गैर राजपूत राजवंश और उनके राजपूत पूर्वज
(SINSINWAR JAT OF BHARATPUR)=====
कृपया इस महत्वपूर्ण पोस्ट को पूरा पढ़े और अधिक से अधिक शेयर करें........
मित्रों हमने आपसे वादा किया था कि इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको वास्तविक प्रमाणिक इतिहास से परिचित कराने का प्रयास करेंगे............
आज हम एक नयी श्रंखला शुरू करने जा रहे हैं जिसमे कुछ ऐसे राजवंशो का परिचय देंगे जो आज राजपूत समाज का हिस्सा नहीं है पर इनके पूर्वज राजपूत थे, जिनको रगों में भी क्षत्रिय रक्त है पर वर्ण संकर होने के कारण ये बंधू क्षत्रिय समाज में नहीं रह पाए.किन्तु इन्होने क्षत्रिय राजपूत समाज से अलग होकर भी राजवंशो की स्थापना की.
राजपूतों के लिए रक्त की शुद्धता शुरुआत से अहम रही है और यही हमें हमारे क्षत्रिय धर्म एवं संस्कार सिखाते हैं ! क्षत्रियता के कड़े मापदंडो पर जो नहीं उतर पाता उस क्षत्रिय को जाति विहीन रह कर या दूसरी निम्न जातियों में मिलकर बसर करना पड़ता है ! इसी सन्दर्भ में इस पोस्ट में आज तथा इसके अगले भागों में कुछ वंश बताये जायेंगे जिनका मूल निकास क्षत्रिय राजपूत वंशो से ही हुआ है पर आज ये दूसरी जातियों में पाए जाते है।
मित्रों हमने आपसे वादा किया था कि इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको वास्तविक प्रमाणिक इतिहास से परिचित कराने का प्रयास करेंगे............
आज हम एक नयी श्रंखला शुरू करने जा रहे हैं जिसमे कुछ ऐसे राजवंशो का परिचय देंगे जो आज राजपूत समाज का हिस्सा नहीं है पर इनके पूर्वज राजपूत थे, जिनको रगों में भी क्षत्रिय रक्त है पर वर्ण संकर होने के कारण ये बंधू क्षत्रिय समाज में नहीं रह पाए.किन्तु इन्होने क्षत्रिय राजपूत समाज से अलग होकर भी राजवंशो की स्थापना की.
राजपूतों के लिए रक्त की शुद्धता शुरुआत से अहम रही है और यही हमें हमारे क्षत्रिय धर्म एवं संस्कार सिखाते हैं ! क्षत्रियता के कड़े मापदंडो पर जो नहीं उतर पाता उस क्षत्रिय को जाति विहीन रह कर या दूसरी निम्न जातियों में मिलकर बसर करना पड़ता है ! इसी सन्दर्भ में इस पोस्ट में आज तथा इसके अगले भागों में कुछ वंश बताये जायेंगे जिनका मूल निकास क्षत्रिय राजपूत वंशो से ही हुआ है पर आज ये दूसरी जातियों में पाए जाते है।
------------------भाग १-------------------
सबसे पहले शुरुआत भरतपुर राजवंश के सिनसिनवार गोत्र के जाट घराने से करते हैं !
