Ab wo time gya jab manusmriti likhi gyi thi..ABCD padha di thi Janta Ko ...
ReplyDeleteयादव से जलने वाले जल जल के काले हो गए उनकी बहन हमारी फैन वो हमारे साले हो गए
ReplyDeleteजब यादव के बारे में कुछ पता ही नही तो क्या बताते हो
मै केवल इतना बता दूँ की इस पूरी पृथ्वी पर गोप जाति से पवित्र कोइ जाति नही
श्री कृष्ण भगवान ने गीता में कहा है धर्म के उद्धार के लिए केवल यादवों का साथ ही काफी है
Mantu singh @ this is shubham from patna and i am also majroth .and i belongs to patna city .i knw only one tHing that we yadavs are cool.
ReplyDeleteJai yadav jai madhav
जादौन/गादौन पठान जाति से सम्बद्ध थे
ReplyDeleteजो अफ़्ग़ानिस्तान में अब भी है ।
भारत में वही जादौन ठाकुर लिखने लगे ..
MUslim ho
Deleteजादौन/गादौन पठान जाति से सम्बद्ध थे
ReplyDeleteजो अफ़्ग़ानिस्तान में अब भी है ।
भारत में वही जादौन ठाकुर लिखने लगे ..
Yadav ahir hai ki nhi,ye kshatriya hai k nhi,in sabdo ka koi matlab nhi. Ahir vir hote h aur ithias banate h,is duniya m yaduvansh ko ahiro ne janaya h,dusre jaatiyo m lipte huye maakaro n nhi. Jo yadav h vo shaan se bolte h hum yadav h.....kyonki Yadav dusre sabd ka mohtaaz nhi. Yadav abhir h vir h.
ReplyDeleteYadav ahir hai ki nhi,ye kshatriya hai k nhi,in sabdo ka koi matlab nhi. Ahir vir hote h aur ithias banate h,is duniya m yaduvansh ko ahiro ne janaya h,dusre jaatiyo m lipte huye maakaro n nhi. Jo yadav h vo shaan se bolte h hum yadav h.....kyonki Yadav dusre sabd ka mohtaaz nhi. Yadav abhir h vir h.
ReplyDeleteअहीर अहीर है और यदुवंसी क्षत्रिय इनसे बिलकुल अलग है अहिरो और यदुवंशियों का दूर दूर तक कोई मेल ही नहीं है।
ReplyDeleteराजपूत क्षत्रिय जाती अलग है और अहीर अलग
अहिरो के द्वारा यदुवंसी क्षत्रियो को बदनाम किया जा रहा है।
ऊपर का विस्लेसँ बिलकुल सही सत्य और सटीक है।
भगवान श्रीकृष्ण क्षत्रिय थे इसका ये मतलब नहीं की जिन अहिरो के यहाँ उनका बचपन बीता ओ अहीर भी क्षत्रिय बन गए।।
उनको पता होना चाहिए की अहीर अलग जाती है क्षत्रिय अलग ।।
अहीर एक पिछड़ी जाति है। जो पिछड़ी जाति होने की वाजः से आरक्छन का लाभ ले रही है।
अहीर क्षत्रियो के दास हुआ करते थे।
जो लठैत का और रखवाली का काम करते थे।
ये अहीर आज के समाज के जाट गुजर कुर्मी कोइरी garadiya के सामानांतर है।
Sonch aap ki baat aap ki ,raksha karne wala hi Kshatriya hota hai ..kyoki ki aap ko jarurat ek ahir ki padi chahe vah lathait me roop me hi kyo na ho ..
DeleteSahi kaha hkm
DeleteChauhan bhi to obc se aate hai to kya
ReplyDeletePrithvi raj chauhan kshatriya nahi the
Kabhi yaduvanshi ki Wikipedia padh lena
ReplyDeleteYaduvansi hi Yadav hote h jisne bhi ye jankari Dali h unko bul kul bhi Yadav caste k bare me jankari nhi h shri Krishna Yadav the or unke pita vasudev bhi Yadav hi the jisko taken na Ho to wo google or search kr le
ReplyDeleteअहीरों का प्रमाणित परिचय.. इतिहास के आयने में" http://vivkshablogspot.blogspot.com/2017/07/blog-post_19.html
ReplyDeleteBhai Ye kewal yadavo ko apas me ladane ki baat h jitne bhi yadav Ya ahir hai Raja yadu ke vansh ke hi hai usi me kai Raja Aur huye Har Raja usi vansh me Apna Apna vansh chalna chahate the lekin Koi nhi chala paya ant me sab yadav kahlaye vasudev nand ji ke bhai hi the Aur yadav jati ko shuruaat se itni shrap MIL chuka hai Ye usi ka paridam hai gandhari ka shrap Aur Ek rishi bhi the naam nhi yaad hai abhi unohne ne bhi Iss vansh ko vinash ho Jane ko kaha tha Yhi karan hai yadavo me Aaj ekta nhi hai.
ReplyDeleteआप सब सिर्फ इसलिए लड़ रहे हो कि श्रीकृष्ण के आप असली वंसज हो, पर क्या आप ये कभी सोचते है , की श्रीकृष्ण की 16000 पत्नियां थी, अब आप ये तय कर लो कि आप किस माँ की कोख से पैदा हुए? अरे कुछ तो शर्म करो , श्रीकृष्ण समझाते रहे पर यादव लड़ते रहे, और आज भी यहाँ भी लड़ रहे हो? इस ब्लॉग में कोई गैर यादव घुस कर आपको लड़ा रहा है, और आप लड़ते ही जा रहे हो?
ReplyDeleteमैं भी यादव हूँ, गोत्र अत्रि है, और मै आप सभी को सिर्फ यही कहूंगा कि आप और हम सभी उसी महिर्षि अत्रि से उत्पन्न हुए चंद्र देव के वंशज यानी चंद्र वंशी है। ये वही चंद्र वंस है, जिनके पिता महिर्षि अत्रि और माता अनुसुइया के खोख में त्रिदेव ने बालक रूप में जन्म लिए जो बाद में भगवान दत्तात्रय कहलाये।
अगर आप यादव या अहीर के लिए लड़ रहे हो तो , आप को ये पता होना चाहिए कि यदुवंश सिर्फ श्रीकृष्ण या नंद बाबा तक सीमित नही था और न है, अरे मेरे भाई आप इसी ग्रुप में उन गोपालकों को गाली दे रहे हो , जिन्हें श्रीकृष्ण ने माँ और पिता कहा , जिनके साथ जिनके आंगन में उन्होंने अपना बचपन बिताया।
मुझे ये कहने में कोई दुख नही की उन गोपालकों और नंद समाज पर उंगली उठाने वाला कभी श्रीकृष्ण का वंसज तो हो ही नही सकता है।
रही बात यदुवंश की तो आप मुझे बताओ कि यदुवंश की कितनी शाखाये है?
दुनिया मे सिर्फ यदुवंश ही एक ऐसा वंश है , जिसकी शाखाये सबसे बड़ी है, जो पूरी दुनिया मे , रूस, चीन , पाकिस्तान अफगानिस्तान, सऊदी, तजाकिस्तान, ब्रह्मा, भारत, नेपाल, भूटान, ईरान, इराक और बहुत से देशों तक फैली है, जिसका इतिहास बहुत ही बड़ा है, और समय के साथ साथ उसमे उपनाम और अलग अलग पूजन विधान ने इसे कई जाति और धर्म मे परिवर्तित कर दिया।
कौरव और पांडव क्या यदुवंसी नही थे? आप ऐसा सोचियेगा भी नही, और कभी ऐसा विचार मन मे आये तो सिर्फ एक बार उसी श्रीकृष्ण के द्वारा कही गई, पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत पुराण का अध्ययन जरूर कर लेना, क्यों कि वो स्वयं श्रीकृष्ण ने कही है, उसपर तो आपको भरोसा है?
इसी यदुवंश के राजा जो त्रेतायुग में सहस्त्र बहु के नाम से मसहूर थे, और जिंन्होने रावण जैसे योद्धा को चुटकियों में पराजित किया।
इसी यदुवंश के राजा भरत के नाम पर इस क्षेत्र का नाम भारत वर्ष पड़ा।
इसी यदुवंश में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने महर्षि अत्रि और माता अनुसुइया के यहाँ दत्तात्रय के रूप में अवतार लिया।
इसी वंश की जननी माता अनुसुइया से माता सीता ने पतिव्रता की शिक्षा ग्रहण की।
इसी यदुवंश में भगवान गौतमबुद्ध ने जन्म लिया।
इसी यदुवंश का उल्लेख शिर्डी साई बाबा के सचरित्र लेखक गोविंद राव दाभोलकर को श्री साई बाबा ने हेमाडपंत के नाम से पुकारा, ये वही हेमाडपंत थे जो हेमाद्रि या रत्नागिरी के राजा रामदेव के राज्य सचिव थे, जिंन्होने मराठी मोड़ी यानी वहीखाते कि सुरुवात की।
दोस्तो आप और हम सभी उसी परम पिता परमेश्वर की संतान है, और यही बात ईश्वर ने साई अवतार में भी कहा सबका मालिक एक, फिर काहे की लड़ाई दोस्तो?
हां मैं एक बात जरूर कहूंगा कि ये लड़ाई, यादव , अहीर, जादौन, या जडेजा की नही है, ये लड़ाई सिर्फ श्रीकृष्ण के वंसज कहलाने की है।
अरे भगवान राम ने त्रेता में रघुवंश में जन्म लिया और द्वापर में यदुवंश में तो इस हिसाब से भी तो सभी एक हुए , फिर भी कोई नही मानेगा, क्यों कि फुट डालो राज करो का जहर ऐसा घुल गया है, की हम सब एक होते हुए भी एक नही है।
अभी हाल में ही अखाड़ा परिषद ने जिन 14 फ़र्ज़ी बाबाओ की लिस्ट जारी की है , उसमे 90% ब्राह्मण और 10% राजपूत है, यदुवंसी एक भी नही , तो क्या हम सभी ब्राह्मण और राजपूतों को गलत मान ले, नही न??
