देश को आरक्षण की आग में झोंकने वाले दो खलनायक---
-----वीपी सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी-----
सन् 1990 में देश को जातिवाद की अग्नि में जलाने का काम किया था वीपी सिंह ने।जब अपने ही दल के प्रतिद्वंदी चौधरी देवीलाल को राजनितिक पटकनी देने के लिये उन्होंने मण्डल आयोग की सिफारिशें लागु कर दी थी जिनके अनुसार तथाकथित पिछड़े वर्गों को सभी क्षेत्रों में 27% कोटा आरक्षित कर दिया गया था।इसके बाद देश में जो जातिगत दावानल की अग्नि प्रज्वलित हुई वो आज तक नही बुझ पाई है।
वी पी सिंह द्वारा लागु मण्डल आयोग की सिफारिशों के कारण कई जातियां हर प्रकार से साधनसम्पन्न और ताकतवर होते हुए भी आरक्षण की मलाई चट कर रही हैं और धोबी कुम्हार जोगी बढ़ई कहार केवट नाई डोम झींवर गड़रिया आदि का हक मार रही हैं।
ये तो हुई वी पी सिंह की बात जिन्हें सब खलनायक मानते हैं।अब बात उस शख्श की जिन्हें हाल ही में भारत रत्न दिया गया है और तथाकथित राष्ट्रवादी उन्हें महान बताते हुए नही थकते।किन्तु वी पी सिंह के बाद देश में आरक्षण की आग भड़काने का काम किसी ने किया है तो वो है पूर्व
"प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी"-----
मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू होने के 09 साल बाद राजस्थान के जाटों ने भी खुद को पिछड़ा घोषित करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया।1999 में लोकसभा चुनाव और बाद में राजस्थान विधानसभा जीतने के लिए उस समय के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजस्थान के सबसे सम्पन्न और ताकतवर जाट समुदाय को ओबीसी आरक्षण दे दिया,जबकि पिछड़ा वर्ग आयोग ने जाटों को हर प्रकार से सम्पन्न बताया था।
अटल बिहारी की गन्दी राजनीति से आरक्षण का लाभ उठाकर राजस्थान के अतिसम्पन्न और ताकतवर जाट समुदाय ने शिक्षण संस्थाओं और नोकरियों लगभग पूरा ओबीसी कोटा अकेले ही चट कर दिया।पंचायत/ नगर निकाय में ओबीसी के लिए आरक्षित अधिकतर सीटों पर जाटों का कब्जा हो गया।
जाटों द्वारा राजस्थान में ओबीसी कोटे का सूपड़ा साफ़ कर देने से गुर्जर जैसी मूल ओबीसी जातियां बुरी तरह प्रभावित हुई।और उन्होंने अनुसूचित जाति में शामिल होने के लिए हिंसक आंदोलन किया जिससे उनका संघर्ष पहले से जनजाति कोटे को अकेले भोग रहे ताकतवर मीणा समुदाय से हुआ।
सैंकड़ो गुर्जर आंदोलनकारी मारे गए।फिर भी ये मुद्दा अभी हल नही हुआ है।
अतिसम्पन्न जाट समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलता देखकर लगातार पिछड़ रहे राजपूत और ब्रह्ममण समुदायो ने भी आरक्षण के लिए आंदोलन किया।और आज भी राजस्थान जातिगत दंगो के बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।
राजस्थान में अपने भाइयों को आरक्षण मिलता देखकर अभी तक इस मांग के प्रति उदासीन रहे हरियाणा वेस्ट समुदाय के अतिअगड़े जाट समाज ने भी इसके लिए जबरदस्त आंदोलन शुरू कर दिया।जबकि हरियाणा और वेस्ट यूपी में जाट समुदाय आर्थिक सामाजिक और राजनितिक रूप से सबसे सम्पन्न और ताकतवर है।
"हरियाणा पंजाब दिल्ली और वेस्ट यूपी में जाट पिछड़ा है तो यहाँ अगड़ा कौन है???"