======भरतपुर राजवंश=======
भरतपुर राजवंश सिनसिनवार जाट गोत्र का होना माना जाता है।सिनसिनवार जाट अपनी उत्पत्ति जादौन राजपूतो( असली यादव )से मानते है। इस राजवंश के मूल पुरुष ठाकुर सीन्द्पाल थे जिनकी वंशावली करौली के यदुवंशी जादौन राजघराने से शुरू होती है। भरतपुर राजपरिवार अपनी वंशावली ठाकुर थान पाल से शुरू मानता है जो की सिनसिनी गांव के ठाकुर सीन्द्पाल के 12 पीढ़ी बाद हुए। ठाकुर थान पल के कई पुत्र हुए जिनमे से ठाकुर धरम पाल सबसे बड़े और ठाकुर मदन पल तीसरे नंबर के पुत्र थे। ठाकुर मदन पाल के वंश में ठाकुर बाल चन्द्र पैदा हुए। ठाकुर बाल चन्द्र की राजपूत पत्नियों से कोई संतान नहीं हुई परन्तु उनकी एक जाट पत्नी से उन्हें दो संताने हुई जिनका नाम बिरद (बिज्जी) और सुरद (सिज्जी) था।परन्तु कुछ जाट इतिहासकार और जाटों का नया इतिहास नमक किताब के अनुसार बालचंद्र जादौन ने एक दिन किसी सोरोत जाट लड़की का डोला लूट लिया और उससे शादी की।यह बात आज की तरह बालचंद जादौन के परिवार और ठाकुर समाज को स्वीकार नही थी,इनसे जो संतान पैदा हुई उसको राजपूत समाज ने नहीं अपनाया.
क्षत्रियो ने सदा ही रक्त और वर्ण की शुद्धता पर विश्वास किया है और यही उनका क्षत्रिय धरम भी सिखाता है। परिणामवष यह परिवार राजपूत बिरादरी से अलग हो गया और जाटों में ही रिश्ते करने शुरू कर दिए तथा जाट बिरादरी में शामिल हो गया। ठाकुर बिराद चंद ठाकुर खानु चंद के पूर्वज थे। ठाकुर खानु चंद से भरतपुर राजपरिवार का उदय होना माना जाता है।ठाकुर खानु चंद जाट जाति के नेता बने और मुग़लों के अस्त होते काल 17 वी शताब्दी में ये काफी शक्तिशाली हुए।
बाद में इस वंश के राजाराम और चूडामण काफी शक्तिशाली हो गए,
(इनके बाद किस प्रकार बदन सिंह ने जयपुर के राजा सवाई जयसिंह की मदद से शक्ति अर्जित की .इस वंश के सबसे ताकतवर राजा सूरजमल और राजपूतो के कैसे सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रहे,किस प्रकार उसके पुत्र जवाहर सिंह ने घमंड में चूर होकर राजपूतो को नीचा दिखाने की कोशिश की,जिसका परिणाम उसे मावन्डा मढोली की करारी हार के रूप में देखना पड़ा और जयपुर के राजपूतो द्वारा जवाहर सिंह को दी गई इस करारी मात ने उत्तर भारत में बड़ी शक्ति के उदय का स्वप्न चकनाचूर कर दिया,इसी समय फ़्रांसिसी यात्री फादर वेन्डेल भरतपुर आया था ,उसने जाटों के बारे में और जयपुर से उनकी हार के बारे में क्या क्या लिखा है उन सब विषयों पर हम शीघ्र ही अलग से एक विस्तृत पोस्ट करेंगे.)
(note-भरतपुर राजवंश में राजाराम,चूडामन,बदन सिंह,सूरजमल से लेकर जवाहर सिंह तक उनके राजपूतो से सम्बन्ध और मावन्डा मढोली के एतिहासिक युद्ध पर शीघ्र ही अलग से पोस्ट की जाएगी)
अतः आज के सिनसिनवार जाट जादौन राजपूतों के वंशज और भाई माने जाते है।एक और चौकाने वाली बात यह भी है के इस वंश के कई लोग आज भी नाम के पहले ठाकुर टाइटल लगाते है और भरतपुर राजवंश कुंवर भंवर जैसे राजपूत उपाधियों का प्रयोग करता है।
अनेक कपोलकल्पित एतिहासिक मान्यताओं के लिए मशहूर जाट वेबसाइट जाटलैंड भी भरतपुर राजपरिवार की करौली जादौन से उत्पत्ति मानते है परन्तु वह इसे उलटे प्रकार से यह कह कर प्रस्तुत करते है के सिन्सीवर जाटों का राज करौली पर था और भरतपुर राजवंश की उत्पत्ति राजा सूरज मल से मानते है.जबकि ये विख्यात है की करौली के जादौन वंश जो की असल यदुवंश है मथुरा से यहाँ राजा ब्रह्म पाल यादव (जादौन) के समय आये और सं ९०० ईस्वी में करौली राज्य स्तापित किआ।
इस श्रंखला की अगली कड़ी में पंजाब हरियाणा की भाटी राजपूतो से निकलकर बनी फूल्कियाँ जाट रियासतों(पटियाला,नाभा,जीन्द,कैथल,फरीदकोटआदि )और उनके राजपूत पुरखों पर प्रकाश डाला जाएगा..