इसी प्रकार मुलायम सिंह और लालू प्रसाद ने यदि कुछ गलत किया तो क्या पूरा यदुवंश दोषी है??
मुलायम ने गोली चलवाई वो उनका राजधर्म था।
पर वही जब चीन युद्ध मे 112 वीर अहीर यदुवंशयो ने 2000 चीनी सैनकों को मार कर शहिद हुए तो उनका नाम आप नही यहा लोगे, क्योंकि आपको सिर्फ ये सिद्ध करना है, की आप ही श्रीकृष्ण के वंसज हो।
अरे आप ये क्यों भूल जाते हो कि श्रीकृष्ण भी स्वयं किसी के वंसज थे , वो थे अत्रि पौत्र और चंद्र पुत्र यदु।
आप कृपया किसी बहकावे में न आये , सभी यादव , जाधव, जादौन, जडेजा, अहीर, ग्वाल, गोप, गवली, राव, रेड्डी इत्यादि सामान्य व पिछड़ी जातियां सभी उसी यदुवंश की शाखा है, जिसमे परमावतार श्रीकृष्ण ने जन्म लिया।
रही बात पिछड़ी और सामान्य जातियों की तो दोस्तो संविधान बनने के उपरांत मुझे वर्ष तो नही पता पर एक राजनैतिक व सामाजिक बैठक हुई जिसमें सभी से एक प्रश्न हुआ कि आप किस श्रेणी में जाना चाहते तो उस वक्त बहुत से समाज के लोगो ने शर्म और अहंकार के कारण सामान्य जाती में रहने की इच्छा जताई जो उनकी गलती थी , न कि आज आरक्षण का लाभ लेने वालों की।
Very nice sir
Deleteसर आपका लेख बहुत ही सराहनीय है जो कि एक सूत्र में बांधने जैसा है।
DeleteWowww sir super ����
Deleteरामपाल- अहीर
Deleteनारायण साईं, आसाराम धोबी
राधे माँ खत्री
तुम कह रहे हो कि 90+10 percent ब्राह्मण राजपूत है
Bilkul sahi hai bhai I think is post ko padhkar sab ko sadbuddhi aa gyi hogi.
ReplyDeleteJadeja rajvash ke ek raja NE(naam yaad nahi) 3 baar samrat Akbar ko yudh me haraya batao chauhan raja NE kabhi Akbar ya kisi mughal King ko haraya.
ReplyDeleteभान जी दल जाडेजा
DeleteBhaiyo yadav Rajput the na ki ahir Kyoki arjun ki mata shri Krishna ki bua thi or unki shadi tanwar Rajput mai hui thi ahiro ki beti ajtak kisi Rajput tanwar mai bhihai hai to batao arju tanwar Rajput the..
ReplyDeleteRadha ki mata aur brishbhan ki patni kriti kannauj k raja ki beti thi .aur ap name bata do Krishna ko ya unke putro ko kis rajvansh ne apani beti swechha se di ho.
DeleteRadha se konsa shadi ki krishan ji ne uska kya link huya is baat se rajput the vo yaduvanshi ab ahir yadav lgane lge 1920 ke baad quora pr jakr padh aao ek baar
DeleteKshatriya bhi lgaya yaduvanshi bhi aur ahir bhi wah kshatriya ab rajputi ke alava bhi lganr lag gye aur yaduvanshi bhi wah mere dost hai yaduvanshi hai rajput hai wo vo fir ahir kyu nhi hai agr tum sache ho sara family tree hai unke paas kha se start hui generation sab had hai jhut ki bhi copy krlo sb rajputo ka chodna mat kujh bhikhari rehna sharm krlo
DeleteLado mat bewakoofo , isi wajah se to peeche ho gaye
ReplyDeleteभाई कृष्णा भगवान का जाती अहीर था । ओर वंश यदुवंश ओर महाराज यदु चंद्रवंश मे जन्मे थे ओर हा जो यादव वंश रियासत राजपुत के सात जा के मिल गए उसे jadoan , jadeja कहते हैं तोह राजपुत यदुवंशी भाई एक रहे तभी ओल इंडिया यादव का राज चले गा । यदुवंशी , चंद्रवंशी, अहीर एक हैं भागवत गिता परहे आपस मे ना लड़े (दादा कृष्ण कि जय) ।🙏🙏🙏🚩🚩🚩
ReplyDeleteRajput the krishan ji court ne bhi de diya chatar unka aur kb tk jhoot falaoge kunti bua kaise ho gyi ahir the to vo had hai jhut ki bade comment dekh rha hu yha yhi kaam rahe hai sabko apna btado bss kansh konsi caste ka tha mama tha jo pale the ahiro ke ghr aur ahir yadav 1920 ke baad lgane lage hai jbki ye rajputo ka surname tha yaduvanshi rajput hai aj bhi dekhlo aur tathya dekhe court ne tab decision diya vrna na hota to ajtk jhut hi failta rehta jaise aur cheezo me hau.quora pr dekhlena 1920 vali meeting jab ahiro ne sabha ki aur yadav lgana shuru kiya jaise sc vale singh lga lete hau ajkl aur koi chauhan lga rha hai koi tanwar jabki rajputo ke surname hai ye to kl kehdoge baki bhi rajput the ya dusro ke bhi the konse raj huye the unme is surnme ke had ki hai tum logo ne apna bna do sbko
DeleteTo jadeja bhi rajput haiaur chauhan bhi to is befkuf comment ka matlb kya hai ab rajput nahildte apas me in bato pr ye schemem yaha nhi chlegi aur prithviraj chauhan me gori ko haraya tha jakr itihas padh ki kitni baar haraya aur ja fudu sala jhut faila do krishan ki rajput the shrm krlo court ke order ke baad bhi shrm ni hai kal kh dena raam ji bhi rajput nahi the unki nyi baat bta dena koi ki kishatriyathe chandravansh fir vo rajput nahi hote hai bsss ais kujh khud bnakr bol dena had hai tumhari besharm log ho
DeleteBhagwan ko b jatiyo me bat rhe ho Sharm karo Bharat me jati system Khatm hoga tabhi is des ka kalyan hoga duniya chand pr pahuch gyi or ye jati ka junjuna baja rhe h
ReplyDeleteJadeja bhari jadauon ahiro ko apne se chota kahne ki bajay bajay pehle apni vansavli khoje to janege ki ahir hi inke vanshaj h.jab Krishna g NE apne SE hajaro saal aye yadu ke naam SE apne ko yadav kaha iska MATLAB vo yadav jati ko unite kar k rakhna chahte the.aaj B vaisi jaroorat h.
ReplyDeleteश्रीकृष्ण के पिता का नाम राजा ‘वासुदेव’ और माता का नाम ‘देवकी’ था। जन्म के पश्चात् उनका पालन-पोषण ‘नन्द बाबा’ और ‘यशोदा’ माता के द्वारा हुआ।
ReplyDeleteमहाभारत के अनुसार राजा वासुदेव के पिता का नाम ‘राजा सूरसेन’ था। ‘राजा सूरसेन’ के एक भाई का नाम था ‘पार्जन्य’.
‘पार्जन्य’ के नौ पुत्र थे- उपानंद, अभिनंद, नन्द, सुनंद, कर्मानंद, धर्मानंद, धरानंद, ध्रुवनंद और वल्लभ। ‘नन्द बाबा’ ‘पार्जन्य’ के तीसरे पुत्र थे।
इस प्रकार राजा वासुदेव और नन्द बाबा चचेरे भाई थे। दोनों ही ‘यदुवंशी’ क्षत्रिय थे। नन्द बाबा की बाद की पीढियां ही नंदवंशी कहलाई। क्यूँ की ये लोग गौ पालन करते थे इसलिए ग्वाल/अहीर भी कहलाये। जन्म के पश्चात श्रीकृष्ण को कंस से बचाने के लिए ही वासुदेव यमुना नदी को पार कर ‘गोकुल’ पहुंचे, जहाँ उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने भाई ‘नन्द बाबा’ के हवाले किया।
This post has been created to divide the people.Some very positive comments from very knowledgeable friends were a treat to read as they emphasized on unity of religion/Yadavs.It stands to logic that a decision was taken in 1924 to put Yadav sirname by all such communities.Earlier All India Yadav mahasabha was known as All India Ahir Yadav Kshatriya mahasabha.Rao Balbir Singh of Rewadi was its president.There is evidence in mythology n history that Yadavs and Abhirs are synonymous.whether it is relation ship between Nand Baba and Vasudev,yadavas of Devgiri,the decendent of Lord Krishna who opens the Trupati Temple,establishment of pashupati nath temple etc..
ReplyDeleteNow the present day Rajputs feel inferior being associated with Ahirs should remember Rajputs were a later creation of 7th century post Agnikul Havan,when most of the earlier Kshatriyas including Yadavs/Abhirs had started following Bodh dharma.Shankracharya felt the need to raise a Hindu Martial force for proppgation of religion.During this period most of the non Hindu and non Aryan rulers of foreign origin were assimilated into Hinduism as Agnikul Rajputs.In later days a number of castes started using this srname too.It is important to note that Yadavs/Ahirs of Rewadi,Devgiri,Dwarika were also included in 24 kuls were invited for the Agnikul,however they absented as they felt it below their dignity to be associated with foreigners/mlechas...used that time.
In British days, creation of martial castes in Indian Army is akin to action by Shankaracharya.
From the evidence available,it is very easy to understand the origin of Yadav/Abhirs.
This post is divisive and it has been very aptly commented by some very learned people.my full respects to them. Remain united you have been divided enough.
Jai Hind!
Yes right.. ��sir Alag Alag historians ka Alag Alag Matt Hai rajputo ko lekar. Inke utpatti ko lekar do reason Hai 1.ki brahmano dwara ek hawan Kiya gaya tha jishse rajput uttpann hue but ye logically wrong Hai 2.ye videshi the..... Ishiliye yadav Kshatriyas rajput word k jagah RAO sahab lagane lage
Deleteabhiras were ksatriya formerly. Afraid of purasurama they fled and lived in the mountain caves not continuing their hereditary works and thus became sudras.this event was happened very before the birth of krisna.they were former yaduvanshi.(Reference-Encyclopedia of the hindu world.VOLUME 1 by Ganga ram garg) So plz stop spreading your nonsense story!!!!!!!!