From the Pages of Pre Independent India: Some Non Rajput States and their Rajput Ancestry Part 1
======BHARATPUR STATE=======
The Rulers of Bharatpur are of Sinsiwar Jat clan .They claim descent of Jadon Rajputs, from Sind Pal, common ancestor with the House of Karauli. The ancestry of this family starts from Thakur Than Pal, twelfth in descent from Thakur Sind Pal of Sinsini village, had several sons, including Dharam Pal, the eldest son and Madan Pal the third son. The Madan Pal is considered the predecessor of Bharatpur royal family. His descendant, Bal Chand or Balchandra of Sinsini, having no issue by his wife, took a Jat lady, by whom he had two sons named Birad (Bijji) and Surad (Sijji). But according to some Jat scholars and the book called “Jaton ka Naya Itihas”, Balu Chand Jadaun looted the palanquin of a sarot Jat lady near Karauli and married her. The brothers of Balchandra , did not accepted this heinous crime committed by him. They deprived him from the status of Rajputra. The family was then degraded from Rajput ancestry and they continued their relations in the Jat community. Thakur Birad was the ancestor of Thakur Khanu Chand from whom the prominent history of Bharatpur starts.
The descendants of Khanu Chand became leaders of the Jat race and rose to considerable power during the Mughal decline in the late seventeenth century. Badan Singh extended his territories and received enhanced titles and honours. The power of the Bharatpur reached its zenith under Suraj Mal, Badan Singh's nephew, stepson, adopted son and successor. Thereafter the Jadon jats of Bharatpur proved fickle allies, making and breaking alliances with the Mughals, Mahrattas and the British. Losing territory to all three, but also gaining Deeg in the process. The British, under Lord Lake, fruitlessly besieged the fort of Bharatpur twice in 1804 and 1805, eventually settling for a treaty of protection after the failure of the second siege. The fort eventually fell to Lord Combermere's forces in 1826, after the British intervened to unseat a usurper, and demolished. Thereafter, Jats proved to be great allies, supplying large numbers of recruits for the Indian Army and the Maharajas participating in Imperial campaigns. The state acceded to the Dominion of India in August 1947, and merged into the Matsya Union in 1948 (absorbed into Rajasthan in 1949).
Therefore, it can be stated that Sinsiwar clan of jats are brethren of Jadaun khatriya clan. Interestingly, Jadaun jats or Sinsiwar still uses their ancestral titles of Thakur , Kunwar , Bhanwar at some places in the region. The famous Jat site jatland accepts the fact the Bharatpur rulers are descendants from Yaduvansha but it is completely tried to hide the fact that this ruling family were originally Yaduvanshi Jadaun Rajput clan. The site in turn states that Sinsiwar jats were the rulers of Karauli state and the founder of Bharatpur state was Raja Surajmal. But it is historically accepted that the rulers of Karauli state were Predecessor state of Mathura and it was founded about 900AD by Raja Brahm Pal Yadav (Jadaun). Please refer to the sources below before commenting.
Sources:
• Chiefs and Leading Families in Rajputana, Office of the Superintendent of Government Printing,Calcutta,1894,1903and1916.
• Major H.E. Drake-Brockman. A Gazetteer of Eastern Rajputana, comprising the native states of Bharatpur, Dholpur, & Karauli.
• Scottish Mission Industries Co. Ltd., Ajmer, 1905.
Kunj Bihari Lal Gupta. The Evolution of the Administration of the former Bharatpur State. Vidya Bhawan Publishers, Jaipur, 1959.
• Tony McClenaghan. Indian Princely Medals: A record of the Orders, Decorations and Medals of the Indian Princely States. Lancer Publications, Spantech & Lancer, New Delhi, 1996.
• Jwala Sahai. His Highness Maharaja Jaswant Singh Bahadur, GCSI of Bharatpur. Jwala Sahai, Bharatpur, 1914.
• Jaton ka Naya Itihas , a book
and www.royalark.net
**फादर वेन्डेल के संस्मरण
• Chiefs and Leading Families in Rajputana, Office of the Superintendent of Government Printing,Calcutta,1894,1903and1916.
• Major H.E. Drake-Brockman. A Gazetteer of Eastern Rajputana, comprising the native states of Bharatpur, Dholpur, & Karauli.
• Scottish Mission Industries Co. Ltd., Ajmer, 1905.
Kunj Bihari Lal Gupta. The Evolution of the Administration of the former Bharatpur State. Vidya Bhawan Publishers, Jaipur, 1959.
• Tony McClenaghan. Indian Princely Medals: A record of the Orders, Decorations and Medals of the Indian Princely States. Lancer Publications, Spantech & Lancer, New Delhi, 1996.
• Jwala Sahai. His Highness Maharaja Jaswant Singh Bahadur, GCSI of Bharatpur. Jwala Sahai, Bharatpur, 1914.
• Jaton ka Naya Itihas , a book
and www.royalark.net
**फादर वेन्डेल के संस्मरण
note- यह आर्टिकल राजपुताना सोच एवं क्षत्रिय इतिहास की बौद्धिक संपत्ति है,सभी बंधुओं से अनुरोध है कि कृपया इसे शेयर करें,और कहीं राजपूत समाज के हित में कॉपी भी करे तो साथ हमारे पेज का सोर्स और लिंक जरुर लिखे.
Galat post he ye
ReplyDeleteआदरनीय श्रीमान यही सत्य है
Deleteआदरनीय श्रीमान यही सत्य है
DeleteJats have many gotras which are similar to rajput kulis.tomar jats of baraut region in West up are originated,from Tomar rajputs.jagas are having authentic records of this origjn.
DeleteJay jay rajputana
DeleteRajput ekta jindabad
DeleteWrong
ReplyDeleteRajput tumhare purvaj they tumhe garv hona chahiye
DeleteRajput tumhare purvaj they tumhe garv hona chahiye
DeleteRajput nahi the purvaj. Man bhasand dusro ke baap banne nikalte ho aur jab dusre tumhe Shako aur Jaato ke aulad kehte ho to bhadak uthate ho.
DeleteWrong
Deletei am from sinsinbar royal family and i belongs to royal family nd i know about our origin. this post is very false.
ReplyDeleteMost welcome sir,
DeleteJhoot h srasr
DeleteSo what is the true
DeleteI m also belog from Karauli royal family and hmare khyato me yhi likha hai
Aashish pal jadoun from hadouti
This post absolutely wrong . bharatpur k sinsinwar ka origin shree krishna s hua tha ha ybmante h ki maa yashoda yadav thi lekin maa devki jo ki asli maa thi vo jaat thi
DeleteAnirudh singh belongs to the same family, he himself cleared it.
DeleteHis ancestors were jadauns of larauli.
सर आप बेशक रॉयल फैमिली से हों, लेकिन रॉयल फैमिली के लोग द्वेष भाव नहीं रखते, or मेरे हिसाब से सबसे बड़े रॉयल फैमिली के उत्राधिकारी अनिरुध सिंह है और उन्होंने स्वीकार कर लिया है आप भी कर लोग जब ये द्वेष खतम हो जायेगा तब.