ReplyDeleterezang LA battle Mei rewadi k yadav ko bravest of the brave veer ahir ki upadhi di gayi Hai. To kya Wo sab yadav nahi Hai?aur agar wo yadav nahi Hai to fir ahir to sabse brave Hai wahi real Kshatriyas Hai.....aur ek baat ahir ek title Hai jiska meaning brave hota Hai jo kaliya naag ko Marne k baad Krishna bhagwan ko diya gaya tha..... Jis Tarah brahman Mei v kuch caste obc Mei aate Hai ushi Tarah yadav v obc aur general Hai..... Yadav sabse powerful vansh Hai
ReplyDeleteRadha ji v to gopi thi..... Aur hamare sastra k anushar Kai sare devi devta insaan k Roop Mei Krishna bhagwan ka Lila dekhne k liye janm liye the to ahir se itna bhed bhaw kyo?..... Mera ek classmate Seduled caste ka Hai aur fb aur Instagram par rajput likhta Hai to kya Wo mingle nahi ho chuke Hai? Aur aap bhed bhaw Matt sikhaiye kisi ko Mai Krishna ki follower hu aur bhed karna mujhe nahi aata...... I am yaduvanshi belongs to general category not using obc aarakshan
ReplyDeleteJat ke nam pe kitna batoge logo ko ye Haramipani kab tak chalegi tumare jaiso ke karan hi Hindu samaj ant ki or hai Sharm karo
ReplyDeletethe little cheifship of karauli between jaipur to gwalior belongs to jadons who where basically ahirs -Joseph Davey Cunningham ki book padh jakar//////////////
ReplyDeleteजो छत्रीय है वो सीमा पर लड़ रहे है जो व्यवसाय कर रहे हे वे वैश्य है जो नोकरी कर रहे है वो शुद्र है ।
ReplyDeleteजो बेकार की बातो पर लड़ रहे है वो मुर्ख है ।
यादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र " फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
ReplyDeleteयादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र
" फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
__________________________________________
प्राय: कुछ रूढ़िवादी ब्राह्मण अथवा राजपूत समुदाय के लोग यादवों को आभीरों (गोपों) से पृथक बताने वाले
महाभारत के मूसल पर्व अष्टम् अध्याय से
यह प्रक्षिप्त (नकली) श्लोक उद्धृत करते हैं ।
____________________________________
ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहतचेतस: ।
आभीरा मन्त्रामासु: समेत्याशुभ दर्शना: ।। ४७।
अर्थात् वे पापकर्म करने वाले तथा लोभ से पतित चित्त वाले ! अशुभ -दर्शन अहीरों ने एकत्रित होकर वृष्णि वंशी यादवों को लूटने की सलाह की ।४७।
अब इसी बात को बारहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ श्री-मद्भगवद् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द सम्बोधन द्वारा कहा गया है ।
इसे देखें---
_______________________________________
"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।। अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
_______________________________________
हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा -प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ । कृष्ण की पत्नीयाें को द्वारिका से अपने साथ इन्द्र-प्रस्थ लेकर आर रहा था ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया ।
और मैं अर्जुन उनकी गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
( श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय एक श्लोक संख्या २०(पृष्ट संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर देखें---
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है कि गोप ही आभीर है।
बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में अहीरों को बाहर से आया बताया गया..... फिर महाभारत में मूसल पर्व में वर्णित अभीर कहाँ से आ गये....
किरात हूणान्ध्र पुलिन्द पुलकसा:
आभीर शका यवना खशादय :।
येsन्यत्र पापा यदुपाश्रयाश्रया शुध्यन्ति तस्यै प्रभविष्णवे नम:। (श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८) ------------------------------------
अर्थात् किरात हूण पुलिन्द पुलकस तथा आभीर शक यवन ( यूनानी) खश आदि जन-जाति तथा अन्य जन-जाति यदुपति कृष्ण के आश्रय में आकर शुद्ध हो गयीं ।
उस प्रभाव शाली कृष्ण को नमस्कार है।
श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८
अब महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है।
और कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था।
एेसा वर्णन है ।
प्रथम दृष्टवा तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है ।
________________________________________
"इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१
येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा ।
स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२
द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण:
ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३
ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते।
स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४
वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले ।
गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५।
तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:।
तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६।
देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७।
सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति।
________________________________________
अनुवादित रूप :----हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया।
तथा कहा
।२१। कि कश्यप ने अपने जिस तेज से प्रभावित होकरउन गायों का अपहरण किया ।
उस पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२।
तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि उनकी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर उनके साथ जन्म धारण करेंगी ।२३।
इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे ।
हे राजन् वही कश्यप वर्तमान समय में कश्यप के तेज स्वरूप वसुदेव गोप के नाम से प्रसिद्ध होकर पृथ्वी पर गायों की सेवा करते हुए जीवन यापन करते हैं।
मथुरा के ही समीप गोवर्धन पर्वत है ।
उसी पर पापी कंस के अधीन होकर गोकुल पर राज्य कर रहे हैं।
कश्यप की दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि ही क्रमश: देवकी और रोहिणी के नाम से अवतीर्ण हुई हैं ।२४-२७।
(उद्धृत सन्दर्भ --------)
पितामह ब्रह्मा की योजना नामक अध्याय।
____________________________________
यादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र " फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
ReplyDeleteयादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र
" फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
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प्राय: कुछ रूढ़िवादी ब्राह्मण अथवा राजपूत समुदाय के लोग यादवों को आभीरों (गोपों) से पृथक बताने वाले
महाभारत के मूसल पर्व अष्टम् अध्याय से
यह प्रक्षिप्त (नकली) श्लोक उद्धृत करते हैं ।
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ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहतचेतस: ।
आभीरा मन्त्रामासु: समेत्याशुभ दर्शना: ।। ४७।
अर्थात् वे पापकर्म करने वाले तथा लोभ से पतित चित्त वाले ! अशुभ -दर्शन अहीरों ने एकत्रित होकर वृष्णि वंशी यादवों को लूटने की सलाह की ।४७।
अब इसी बात को बारहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ श्री-मद्भगवद् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द सम्बोधन द्वारा कहा गया है ।
इसे देखें---
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"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।। अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
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हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा -प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ । कृष्ण की पत्नीयाें को द्वारिका से अपने साथ इन्द्र-प्रस्थ लेकर आर रहा था ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया ।
और मैं अर्जुन उनकी गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
( श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय एक श्लोक संख्या २०(पृष्ट संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर देखें---
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है कि गोप ही आभीर है।
बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में अहीरों को बाहर से आया बताया गया..... फिर महाभारत में मूसल पर्व में वर्णित अभीर कहाँ से आ गये....
किरात हूणान्ध्र पुलिन्द पुलकसा:
आभीर शका यवना खशादय :।
येsन्यत्र पापा यदुपाश्रयाश्रया शुध्यन्ति तस्यै प्रभविष्णवे नम:। (श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८) ------------------------------------
अर्थात् किरात हूण पुलिन्द पुलकस तथा आभीर शक यवन ( यूनानी) खश आदि जन-जाति तथा अन्य जन-जाति यदुपति कृष्ण के आश्रय में आकर शुद्ध हो गयीं ।
उस प्रभाव शाली कृष्ण को नमस्कार है।
श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८
अब महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है।
और कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था।
एेसा वर्णन है ।
प्रथम दृष्टवा तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है ।
________________________________________
"इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१
येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा ।
स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२
द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण:
ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३
ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते।
स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४
वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले ।
गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५।
तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:।
तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६।
देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७।
सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति।
________________________________________
अनुवादित रूप :----हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया।
तथा कहा
।२१। कि कश्यप ने अपने जिस तेज से प्रभावित होकरउन गायों का अपहरण किया ।
उस पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२।
तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि उनकी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर उनके साथ जन्म धारण करेंगी ।२३।
इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे ।
हे राजन् वही कश्यप वर्तमान समय में कश्यप के तेज स्वरूप वसुदेव गोप के नाम से प्रसिद्ध होकर पृथ्वी पर गायों की सेवा करते हुए जीवन यापन करते हैं।
मथुरा के ही समीप गोवर्धन पर्वत है ।
उसी पर पापी कंस के अधीन होकर गोकुल पर राज्य कर रहे हैं।
कश्यप की दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि ही क्रमश: देवकी और रोहिणी के नाम से अवतीर्ण हुई हैं ।२४-२७।
(उद्धृत सन्दर्भ --------)
पितामह ब्रह्मा की योजना नामक अध्याय।
____________________________________
यादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र " फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
ReplyDeleteयादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र
" फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
__________________________________________
प्राय: कुछ रूढ़िवादी ब्राह्मण अथवा राजपूत समुदाय के लोग यादवों को आभीरों (गोपों) से पृथक बताने वाले
महाभारत के मूसल पर्व अष्टम् अध्याय से
यह प्रक्षिप्त (नकली) श्लोक उद्धृत करते हैं ।
____________________________________
ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहतचेतस: ।
आभीरा मन्त्रामासु: समेत्याशुभ दर्शना: ।। ४७।
अर्थात् वे पापकर्म करने वाले तथा लोभ से पतित चित्त वाले ! अशुभ -दर्शन अहीरों ने एकत्रित होकर वृष्णि वंशी यादवों को लूटने की सलाह की ।४७।
अब इसी बात को बारहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ श्री-मद्भगवद् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द सम्बोधन द्वारा कहा गया है ।
इसे देखें---
_______________________________________
"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।। अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
_______________________________________
हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा -प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ । कृष्ण की पत्नीयाें को द्वारिका से अपने साथ इन्द्र-प्रस्थ लेकर आर रहा था ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया ।
और मैं अर्जुन उनकी गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
( श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय एक श्लोक संख्या २०(पृष्ट संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर देखें---
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है कि गोप ही आभीर है।
बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में अहीरों को बाहर से आया बताया गया..... फिर महाभारत में मूसल पर्व में वर्णित अभीर कहाँ से आ गये....