Deleteअनिरुद्ध का पूरा स्टेटमेंट अपने मामा जो की राजपूत हैं ओर अंग्रेजो द्वारा लिखी एक किताब से प्रभावित है। हमारे यहां भी जगा हैं ओर मैने उनसे इस बारे मे पूछा तो उन्होंने कहा कि सिनसिनवार जादौन से नहीं निकले बल्कि उल्टा जादौन सिनसिनवार से निकले है इन्हे बहिष्कृत कर दिया गया था क्योंकि इनके पूर्वज जो की पहले सिनसिनवार ही था उसने सगोत्र विवाह कर लिया था जो की आज तक भी जादौन करते हैं ओर जाटों में ये स्वीकार्य नहीं है
Deleteजदौन वंश यदुवंश की एक गौरव पूर्ण शाखा है.और करौली यादवों के लिए मथुरा के समान ही पवित्र है।माता कैला देवी माता यगेश्वरी(जो कि यादवों कि कूलदेवी है)कि अवतार है।
ReplyDeleteT
ReplyDeleteMa kaila devi ki jai ho.
ReplyDeleteJadaun or Jadon is rajput caste...and this is true fact
ReplyDeleteI am Jadaun Rajput
Mere purvaj thakur Vijay pal ne sun 1522 me Lanki village aur kulvara aadi 31 villages Sinsinwar pariwar ke hai
ReplyDeleteHahahha..arre ab toh sudhar jao..man me aaya vo Apne hisab se itihas Bana Raha hai..Rajput history or Mughal connection sabko pata hai AJ ke samay me ..kon veer that kon nahi sabko pata hai..apni manghadant kahaniyan apne pas rakho..feel pity for you
ReplyDeleteJo khud choor hota hai na wo dusroon kobhi choor samjhata hai .
Deleteमुगलों में भी उन्हीं कन्या विवाही गईं जिनकी माता गैर क्षत्रिय थी। असली क्षत्राणी कोई नही गईं।
DeleteJai jat jai bharat
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/Vanshawali-1558910631098310/
ReplyDeletekindly help me to expand our genealogy https://www.facebook.com/Vanshawali-1558910631098310/
ReplyDeleteFake
ReplyDeleteYour ancestors have connection with jadauns of karoli even jat historians accept this fact.
DeleteYour ancestors have connection with jadauns of karoli even jat historians accept this fact.
DeleteKeval ek hi book mein ye kahani likhi Hui hai jo ki Maharaja Surajmal ke 200 saal baad likhi gyi use contemparory source nhi Maan skte
DeleteYou can check Sujan charitra(contemparory source )usme Aisa kuch bhi nhi likha
&
Anirudh is also rajput his mother is rajput
Shayad aapko yaduvansh ke itihaas ke bare main bilkul jankari nahi h.balchand ji yaduvanshi the aur unke beej se janmi santan bhi yaduvanshi hi hogi isme galat baat kya h.rajputon ne to apni rajkumari bhi mugalon ko byahi thi wo kabse shudh jati ke ho gaye.
ReplyDeleteAap galt hai jadoun maharaj arjun dev ne 1388 me khilji ki beti ka dola liya tha
DeleteKya jadon rajput yaduvanshi nahi Hain aur karoli ke jadons see apka ko bhi sambhandh nahi hain.rajput ranio se janmi koi ladki kabhi muglo nahi de.jauhar sarvoch balidan aur rakt suddhi ka proof hai
Deleteकाफी अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteपरन्तु नामो में गलतिया है ।
थान पाल नही विजय पाल जी थे ।
और सिंद पाल को करौली ख्यातो में सुआ पाल लिखा है ।
जिनके वंशज सिनसिनवार है ।
बोहत ही सफाई से कहानी बनाई ह पर कहते ह ना कि जूठी कहानिया लोग समझ जाते ह। इसमे अगर कोई मुझसे सचाई पर बहस करना चाहता ह तो कर सकता ह क्यों कि सफाई में कुछ कमियां जो दिख गई।
ReplyDeleteऐसी कहानियां गैर राजपूत पेजों पर भी मिल जाएगी बोहत शानदार तरीके से बनाई हुई। उसमे राजपूतो की उतपति जाटों से बताई गई ह जो काफी हद तक सच ह।
ReplyDeleteराजपूत एकमात्र क्षत्रिय कौम है। बाकियों ने पिछले 100 साल में ढोंग और नकल करना शुरू किया है। ज्यातो कि पूरे भारत मे एक छोटी और कमजोर रियासत थी वो भी जय सिंहजी के एहसान तले।
ReplyDeleteराजपुतों का सदा से वर्चस्व रहा है। ये बात कुछ जातियों को पचती नहीं है।
जय राजपुताना जय भवानी
Bkbas band kro
DeleteAre Bhai phele Hindi to seek lo.rajputs are direct descendants of Vedic khastriyas it is fact which can be proved by their gotras.
Deleteक्या कहा भरतपुर छोटी सी रियासत थी तो सुन भरतपुर ही वो रियासत है जो तुम्हारे छिटोड के दरवाजे जिन्हें अलाउद्दिन दिल्ली ले गया और उन दरवाजो को तुम राजपूतो की औकात नही थी उन्हें ऐसी छोटी सी रियासत के महाराजा जवाहर सिंह लेके आये जो आज भी किले पर लगे हुए है और सुन अजित सिंह राठौड़ की वेटी जिससे कि farukshiyar न जबरन शादी कर ली उस farukshiyar को चुरामन जाट जी ने ही मरवाया था पूरे इतिहास में कही लिखा है किसी राजपूत राजा ने किसी अन्य जाती की लड़की की रक्षा के लिए मुगलो से युद्ध किया बता जब तुम अपनी ही रक्षा नही कर सकते तो दूसरों की क्या करोगे तो इस लिए अपनी औकात मत खुल वयो
DeleteRajput is real warrior!!!
DeleteKuch logon ko pata chal gaya hai ki unke purvaj rajpoot the isiliye unhe bura lag gaya hai...
ReplyDeletesuno sab mere bhaio, samay samay pe apne bharat desh ki raksya sab jati ne ki he koi aek jatine is desh ko banaya nahi he...brahmin = chankarya, huno na akraman thi desh ne bachavnara sung vansh,bajirao peswa,mangal pandey,chandra shekar azad,jasi ki rani laxmibai etc
Deleteyadav= raja porus,devgiri na yadvo
jat = jat regiment, kargil war,jat vidroh,raja ranjitsihji(patiala), bhagat sing,raja majendra pratap sing,
gurjar= sardar patel
bania= gandhiji,raja oke diwano
rajput= voto apko hamse jyada pate he
khastriya dharm ka matlab kisi ki raksya karna he ..abhi koi modi,bania,gurjar,luhar,yadav,koi bhi military me he,police me he to vo khastriya dharm nibha raha he aur agar koi rajput business kar raha he, footwear ka showroom chala raha he, kheti kar raha he,techaer, he to vo konsa khastriya he batao ????
A
DeleteAbe asli yaduvanshi rajput hote hai Jadon,Bhati, jadeja, salaria, jadhav ye to pta krle phle
DeleteKuch logon ko pata chal gaya hai ki unke purvaj rajpoot the isiliye unhe bura lag gaya hai...
ReplyDeleteदेव संहिता पड़ना कभी
ReplyDeleteMost of bhatti jatt in malwa region of punjab is jatt but in doaba region of punjab are Rajput and SC their is village shalon district nawashehar are of Sikh Rajput and some in mohali district village lalru chuni machli are of bhatti rajputs
ReplyDeletekoi shilalekha jha ye likha hai lekh nh shilalekha hai sbse bada proof ussi time ke ya bina koi proof wase hi likh dte ho
ReplyDeleteGalat gyan na banto gyaniyon..Tomar r jats originally,tomar rajputs started from dhilu tomar(king of dilli) as his future generations started marrying in rajasthan raj parivar(political allainca) and hence they started calling themselves tomar rajputs....So yes today's tomar rajputs r rajputs because of heavy mixing with rajsthani rajputs,but tomar jats r pure jats and should not be associated with any rajput clan...