किरात हूणान्ध्र पुलिन्द पुलकसा:
आभीर शका यवना खशादय :।
येsन्यत्र पापा यदुपाश्रयाश्रया शुध्यन्ति तस्यै प्रभविष्णवे नम:। (श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८) ------------------------------------
अर्थात् किरात हूण पुलिन्द पुलकस तथा आभीर शक यवन ( यूनानी) खश आदि जन-जाति तथा अन्य जन-जाति यदुपति कृष्ण के आश्रय में आकर शुद्ध हो गयीं ।
उस प्रभाव शाली कृष्ण को नमस्कार है।
श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८
अब महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है।
और कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था।
एेसा वर्णन है ।
प्रथम दृष्टवा तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है ।
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"इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१
येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा ।
स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२
द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण:
ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३
ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते।
स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४
वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले ।
गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५।
तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:।
तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६।
देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७।
सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति।
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अनुवादित रूप :----हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया।
तथा कहा
।२१। कि कश्यप ने अपने जिस तेज से प्रभावित होकरउन गायों का अपहरण किया ।
उस पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२।
तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि उनकी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर उनके साथ जन्म धारण करेंगी ।२३।
इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे ।
हे राजन् वही कश्यप वर्तमान समय में कश्यप के तेज स्वरूप वसुदेव गोप के नाम से प्रसिद्ध होकर पृथ्वी पर गायों की सेवा करते हुए जीवन यापन करते हैं।
मथुरा के ही समीप गोवर्धन पर्वत है ।
उसी पर पापी कंस के अधीन होकर गोकुल पर राज्य कर रहे हैं।
कश्यप की दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि ही क्रमश: देवकी और रोहिणी के नाम से अवतीर्ण हुई हैं ।२४-२७।
(उद्धृत सन्दर्भ --------)
पितामह ब्रह्मा की योजना नामक अध्याय ।
यादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र " फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
ReplyDeleteयादवों के इतिहास को बिगाड़ने के षड्यन्त्र
" फिर भी सफल न हो पाए षड्यन्त्रकारी ! आभीर (अहीर) तथा गोप दौनों विशेषण केवल यादवों के हैं ।
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प्राय: कुछ रूढ़िवादी ब्राह्मण अथवा राजपूत समुदाय के लोग यादवों को आभीरों (गोपों) से पृथक बताने वाले
महाभारत के मूसल पर्व अष्टम् अध्याय से
यह प्रक्षिप्त (नकली) श्लोक उद्धृत करते हैं ।
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ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहतचेतस: ।
आभीरा मन्त्रामासु: समेत्याशुभ दर्शना: ।। ४७।
अर्थात् वे पापकर्म करने वाले तथा लोभ से पतित चित्त वाले ! अशुभ -दर्शन अहीरों ने एकत्रित होकर वृष्णि वंशी यादवों को लूटने की सलाह की ।४७।
अब इसी बात को बारहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ श्री-मद्भगवद् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द सम्बोधन द्वारा कहा गया है ।
इसे देखें---
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"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।। अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
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हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा -प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ । कृष्ण की पत्नीयाें को द्वारिका से अपने साथ इन्द्र-प्रस्थ लेकर आर रहा था ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया ।
और मैं अर्जुन उनकी गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
( श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय एक श्लोक संख्या २०(पृष्ट संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर देखें---
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है कि गोप ही आभीर है।
बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में अहीरों को बाहर से आया बताया गया..... फिर महाभारत में मूसल पर्व में वर्णित अभीर कहाँ से आ गये....
किरात हूणान्ध्र पुलिन्द पुलकसा:
आभीर शका यवना खशादय :।
येsन्यत्र पापा यदुपाश्रयाश्रया शुध्यन्ति तस्यै प्रभविष्णवे नम:। (श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८) ------------------------------------
अर्थात् किरात हूण पुलिन्द पुलकस तथा आभीर शक यवन ( यूनानी) खश आदि जन-जाति तथा अन्य जन-जाति यदुपति कृष्ण के आश्रय में आकर शुद्ध हो गयीं ।
उस प्रभाव शाली कृष्ण को नमस्कार है।
श्रीमद्भागवत् पुराण-- २/४/१८
अब महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है।
और कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था।
एेसा वर्णन है ।
प्रथम दृष्टवा तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है ।
________________________________________
"इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१
येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा ।
स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२
द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण:
ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३
ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते।
स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४
वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले ।
गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५।
तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:।
तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६।
देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७।
सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति।
________________________________________
अनुवादित रूप :----हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया।
तथा कहा
।२१। कि कश्यप ने अपने जिस तेज से प्रभावित होकरउन गायों का अपहरण किया ।
उस पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२।
तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि उनकी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर उनके साथ जन्म धारण करेंगी ।२३।
इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे
Are bhai ye jadoun he jo kirar thakur.
DeleteJadoun , thakuro me sabse chhoti caste hoti he .
Thakur enhe ghas nahi dalte aur yadav enhe poochhte nahi .
Esliye yah ant sant likh raha he.
Yadavo ko divide krne k liye fake news post Mt kro... Yadav Samaj jindabad. Jai sree Krishna
ReplyDeleteJab Gujarat ki chauhan rani apne yuvraj ke sath ahur sardar Jo ki use behen manta tha bhagi thi to ahir sardar NE hi sanrakshan diya ra navghan Nam tha yuvraj ka aur jab bara hua to ahir ka sena gya tha solanki rajputo SE larne ahir sena NE use solanki aur Muslims ko haraya ra navghan chauhan ko raja banya aur ra navghan chauhan NE khud ko ahir rana bataya bhaut sare ahir Mathura ke the Haryana Punjab ke bahut sare yudh ke baad laht gye lekin Jo rh gye unhe rana ka status diya gya yani rajput ka ve sab whi hai jadaun jadega ya bhati rajput bolte hai khawat bhi rajputo NE banayi ki ahir NE asare yani ahiro NE hi raksha ki
ReplyDeleteJadhav Maharastra ke kunbi aur koli hai pure Marathi farmers rhte hai wo bhosale hai kunbi koli mei ate hai wo yaduvamsh nhi sevna yadava chlan pure yaduvamsh ahir hi tha devgiri ke yadav bolte hai unhe historians yaduvanshi ahir bhi bolte hai
ReplyDeleteभाई
ReplyDeleteअहीर और यदुवंशी के गोत्र भी बताए
गोप तो कोई भी हो सकता है जो गोपालन करे, नंदराय और श्री वसुदेव के पितामह एक ही है. महाराज पार्जन्य ,अहीर शब्द अभीर से बना है जिसका अर्थ होता है निडर यह शब्द वैदिककाल से चंद्रवंशी क्षत्रियो के लिये प्रयुक्त होता था, अहीर और यादव समानार्थी है, मूर्ख और अल्पबुद्धि लोग अहीर और यादव को प्रथक मानते है, हम वास्तविक यादव है इसलिए अपने नामके आगे यादव लगाते है, और भी कोई स्वम् को वास्तविक यदुवंशी मानता है तो नामके आगे यादव लगाये किसने मना किया, जादौन/गादौन अपभ्रंश शब्द क्यो लगाते हो फिर शुद्ध शब्द का प्रयोग करिये किसने मना किया है, ........हम पीढियों से नामके आगे यादव लगाते है और स्वम् को यदुवंशी क्षत्रियो बोलते है किसी के बाप मे दम है मैदान मे आये, ........चौडीछाती वीरो असली जाति अहीरो की... , ये क्या बकवास फैला रखी है अहीरवाल (रेवाड़ी)के अहीर अलग है यूपी के अहीर अलग है ,हरियाणा ,यूपी ,बिहार सबकी एक ही महासभा है अखिल भारतीय यदुवंशी महासभा, गुजरात के यदुवंशियों ने अहीर क्षत्रिय महासभा बना रखी औकात है तो उनसे बहस करके दिखाओ , फालतू की नौटंकी फैला रखी है जादौनो ने ,अरे जब यदुवंशी हो तो यादव लिखो नाम के आगे किसने मना किया, हम अहीर सभी यादवो (अहीर,जादौन,भाटी,जडेजा,अय्यर आदि और भी )को एक ही मानते है,इसलिए ज्यादा बकवास मत करिये, यादवो की बहुत सी जातिया -उपजातिया है किसी का शासन रहा किसी का नही रहा ईसका अर्थ यह थोडी ना है कि जिसका शासन समाप्त हो गया हो वह क्षत्रिय नही, सभी यादव क्षत्रिय है चाहे वो कोई भी हो, एक और बात सभी अहीर यादव होते है सभी यदुवंशी अहीर होते है, अहीर का अर्थ गोप नही अपितु निडर होता है
ReplyDeleteवेद की अधिष्ठात्री देवी गायत्री अहीर की कन्या और ज्ञान के अधिष्ठाता कृष्ण अहीर( गोप) वसुदेव के पुत्र देखें प्रमाणों के दायरे में ---
Deleteपुराणों के आधार पर ---
__________________________________________
पद्म पुराण के सृष्टि खण्ड के अध्याय १६ में गायत्री को नरेन्द्र सेन आभीर (अहीर)की कन्या के रूप में वर्णित किया गया है ।
" स्त्रियो दृष्टास्तु यास्त्व ,
सर्वास्ता: सपरिग्रहा : |
आभीरः कन्या रूपाद्या
शुभास्यां चारू लोचना ।७।
न देवी न च गन्धर्वीं ,
नासुरी न च पन्नगी ।
वन चास्ति तादृशी कन्या ,
यादृशी सा वराँगना ।८।
अर्थात् जब इन्द्र ने पृथ्वी पर जाकर देखा
तो वे पृथ्वी पर कोई सुन्दर और शुद्ध कन्या न पा सके
परन्तु एक नरेन्द्र सेन आभीर की कन्या गायत्री को सर्वांग सुन्दर और शुद्ध
देखकर आश्चर्य चकित रह गये ।७।
उसके समान सुन्दर कोई देवी न कोई गन्धर्वी न सुर और न असुर की स्त्री ही थी और नाहीं कोई पन्नगी (नाग कन्या ) ही थी।
इन्द्र ने तब उस कन्या गायत्री से पूछा कि तुम कौन हो ? और कहाँ से आयी हो ?