ReplyDeleteAnd one more thing , most sir names in jats,chamar,yadav,rajputs etc r adopted from their place of origin,that is why many have same sir names,that doesn't mean our ancestors in recent history were same.
ReplyDeleteHosh mein aao esi kahaniya bana k aapni hi bezzati karwa rahe ho....
ReplyDeleteKon kiska poorvaj tha ye bakchodi hi reh gayi h rajput samaj mein...Fail samaj na banao jise...Kuch haasil nahi hona eese duniya aahe nikal jani h..Tum poorvajon ko dhundte reh jane ho
1505 ईस्वी की गोहद रियासतों से जाटों का वैभवशाली इतिहास ज्ञात होता है। भिंड जिले में जर्जर अवस्था में गोहद का किला है। 360 छोटे मोटे किले भी हैं जाटों के। जाटों ने कभी ब्राह्मणों का मानसिक गुलाम बनना पसंद नहीं किया। जाटों की नजर में ब्राह्मण भिखारी से ज्यादा कुछ नहीं है। इसलिये जाटों के इतिहास की उपेक्षा हुई। क्षत्रिय अपने दम साहस बल बुद्धि पर निर्भर हैं। जिसे जो लिखना है लिख लो। जाट शुद्ध क्षत्रिय हैं दोस्तो के दोस्त चाहे वो किसी भी जाति का हो दुश्मनों के दुश्मन हैं कोई भी हो।
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात
DeleteShudra bhi koi Kshatriye hota hai be 🤣🤣🤣🤣
DeleteNo tell me one Historian.Hawa me firing na kru janab.Kuch bhi Kahani bna the hu.
ReplyDeleteJo khud gola h ...wo ithas bta ehe h wha...jinka khud ka astitva 9th century m aya vo bhi a videshi hun shak etc se
ReplyDeleteWrong information
ReplyDeleteFake h
ReplyDeleteBook 18 century ki bhi galat hogi jo British government ko bhartpur government nai jankari di apanai ko gazetter mai jadon rajput sai connected kiya why? British government resident bharatpur rahata us nai royal family ki permission sai likha. Ain A-Akhabari bhi paro bhatti jat likha patiyala royal family website mai rawal jaisal of jaisalmer ka vanshi bataya hai baat khatam log khod bol rahai gair aapti mat karo . British government Indian government record hai rajputo nai nahi banai unko jarurat kya bhartpur district 5000sq km in 1947 Rajputana 300000sqkm rajput state Kashmir is approx 250000sqkm nepal king gurkha rajput 400000sqkm approx 1250000sqkm under rajput so no one equal to rajput. World ki 1/4population pujati hai rajputo rajputra ko China Thailand Laos Cambodia Vietnam Korea japan Nepal Myanmar Lanka India Bhutan mangoliya Myanmar mangoliya Philippians bali japan Hong Kong malaisiya Indonesia 10%population. Bhudha mahavir ram krishna so great.
ReplyDeleteSahi bola bhai great knowledge
DeleteItehaas chor ki g hi faad di
गलत खबर है ये
ReplyDeleteAap ke post galat hai kyu ke jaat vans ke utpati satyug me hue the sinsinwar vans use samaya ka hai
ReplyDeleteGyan
ReplyDeleteBhai jaat toh jaat hote hai kisi ko suboot ki jarrorut nahi na hi kisi rajputaana soch apna janmvansh batao kqi jaato ka apna ek alug hi varshv hai ok
ReplyDeleteJaat (sinsinwar/faujdar) Descendant of Jadon Rajput
DeleteOk So Surajmal is Jadon Kshatriya Rajput not jaat .