और किस की पुत्री हो ८।
गोप कन्यां च तां दृष्टवा , गौरवर्ण महाद्युति:।
एवं चिन्ता पराधीन ,यावत् सा गोप कन्यका ।।९ ।।
पद्म पुराण सृष्टि खण्ड अध्याय १६ १८२ श्लोक में
इन्द्र ने कहा कि तुम बड़ी रूप वती हो , गौरवर्ण वाली महाद्युति से युक्त हो इस प्रकार की गौर वर्ण महातेजस्वी कन्या को देखकर इन्द्र भी चकित रह गया कि यह गोप कन्या इतनी सुन्दर है !
यहाँ विचारणीय तथ्य यह भी है कि पहले आभीर-कन्या शब्द गायत्री के लिए आया है फिर गोप कन्या शब्द ।
जो कि यदुवंश का वृत्ति ( व्यवहार मूलक ) विशेषण है ।
क्योंकि यादव प्रारम्भिक काल से ही गोपालन वृत्ति ( कार्य) से सम्बद्ध रहे है ।
आगे के अध्याय १७ के ४८३ में इन्द्र ने कहा कि यह गोप कन्या पराधीन चिन्ता से व्याकुल है ।९।
देवी चैव महाभागा , गायत्री नामत: प्रभु ।
गान्धर्वेण विवाहेन ,विकल्प मा कथाश्चिरम्।१०।
१८४ श्लोक में विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा कि हे प्रभो इस कन्या का नाम गायत्री है ।
अब यहाँ भी देखें---
भागवत पुराण :--१०/१/२२ में स्पष्टत: गायत्री आभीर अथवा गोपों की कन्या है ।
और गोपों को भागवतपुराण तथा महाभारत हरिवंश पुराण आदि मे देवताओं का अवतार बताया गया है ।
" अंशेन त्वं पृथिव्या वै ,प्राप्य जन्म यदो:कुले ।
भार्याभ्याँश संयुतस्तत्र ,गोपालत्वं करिष्यसि ।१४।
वस्तुत आभीर और गोप शब्द परस्पर पर्याय वाची हैं
पद्म पुराण में पहले आभीर- कन्या शब्द आया है फिर गोप -कन्या भी गायत्री के लिए ..
तथा अग्नि पुराण मे भी आभीरों (गोपों) की कन्या गायत्री को कहा है ।
आभीरा स्तच्च कुर्वन्ति तत् किमेतत्त्वया कृतम्
अवश्यं यदि ते कार्यं भार्यया परया मखे ४०
एतत्पुनर्महादुःखं यद् आभीरा विगर्दिता
वंशे वनचराणां च स्ववोडा बहुभर्तृका ५४
आभीर इति सपत्नीति प्रोक्तवंत्यः हर्षिताः
(इति श्रीवह्निपुराणे (अग्नि पुराणे )ना नान्दीमुखोत्पत्तौ ब्रह्मयज्ञ समारंभे प्रथमोदिवसो नाम षोडशोऽध्यायः संपूर्णः)
ऋग्वेद भारतीय संस्कृति में ही नहीं अपितु विश्व- संस्कृतियों में प्राचीनत्तम है ।
हरिवंश पुराण यादवों का गोप (अहीर) अथवा आभीर
रूप में ही वर्णन करता है ।
यदुवंशीयों का गोप अथवा आभीर विशेषण ही वास्तविक है क्योंकि गोपालन ही इनकी शाश्वत् वृत्ति (कार्य) वंश परम्परागत रूप से विख्यात है ।।
हरिवंश पुराण में आभीर और गोप शब्द परस्पर पर्याय
वाची हैं ।
____________________________
वसुदेवदेवक्यौ च कश्यपादिती। तौच वरुणस्य गोहरणात् ब्रह्मणः शापेन गोपालत्वमापतुः।
यथाह (हरिवंश पुराण :- ५६ अध्याय )
“इत्यम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत!। गवां का-रणतत्त्वज्ञः कश्यपे शापमुत्सृजम्। येनांशेन हृता गावःकश्यपेन महात्मना। स तेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्व-मेष्यति। या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारणी। उभे ते तस्य वै भार्य्ये सह तेनैव (यास्यतः। ताभ्यांसह स गोपत्वे कश्यपो भुवि रंस्यते। तदस्य कश्यपस्यां-शस्तेजसा कश्यपोपमः वसुदेव इति ख्यातो गोषु ति-ष्ठति भूतले।
गिरिर्गोवर्द्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरतः।
तत्रासौ गोष्वभिरतः कंसस्य करदायकः। तस्यभार्य्या-द्वयञ्चैव अदितिः सुरभिस्तथा।
देवकी रोहिणी चैववसुदेवस्य धीमतः। तत्रावतर लोकानां भवाय मधुसू-दन!।
जयाशीर्वचनैस्त्वेते वर्द्धयन्ति दिवौकसः। आत्मानमात्मना हि त्वमवतार्य्य महीतले। देवकीं रो-हिणीञ्चैव गर्भाभ्यां परितोषय।
तत्रत्वं शिशुरेवादौगोपालकृतलक्षणः। वर्द्धयस्व महाबाहो! पुरा त्रैविक्रमेयथा॥ छादयित्वात्मनात्मानं मायया गोपरूपया।
गोपकन्यासहस्राणि रमयंश्चर मेदिनीम्। गाश्च ते र-क्षिता विष्णो! वनानि परिधावतः। वनमालापरिक्षिप्तंधन्या द्रक्ष्यन्ति ते वपुः।
विष्णो! पद्मपलाशाक्ष!
गोपाल-वसतिङ्गते। बाले त्वयि महाबाहो।
(यादव योगेश कुमार'रोहि')
(1) ये क्या बकवास लगा रखी है किसी भी जाति का व्यक्तिश्रीकृष्ण के पिता का नाम राजा ‘वासुदेव’ और माता का नाम ‘देवकी’ था। जन्म के पश्चात् उनका पालन-पोषण ‘नन्द बाबा’ और ‘यशोदा’ माता के द्वारा हुआ।
ReplyDeleteमहाभारत के अनुसार राजा वासुदेव के पिता का नाम ‘राजा सूरसेन’ था। ‘राजा सूरसेन’ के एक भाई का नाम था ‘पार्जन्य’.
‘पार्जन्य’ के नौ पुत्र थे- उपानंद, अभिनंद, नन्द, सुनंद, कर्मानंद, धर्मानंद, धरानंद, ध्रुवनंद और वल्लभ। ‘नन्द बाबा’ ‘पार्जन्य’ के तीसरे पुत्र थे।
इस प्रकार राजा वासुदेव और नन्द बाबा चचेरे भाई थे। दोनों ही ‘यदुवंशी’ क्षत्रिय थे। नन्द बाबा की बाद की पीढियां ही नंदवंशी कहलाई। क्यूँ की ये लोग गौ पालन करते थे इसलिए ग्वाल/अहीर भी कहलाये। जन्म के पश्चात श्रीकृष्ण को कंस से बचाने के लिए ही वासुदेव यमुना नदी को पार कर ‘गोकुल’ पहुंचे, जहाँ उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने भाई ‘नन्द बाबा’ के हवाले किया।
अगर गोपालन करता है तो उसे गोप कहते है,राजस्थान मे एसी ही ग्वाला cast है जो स्वम् को अहीर नही मानती ,अहीर का अर्थ अभीर यानि निडर ह़ोता है गोप नही , निडर क्षत्रिय होते है। (2)अहीर शब्द वैदिक काल का है महाराज यदु से भी पूर्व चंद्रवंशी क्षत्रियो को अहीर कहा जाता था। (3)महाभारतकालीन परिपेक्ष्य मे अहीर और यादव समानार्थी (4)जादौनो ने एक बकवास फैला रखी है कि कृष्ण का जन्म यादवो के यहा हुआ था और पालन अहीरो के यहा हुआ है ,मूर्खो को यह नही पता नंदराय और श्री वसुदेव के पितामह एक ही है जब पितामह एक है तो जाति अलग कैसे , नंदरायजी,वसुदेव क्षत्रिय अहीर (यादव ) है, कंस जैसो राक्षसो से गायो रक्षा हेतु ग्वाल धर्म अपनाना पडा लेकिन थे तो क्षत्रिय ही,कंस के दरबार मे उनका राजपुरुष की भाति सम्मान था, नंद के पास 9 लाख गाये थी जो किसी राजा के पास होती है ,शाही शानो-शौकत से रहते थे इतना ही नही कंस के राक्षसो का आक्रमण होने पर नंदराय क्षत्रिय स्वभाव के कारण राक्षसो का सामना भी करते थे, (5) हम अहीर यदुवंशी है इसलिए नामके आगे यादव लगाते आरहे आजसे नही पीढियो से ,और हमारे पूर्वज हमे यही बताते है कि हम यदुवंशी है कृष्ण कुल के है ,अब किसी ने हमारी पीढियो को गलत साबित करने की कौशिश की तो मार मार के पीछवाडा लाल कर देंगे क्योंकि हम जाति के यादव है (6) यह किस मंदबुद्धि ने फैला रखा है कि रेवाड़ी के अहीर यदुवंशी क्षत्रिय है यूपी के अहीर नही, मूर्खो रेवाडी के यादवो और यूपी के यादवो का सामाजिक संगठन एक ही है और आपस विवाह संबंध होते है (7) गुजरात के यादव का संगठन क्षत्रिय अहीर समाज नाम से है और वो स्वम् को यदुवंशी बोलते है अगर किसी मे औकात है तो उनके संगठन के आगे से क्षत्रिय शब्द हटा कर दिखाये, (8)क्षत्रिय यादव वंश काफी विशाल है यह कई उपजातियो मे बटा हुआ है यह किसी एक गौत्र की बपौती नही है चाहे वो जादौन हो या भाटी हो या अहीर हो या जडेजा हो, (9) हम अहीर यदुवंशी क्षत्रिय है इसलिए अपने नामके आगे यादव लगाते है, कोई और अपने आपको यदुवंशी क्षत्रिय मानता है तो नामके आगे यादव लगाये किसने मना किया है ये जादौन/गादौन जैसे अपभ्रंश(अशुद्ध) शब्दो का उपयोग क्यो करते हो, (10) अहीर जाति स्वाभिमान और ईज्जत के लिए जानी जाती है, चाहे यूपी,हरियाणा या गुजरात का अहीर हो स्वाभिमान से समझौता नही करता क्य़ोंकि एक अहीर वास्तविक यदुवंशी होता है,चाहे कितनी भी गांधारी श्राप क्यो ना देदे हम यदुवंशी नामके आगे केवल यादव लगाते है और लगायेगे हम नामके आगे जादौन,जडेजा या कोई दूसरा शब्द प्रयोग नही करेगे, यदु की औलाद नाम के आगे यादव ही लगायेगी, जादव वादव नही। (11)अखिल भारतीय यदुवंशी महासभा सभी यादवो (अहीर,भाटी,जडेजा,जादौन,अय्यर आदि को) यदुवंशी क्षत्रिय मानती है ,इसलिए फालतू की बकवास नाकरे, (12) जादौनौ को एक बात और बतादेना चाहता हू यादवो का शासन देवगिरी,रेवाडी(अहीरयाणा),बंजरगगंढ(म.प्र),धौलपुर,भरतपुर ,विजयनगर(चालूक्यवंशी यादव),गुजरात ,मेवात आदि समूचे भारत मे यादवो की छोटी बडी रियासते रही है वर्तमान मे ये सभी नामके आगे यादव और अहीर लगाते है 1991 से पहले सवर्ण मे गिने जाते थे जो फिर आरक्षण लेने की वजह से obc मे गिने जाने लगे,( लौदी,चौहान,कुशवाहा,परमार आदि क्षत्रिय भी obc मे आते है )
(13) हम अहीरो से फालतू के तर्क वितर्क ना करे क्योंकि अहीर मारने के साथ साथ घसीटता भी है और घसीट घसीटकर मारता है क्योंकि अहीर क्षत्रिय है, जय यादव जय माधव जय कुलदेवी योगमाया .
*(14)और हा जादौनो तुम हमारे ही वंश के हो इसलिए ज्यादा बकवास मत किया करो,
अब महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है।
Deleteऔर कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था; एेसा वर्णन है ।
प्रथम दृष्ट्या तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है
"इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१
येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा ।
स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२
द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण:
ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३
ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते।
स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४
वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले ।
गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५।
तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:।
तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६।
देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७।
सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति।
गीता प्रेस गोरखपुर की हरिवंश पुराण 'की कृति में
श्लोक संख्या क्रमश: 32,33,34,35,36,37,तथा 38 पर देखें--- अनुवादक पं० श्री राम नारायण दत्त शास्त्री पाण्डेय "राम" "ब्रह्मा जी का वचन " नामक 55 वाँ अध्याय।
अनुवादित रूप :-हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया और कहा
।२१। कि हे कश्यप अापने अपने जिस तेज से प्रभावित होकर उन गायों का अपहरण किया ।
उसी पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर तुम अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२।
तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि तुम्हारी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर तुम्हरे साथ जन्म धारण करेंगी।२३।
इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे ।
हे राजन् वही कश्यप वर्तमान समय में वसुदेव गोप के नाम से प्रसिद्ध होकर पृथ्वी पर गायों की सेवा करते हुए जीवन यापन करते हैं।
मथुरा के ही समीप गोवर्धन पर्वत है; उसी पर पापी कंस के अधीन होकर वसुदेव गोकुल पर राज्य कर रहे हैं।
कश्यप की दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि ही क्रमश: देवकी और रोहिणी के नाम से अवतीर्ण हुई हैं
२४-२७।(उद्धृत सन्दर्भ --)
पितामह ब्रह्मा की योजना नामक ३२वाँ अध्याय पृष्ठ संख्या २३० अनुवादक -- पं० श्रीराम शर्मा आचार्य " ख्वाजा कुतुब संस्कृति संस्थान वेद नगर बरेली संस्करण)
अब कृष्ण को भी गोपों के घर में जन्म लेने वाला बताया है ।
गोप अयनं य: कुरुते जगत: सार्वलौकिकम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णुर्गोपर्त्वमागत: ।।९।
अर्थात्:-जो प्रभु भूतल के सब जीवों की
रक्षा करनें में समर्थ है ।
वे ही प्रभु विष्णु इस भूतल पर आकर गोप (आभीर) क्यों हुए ? ।९।
हरिवंश पुराण "वराह ,नृसिंह आदि अवतार नामक १९ वाँ अध्याय पृष्ठ संख्या १४४ (ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण)
सम्पादक पण्डित श्री राम शर्मा आचार्य .गीता प्रेस गोरखपुर की हरिवंश पुराण की कृति में वराहोत्पत्ति वर्णन " नामक पाठ चालीसवाँ अध्याय
पृष्ठ संख्या (182) श्लोक संख्या (12)अब निश्चित रूप से आभीर और गोप परस्पर पर्याय वाची रूप हैं। यह शास्त्रीय पद्धति से प्रमाणित भी है
बारहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ -भागवत् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द के प्रयोग द्वारा कहा गया है ।
ReplyDeleteइसे भी देखें---
"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।।
अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ । कृष्ण की पत्नीयाें को द्वारिका से अपने साथ इन्द्र-प्रस्थ लेकर आर रहा था ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया।
और मैं अर्जुन कृष्ण की गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
(श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय
एक श्लोक संख्या २०)
पृष्ठ संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर संस्करण देखें-
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है।
कि गोप शब्द ही अहीरों का विशेषण है।
क्योंकि दौनों शब्दों के द्वारा एक ही बात कही गयी ।
गोपिकाओं को अथवा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें को लूटने की;बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में
फिर पुष्यमित्र सुंग ई०पू० 184 के समय में लिखित सुमित
हरिवंश पुराण में वसुदेव तथा उनके पुत्र कृष्ण को गोप कहा!
गोपायनं य: कुरुते जगत: सर्वलौककम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णु: गोपत्वम् आगत ।।९। (हरिवंश पुराण "संस्कृति-संस्थान " ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण अनुवादक पं० श्री राम शर्मा आचार्य)
अर्थात् :- जो प्रभु विष्णु पृथ्वी के समस्त जीवों की रक्षा करने में समर्थ है ।
वही गोप (आभीर) के घर (अयन)में गोप बनकर आता है ।९। हरिवंश पुराण १९ वाँ अध्याय ।
तथा और भी देखें---यदु को गायों से सम्बद्ध होने के कारण ही यदुवंशी (यादवों) को गोप कहा गया है ।
देखें--- महाभारत का खिल-भाग हरिवंश पुराण
" इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेन अहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ: सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति ।।२२।।
द्या च सा सुरभिर्नाम् अदितिश्च सुरारिण: ते$प्यमे तस्य भुवि संस्यते ।।२४।।
वसुदेव: इति ख्यातो गोषुतिष्ठति भूतले ।
गुरु गोवर्धनो नामो मधुपुर: यास्त्व दूरत:।।२५।।
सतस्य कश्यपस्य अंशस्तेजसा कश्यपोपम:।
तत्रासौ गोषु निरत: कंसस्य कर दायक: तस्य भार्या द्वयं जातमदिति: सुरभिश्चते ।।२६।।
देवकी रोहिणी चैव वसुदेवस्य धीमत:
अर्थात् हे विष्णु ! महात्मा वरुण के एैसे वचन सुनकर
तथा कश्यप के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके
उनके गो-अपहरण के अपराध के प्रभाव से
कश्यप को व्रज में गोप (आभीर) का जन्म धारण करने का शाप दे दिया ।।२६।।
कश्यप की सुरभि और अदिति नाम की पत्नीयाँ क्रमश:
रोहिणी और देवकी हुईं ।
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री रामनायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ' राम' द्वारा अनुवादित हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही बताया है ।
इसमें यह 55 वाँ अध्याय है ।
"पितामह वाक्य" नाम- से पृष्ठ संख्या [ 274 ]
अब कृष्ण का जन्म हरिवंश पुराण---जो महाभारत का खिल-भाग (अवशिष्ट) है । उसमें कृष्ण का जन्म आभीर (गोप) कबींले में बताया है ।
देखें---
गोपायनं य: कुरुते जगत: सार्वलौकिकम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णु: गोपत्वम् आगत ।।९। (हरिवंश पुराण ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण अनुवादक पं० श्री राम शर्मा आचार्य)
अर्थात् :- जो प्रभु विष्णु पृथ्वी के समस्त जीवों की रक्षा करने में समर्थ है ।
वही गोप (आभीर) के घर (अयन)में गोप बनकर आता है ।९। हरिवंश पुराण १९ वाँ अध्याय गीता प्रेस गोरखपुर संस्करण देखें-यदु को गायों से सम्बद्ध होने के कारण ही यदुवंशी (यादवों) को गोप कहा गया है ।
देखें- महाभारत का खिल-भाग हरिवंश पुराण
" इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेन अहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ: सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति ।।२२।।
द्या च सा सुरभिर्नाम् अदितिश्च सुरारिण: ते$प्यमे तस्य भुवि संस्यते ।।२४।।
वसुदेव: इति ख्यातो गोषुतिष्ठति भूतले ।
गुरु गोवर्धनो नामो मधुपुर: यास्त्व दूरत:।।२५।।
सतस्य कश्यपस्य अंशस्तेजसा कश्यपोपम:।
तत्रासौ गोषु निरत: कंसस्य कर दायक: तस्य भार्या द्वयं जातमदिति: सुरभिश्चते ।।२६।।
देवकी रोहिणी चैव वसुदेवस्य धीमत:
अर्थात् हे विष्णु ! महात्मा वरुण के एैसे वचन सुनकर
तथा कश्यप के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके
उनके गो-अपहरण के अपराध के प्रभाव से
कश्यप को व्रज में गोप (आभीर) का जन्म धारण करने का शाप दे दिया ।।२६।।
कश्यप की सुरभि और अदिति नाम की पत्नीयाँ क्रमश:
रोहिणी और देवकी हुईं ।
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री रामनायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ' राम' द्वारा अनुवादित हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही बताया है ।
इसमें यह 55 वाँ अध्याय है । पितामह वाक्य नाम- से पृष्ठ संख्या [ 274 ]
भागवत् पुराण के प्रथम अध्याय में आभीर शब्द के स्थान पर गोप शब्द के प्रयोग द्वारा कहा गया है ।
ReplyDeleteइसे भी देखें---
"सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन ।
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन शून्य: ।।
अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि ।२०।
हे राजन् ! जो मेरे सखा अथवा प्रिय मित्र ---नहीं ,नहीं मेरे हृदय ही थे ; उन्हीं पुरुषोत्तम कृष्ण से मैं रहित हो गया हूँ ।
परन्तु मार्ग में दुष्ट गोपों ने मुझे एक अबला के समान हरा दिया।
और मैं अर्जुन कृष्ण की गोपिकाओं तथा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें की रक्षा नहीं कर सका!