Jadon is not yadav
ReplyDeleteJadon is yaduvanshi Rajput
Bhaisahab aapse ye kisne kah diya ki jaato ko Kshatriya nhi kaha jata.kheti krte h to kya aap ham se Kshatriya chheen lenge or ha mahraja surajmal jat the na ki rajput
ReplyDeleteभाई जी हम भी जाट है और हमारा संबंध तोमर राजवंश से है।
DeleteI am hiring a author to write a novel on Rajput and their sons Kshatriyas .Would you help please?.Please also write a post regarding Cholas,Cheras and Pandyas to be Rajputs.
ReplyDeleteBhai muze Lagta h Kuch tadya Sahi Nahi h kyunki mohm.gori ko bhi jato me hi mara tha us samay to na surajmal the or na raja ram or na chudaman jato Ka ullekh to mahabharat m bhi h esliye muze Nahi Lagta aap Jo bata rahe hen vo thik hoga par Han ye Sahi h k ye dono kshtriya Samaj k log or enki ladkne or sochne ki seli ek jesi h
ReplyDeleteBilkul sahi or jis jisko galatfehmi hai jat rajputo ki auladein nhi hai wo jakr vanshavali pddlein yaha aakr gyan na dein.
ReplyDeletePehle sanatani bano baad mein rajpoot jaat gurjar aur brahman ban lena
ReplyDeleteYhi wayah thi jiske karn 700 saal ki ghulami sahni sadi
Har har mahadev
Jai shri shri Ram
Aaj kisi ak jaat bhai jo sinsinwar gotra ka jaat h vo khud meri ak friend ko ye baat bta rha ta ki inka vansh rajputo se juda h. Agr ye baat sach h to sabko manani chahiye.. Me khud maharaja surajmal ka itna he samman krta hun jitna ki dusre rajput rajaon ka.aur tbhi mai ne ye baat search ki aur shi nikli.. Bharatpur ke local ganv me jaa kr shi itihaas ka pta lgega 🙏🙏
ReplyDeleteKoi kisi bahan beti ki Doli loot le, Aisa na jaat chup rah sakte the na rajput,yadav,maratha. Maryada sabki saman thi. Jo bhi ess ka editor h usne yadav,maratha Sabko rajput bataya h. Thakur matlab rajput nahi hote, yadav bhi thakur lagate the or jaat bhi. Raja ke name ke aage log thakur laga dete the.. or sun editor kisi ki bahan beti ki Doli USS time koi utha leta tha to sabhi rajput,jaat,yadav, Maratha uski maa chod dete the or vo jinda nahi bachta tha, sirf tu bacha h jo chupke ye post daal raha h kabhi ek baar Jake dekh teri bahan beti bhi yadav, jaat, rajput se thuki hogi tab jake Tera jaisa gandu etihaskar paida huva tha, khap panchayat hoti thi USS vakt bhi ijjat se badhkar khuch bhi nahi. Ye etihas to rahne te teri ammi jarur muglo se thuki h tujh jaisa paida huva or yahi h sach ja ab jakar etihas me apne Abba ko dhundh
ReplyDeleteअसत्य खबर हे
ReplyDeleteBsdike झूठ फैलाकर घन्टा इतिहास बनाया तुमने , रक्तशुद्धता की कहता है मुगलों को जीजा बनाकर भग bsdike
ReplyDeleteRajputo kai bache ho aap hamare hi bhai ho ❤️
Delete16 February 2023 ko anirudh bharatpur ne kya bola vo dekh
Deletehttps://youtu.be/v5BE0H6v9EU
ReplyDeleteJai Ram Ji
ReplyDeleteठाकुर साहब ने जाटनी से संम्बंध बनाये और अपने वंश को आगे बढाया।
ReplyDeletedear sir , hame aapse kuch kehna aur add karwana hai , hamare paas uske pramaan bhi maujood hai , kirpa kare
ReplyDelete