(श्रीमद्भगवद् पुराण अध्याय
एक श्लोक संख्या २०)
पृष्ठ संख्या --१०६ गीता प्रेस गोरखपुर संस्करण देखें-
महाभारत के मूसल पर्व में गोप के स्थान पर आभीर शब्द का प्रयोग सिद्ध करता है।
कि गोप शब्द ही अहीरों का विशेषण है।
क्योंकि दौनों शब्दों के द्वारा एक ही बात कही गयी ।
गोपिकाओं को अथवा वृष्णि वंशीयों की पत्नीयाें को लूटने की;बारहवीं सदी में लिपिबद्ध ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् पुराण में
फिर पुष्यमित्र सुंग ई०पू० 184 के समय में लिखित सुमित
क्योंकि अहीर तो ब्राह्मणों से भी अधि पूज्य हुए जा रहे हैं। और यह व्यभिचार में संलग्न पुष्यमित्र सुंग ई०पू० १८४ के अनुयायी ब्राह्मणों को सहन नही था ।
हरिवंश पुराण में वसुदेव तथा उनके पुत्र कृष्ण को गोप कहा!
गोपायनं य: कुरुते जगत: सर्वलौककम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णु: गोपत्वम् आगत ।।९। (हरिवंश पुराण "संस्कृति-संस्थान " ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण अनुवादक पं० श्री राम शर्मा आचार्य)
अर्थात् :- जो प्रभु विष्णु पृथ्वी के समस्त जीवों की रक्षा करने में समर्थ है ।
वही गोप (आभीर) के घर (अयन)में गोप बनकर आता है ।९। हरिवंश पुराण १९ वाँ अध्याय ।
तथा और भी
देखें--- महाभारत का खिल-भाग हरिवंश पुराण
" इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेन अहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ: सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति ।।२२।।
द्या च सा सुरभिर्नाम् अदितिश्च सुरारिण: ते$प्यमे तस्य भुवि संस्यते ।।२४।।
वसुदेव: इति ख्यातो गोषुतिष्ठति भूतले ।
गुरु गोवर्धनो नामो मधुपुर: यास्त्व दूरत:।।२५।।
सतस्य कश्यपस्य अंशस्तेजसा कश्यपोपम:।
तत्रासौ गोषु निरत: कंसस्य कर दायक: तस्य भार्या द्वयं जातमदिति: सुरभिश्चते ।।२६।।
देवकी रोहिणी चैव वसुदेवस्य धीमत:
अर्थात् हे विष्णु ! महात्मा वरुण के एैसे वचन सुनकर
तथा कश्यप के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके
उनके गो-अपहरण के अपराध के प्रभाव से
कश्यप को व्रज में गोप (आभीर) का जन्म धारण करने का शाप दे दिया ।।२६।।
कश्यप की सुरभि और अदिति नाम की पत्नीयाँ क्रमश:
रोहिणी और देवकी हुईं ।
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री रामनायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ' राम' द्वारा अनुवादित हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही बताया है ।
इसमें यह 55 वाँ अध्याय है ।
"पितामह वाक्य" नाम- से पृष्ठ संख्या [ 274 ]
अब कृष्ण का जन्म हरिवंश पुराण---जो महाभारत का खिल-भाग (अवशिष्ट) है । उसमें कृष्ण का जन्म आभीर (गोप) कबींले में बताया है ।
देखें---
गोपायनं य: कुरुते जगत: सार्वलौकिकम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णु: गोपत्वम् आगत ।।९। (हरिवंश पुराण ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण अनुवादक पं० श्री राम शर्मा आचार्य)
अर्थात् :- जो प्रभु विष्णु पृथ्वी के समस्त जीवों की रक्षा करने में समर्थ है ।
वही गोप (आभीर) के घर (अयन)में गोप बनकर आता है ।९। हरिवंश पुराण १९ वाँ अध्याय गीता प्रेस गोरखपुर संस्करण देखें-यदु को गायों से सम्बद्ध होने के कारण ही यदुवंशी (यादवों) को गोप कहा गया है ।
देखें- महाभारत का खिल-भाग हरिवंश पुराण
" इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेन अहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ: सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति ।।२२।।
द्या च सा सुरभिर्नाम् अदितिश्च सुरारिण: ते$प्यमे तस्य भुवि संस्यते ।।२४।।
वसुदेव: इति ख्यातो गोषुतिष्ठति भूतले ।
गुरु गोवर्धनो नामो मधुपुर: यास्त्व दूरत:।।२५।।
सतस्य कश्यपस्य अंशस्तेजसा कश्यपोपम:।
तत्रासौ गोषु निरत: कंसस्य कर दायक: तस्य भार्या द्वयं जातमदिति: सुरभिश्चते ।।२६।।
देवकी रोहिणी चैव वसुदेवस्य धीमत:
अर्थात् हे विष्णु ! महात्मा वरुण के एैसे वचन सुनकर
तथा कश्यप के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके
उनके गो-अपहरण के अपराध के प्रभाव से
कश्यप को व्रज में गोप (आभीर) का जन्म धारण करने का शाप दे दिया ।।२६।।
कश्यप की सुरभि और अदिति नाम की पत्नीयाँ क्रमश:
रोहिणी और देवकी हुईं ।
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री रामनायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ' राम' द्वारा अनुवादित हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही बताया है ।
इसमें यह 55 वाँ अध्याय है । पितामह वाक्य नाम- से पृष्ठ संख्या [ 274 ]
हरिवंश पुराण में वसुदेव तथा उनके पुत्र कृष्ण को गोप कहा!
ReplyDeleteगोपायन य: कुरुते जगत: सार्वलौकिकम् ।
स कथं गां गतो देशे विष्णु: गोपत्वम् आगत ।।९। (हरिवंश पुराण ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण अनुवादक पं० श्री राम शर्मा आचार्य)
अर्थात् :- जो प्रभु विष्णु पृथ्वी के समस्त जीवों की रक्षा करने में समर्थ है ।
वही गोप (आभीर) के घर (अयन)में गोप बनकर आता है ।९। हरिवंश पुराण १९ वाँ अध्याय गीता प्रेस गोरखपुर संस्करण देखें-यदु को गायों से सम्बद्ध होने के कारण ही यदुवंशी (यादवों) को गोप कहा गया है ।
देखें- महाभारत का खिल-भाग हरिवंश पुराण
" इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेन अहमच्युत ।
गावां कारणत्वज्ञ: सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति ।।२२।।
द्या च सा सुरभिर्नाम् अदितिश्च सुरारिण: ते$प्यमे तस्य भुवि संस्यते ।।२४।।
वसुदेव: इति ख्यातो गोषुतिष्ठति भूतले ।
गुरु गोवर्धनो नामो मधुपुर: यास्त्व दूरत:।।२५।।
सतस्य कश्यपस्य अंशस्तेजसा कश्यपोपम:।
तत्रासौ गोषु निरत: कंसस्य कर दायक: तस्य भार्या द्वयं जातमदिति: सुरभिश्चते ।।२६।।
देवकी रोहिणी चैव वसुदेवस्य धीमत:
अर्थात् हे विष्णु ! महात्मा वरुण के एैसे वचन सुनकर
तथा कश्यप के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके
उनके गो-अपहरण के अपराध के प्रभाव से
कश्यप को व्रज में गोप (आभीर) का जन्म धारण करने का शाप दे दिया ।।२६।।
कश्यप की सुरभि और अदिति नाम की पत्नीयाँ क्रमश:
रोहिणी और देवकी हुईं ।
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री रामनायण दत्त शास्त्री पाण्डेय ' राम' द्वारा अनुवादित हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही बताया है ।
इसमें यह 55 वाँ अध्याय है । पितामह वाक्य नाम- से पृष्ठ संख्या [ 274 ]
षड्यन्त्र पूर्वक पुराणों में कृष्ण को गोपों से पृथक दर्शाने के लिए कुछ प्रक्षिप्त श्लोक समायोजित किये गये हैं । जैसे भागवतपुराण दशम् स्कन्ध के आठवें अध्याय में
यदूनामहमाचार्य: ख्यातश्च भुवि सर्वत: ।
सुतं मया मन्यते देवकी सुतम् ।।७।
अर्थात् गर्गाचार्य जी कहते हैं कि नन्द जी मैं सब जगह यादवों के आचार्य रूप में प्रसिद्ध हूँ ।
यदि मैं तुम्हारे पुत्र का संस्कार करुँगा । तो लोग समझेगे यह तो वसुदेव का पुत्र है ।७।
एक श्लोक और
"अयं हि रोहिणी पुत्रो रमयन् सुहृदो गुणै: ।
आख्यास्यते राम इति बलाधिक्याद् बलं विदु:।
यदूनाम् अपृथग्भावात् संकर्षणम् उशन्ति उत ।।१२
अर्थात् गर्गाचार्य जी ने कहा :-यह रोहिणी का पुत्र है ।इस लिए इसका नाम रौहिणेय यह अपने लगे सम्बन्धियों और मित्रों को अपने गुणों से आनन्दित करेगा इस लिए इसका नाम राम होगा।इसके बल की कोई सीमा नहीं अत: इसका एक नाम बल भी है ।
यह यादवों और गोपों में कोई भेद भाव नहीं करेगा इस लिए इसका नाम संकर्षणम् भी है ।१२।
परन्तु भागवतपुराण में ही परस्पर विरोधाभास है ।
देखें---
" गोपान् गोकुलरक्षां निरूप्य मथुरां गत ।
नन्द: कंसस्य वार्षिक्यं करं दातुं कुरुद्वह।।१९।
वसुदेव उपश्रुत्य भ्रातरं नन्दमागतम्।
ज्ञात्वा दत्तकरं राज्ञे ययौ तदवमोचनम् ।२०।
अर्थात् कुछ समय के लिए गोकुल की रक्षा का भाव नन्द जी दूसरे गोपों को सौंपकर कंस का वार्षिक कर चुकाने के लिए मथुरा चले गये।१९। जब वसुदेव को यह मालुम हुआ कि मेरे भाई नन्द मथुरा में आये हैं ।जानकर कि भाई कंस का कर दे चुके हैं ; तब वे नन्द ठहरे हुए थे बहाँ गये ।२०।
और ऊपर हम बता चुके हैं कि वसुदेव स्वयं गोप थे ,
तथा कृष्ण का जन्म गोप के घर में हुआ।
फिर यह कहना पागलपन है कि कृष्ण यादव थे नन्द गोप थे ।भागवतपुराण बारहवीं सदी की रचना है ।
और इसे लिखने वाले कामी व भोग विलास -प्रिय ब्राह्मण थे ।
Kya hai ki sirf bate Kara lo rajputo se apni man gadant bato ko ek bhi praman pesh Nani kar paye jabki yadvo ne praman ke sath bat kari hai rahi bat ahiran looti gopika to ahiran ki jagah bhilan looti hai aur gopika ka matlab ahir gwal Yadav hai
DeleteBest gurjar hai
DeleteLodhi rajput or sonigra rajput mei ky similarities h muje ye janna h..?
ReplyDeleteAre Bhaai Aapko jara bhi akl hai ki nahi. Yadav ko nakli Yadav Aur kshatriy ko Yadav bata rahe ho. Suno Agar Shree Krishn ji Kshatriy Hote. To Gandhari unhe shraap nah deti. Gandhari ne kaha tha ki jis taranh tumne kshatriyo ka naash kiya usi tarah tum Yadav ka bhi Vinash ho jayega. Shree Krishn ji Yadav the na ki kshatriy
ReplyDeleteKya kuch v bol rhe ho???ahir yadav sabhi kshatriya hai...rao tula ram ahir the...heera ahir the yadu ke naam pe chal rha yaduvanshi v ahir the...aur sabse puraane kshatriya v ahir hi hai...nhi pata to kuch v bol doge kya??? Veda padho geeta padho google search karo...sab pata chal jaayega...bina ahir regiment ke sabse zyada ahir hi hai indian force me aaj v...
DeleteGjkoo
ReplyDeleteयदुवंशी भाइयों अधिक तर्क कुतर्क करने की आवश्यकता नहीं है भीलन लूटी गोपियां है अहिरन लूटी गोपियां नहीं यह बंदा इसमें काट छांट कर यदुवंशियों को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है यदुवंशियों की उत्कर्ष से बहुत को पेट में मरोड़े लग रहे हैं लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है जो होना है वह तो होकर रहेगा यादव अहीर गोत्र ग्वाला यदुवंशी यह परस्पर समानार्थी शब्द हैं जब जब यादव अहीर वंश की बात चलती है तो बंसी वाले के वंशजों के रूप में सारे संसार द्वारा हम जाने जाते हैं इस प्रकार के कुतर्क करने से कुछ होने वाला नहीं है इस भाई को समझना चाहिए अहीर और यादव परस्पर एक ही समानार्थी शब्द है इन में कोई भेद नहीं है कालिया नाग को वश में करने के कारण भगवान मधुसूदन को अहीर की उपाधि से विभूषित किया गया तब से यदुवंशी अहीर कहलाए कुछ लोग बिना भारतीय इतिहास के अध्ययन किए ही अंधेरे में सट्टे मारते हैं और कहते हैं कि कृष्ण के पालक पिता नंद बाबा और जन्मदाता पिता वसुदेव अलग अलग थे वसुदेव को यदुवंशी क्षत्रिय बताते हैं और नंद बाबा को अहीर बताते हैं किंतु शायद वह यह नहीं जानते महाभारत श्रीमद्भागवत गीता गर्ग संहिता शक्ति संगम तंत्र इत्यादि ग्रंथों में इनमें रक्त संबंध बताया गया है नंद बाबा और वसुदेव दोनों ही चचेरे भाई थे उदरपूर्ति के लिए यदि कोई गोपालन या कृषि कर्म को अपना लेता है तो इससे उसका रक्त नहीं बदल जाता यदि ऐसा होता तो शेखावटी में महाराज शिखा के वंशज जो शेखावत गोत्र के राजपूत कहलाते हैं भेड़ बकरियों पालते हैं और कुछ एक खेती करते हैं उदरपूर्ति के लिए कर्म करना पड़ता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उनका रक्त बदल गया रहेंगे तो वह शेखावत राजपूत ही ठीक इसी प्रकार यदुवंशियों द्वारा कुटुंब बढ़ने पर यदि गोपालन एवं कृषि कर्म को प्रस्तुति वर्ष अपनाया गया तो इसका मतलब यह नहीं कि उनका रक्त बदल गया एक बात और कहना चाहूंगा ऐसी बातें बोलने से कुछ होने जाने वाला नहीं है जो पढ़े-लिखे सज्जन हैं वह इस सत्य से भली भांति परिचित हैं कि अहीर यदुवंशी हैं और यदुवंशी अहीर हैं धन्यवाद
ReplyDeleteअहीरन लूटी गोपीया भी रहेगा तो क्या फरक पडेगा?
Deleteबहुत ही सारगर्भित शब्दों में संयुक्त भाषा में पुस्तक परमाणु द्वारा आपने अपनी बात कही इसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं इतना पढ़कर भी जो याद और हीरों को अलग-अलग बताते हैं उनसे नालायक और द्रुत इस पृथ्वी पर शायद ही कोई प्राणी हो जय यादव जय माधव
ReplyDeleteWhat a bullshit post by this Jadaun.
ReplyDeleteJadaun, bhati, chudasama, jadeja are all Ahirs only. It is well known that Jaisalmer Bhati used to graze camels and cows. Similarly jadeja, Jadaun all used to keep cows. So all are ahir yadavs only. Also Rajput in Karnataka state are OBC. RAWAT RAJPUT is ahir and they are OBC in Uttarakhand
Is gadhe ki post me jitni baten h sb jhutt h gujrat k kisi court ne aaj tak koi aisa faisla nahi diya h ,bhillan lootan gopiya ko isne abhira lootan gopiya kar diya .yaduwansi khastriya h na ki rajput jadeja chudasama bhati sabhi yaduwansi h bus ye rajputo k prabhao me aakar khud ko rajput likhne lage .
ReplyDeleteक्रमांक नाम जाति / उपजाति / वर्ग समूह परम्परागत व्यवसाय कैफियत
ReplyDelete1 अहीर, ब्रजवासी, गवली, गोली, जादव(यादव) बरगाही, बरगाह,ठेठवार, राउत गोवारी, (ग्वारी) गोवरा, गवारी, ग्वारा, गोवारी महाकुल (राउत) महकुल, गोप ग्वाली, लिंगायत, पषुपालन व दूध विक्रेता का व्यवसाय करने वाली जाति यादव अहीर जाति की उपजाति के रूप में शामिल की गर्इ है, अधिकांष अहीर व उसकी उपजातियों अपने को यादव कहती हैं व लिखती है, यादव राजपत इसमें शामिल नहीं हैं।
bhai chander wansi or sury wansi do alag-alag wans he, feer dono ne milkar ek nai caste ban li wo Rajput. Do alag- alag wans eak caste me kase ho sakte he. Jabki sabhi purani garantho me chatriy sabad ka istemal hota he. chander vansi rajo ka raj khatam kar ne ki liye kuch yadav rajo ko alag kar diya or unko naya naam de diya taki un ki sankhya kam ho jaye.
ReplyDeleteये लिखने वाला इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं जानता, इसकी दिमागी स्थिति खराब हो गई है किसी डॉक्टर के पास जाना चाहिए इसको. जो इसने लिखा है वो इसको ढूंढ भी लेना चाहिए.
ReplyDeleteBut we have labourers, nd they are shudra kurmi they were skilled labours peasants during sanskritnisation now they owned lands in nalanda due to affect of bank chor dakait ranjeet doolon...
ReplyDeleteबिलकुल गलत जानकारी दी गयी है आपके द्वारा।आपकी मनसा तो यादवो को आपस में लड़वाना है यही लगता है।अब आप बताएँगे की यादव कौन हैं और यदुवंशी कौन है???आपका बस चले तो आप यादव को मुसलमान भी बता दो कल को।यादव महाराज यदु के वंसज हैं जिसमे श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था ।और सभी अहीर यादव राव जडेजा भाटी क्षत्रिय थे है और रहेंगे।यदुवंशियो को तोड़ने का कार्य न करो आप।जय यादव जय माधव
ReplyDeleteWithout having a proper proof you can not say that in british times some castes makes a community
ReplyDeleteand start writing Yadav as the surname
Ye bsdka blog wala pandit hai aur ye yadavon ko bantanaa chahta hai taki pandit desh par raj kar ske hm logo m foot dalkar jaraa mujhe koi batyega ki sachaa brahman kon hai??
ReplyDeleteBumihar?
Dwivedi?
Trivedi?
Bhardwaj??
में भारत आये ये
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