इनकी ब्लैकमेलिंग के आगे झुककर कांग्रेस सरकार ने इन्हें ओबीसी सूची में शामिल कर दिया जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया।
उत्तर भारत के जाट, गुज्जर समाज के आरक्षण आंदोलन से प्रेरणा लेकर और केजरीवाल, नितीश के इशारे पर गुजरात का पटेल समाज भी हार्दिक पटेल के नेतृत्व में जबरदस्त तरीके से आंदोलित है।पटेल समुदाय के पिछड़े लोग ओबीसी दर्जा पाने के लिए ऑडी और मर्सडीज में रैलियों में जा रहे हैं।
इन्होंने भीड़ जुटाने तोड़ फोड़ हिंसा में जाट गुज्जरों को भी पीछे छोड़ दिया।
अब इनके जवाब में गुजरात के मूल ओबीसी भी आंदोलित हैं और पटेल समाज से प्रेरणा लेकर उत्तर भारत में जाट समुदाय भी ऐसा ही शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में है और इसके जवाब में स्वर्णो और मूल ओबीसी में भी प्रतिक्रिया जरूर होगी।
मतलब देश में भयंकर जातिवादी संघर्ष होना तय है।
वहीँ मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है,आईएस तेजी से भारत की और बढ़ रहा है।पंजाब में पाकिस्तान और आपिये दोबारा से खालिस्तानी अलगाववाद को जिन्दा करने की फ़िराक में हैं।दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के कई राज्य देश से अलग होने की फ़िराक में हैं।
यही हाल रहा तो सिर्फ अगले दस साल के भीतर संयुक्त भारत वर्ष का नाम दुनिया के नक्शे पर नही मिलेगा।यही तो पाकिस्तान,चीन,जेहादी आतंकी,ईसाई मिशनरी,केजरी, सब चाहते हैं----
ये सब कुछ होता हुआ दिख रहा है और देश को जातिगत संघर्ष की इस भयंकर अग्नि में झुलसाने के लिए जो दो नेता सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं वो हैं ------
देश के दो पूर्व प्रधानमन्त्री वी पी सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी जिन्होंने अपने राजनितिक स्वार्थ में अँधा होकर भारी भूल की।
वीपी सिंह तो गुमनामी की मौत मर गए,उनके मण्डल ओबीसी आरक्षण का लाभ उठाकर सरकारी नोकरिया/पंचायत-नगर निकाय पद कब्जा चुके लोग भी कृतघ्न होकर उन्हें याद नही करते।
लेकिन अटल बिहारी को महान घोषित कर दिया और भारत रत्न भी दे दिया गया।
आप खुद मन्थन करें कि वी पी सिंह खलनायक थे तो क्या अटल बिहारी वाजपेयी कुछ कम खलनायक है?????
किसी का समर्थन नहीं कर रहा हुँ पर इन लोगों पर शब्दों की तलवार उठाने की बजाए हमारे संविधान में हर १० साल बाद निचले वर्ग उन्नत हुए या नहीं इस बात की पुष्टी करने का प्रावधान किया गया है और हर १० साल के बाद हर वृत्तपत्रीकाओं में निविदा दी जाती है. परंतु होता क्या है??
ReplyDeleteऔर अगले १० साल के लिये मंजुरी दे दी जाती है. रोक लगाऒ यार, कितने वर्षों तक उन्नती करेंगे? अभी तक सच में उन्नत हुए ही नहीं???
ये प्रश्न ज्यादा महत्वपुर्ण है..
सराहनीय प्रयत्न।
ReplyDeleteबंधू मैं भी आरक्षण विरोधी हूँ। कृपया ये blog bhi dekhen.http://amitmishraji.blogspot.com/2016/11/castebasedreservationsucksgeneralcategoryhuntstalent.html
किसी की राजनीतिक मजबुरी हो सकती थी लेकिन इस तरह खलनायक कहना क्या उचित होगा ।उन्होने आरक्षण लागु किया लेकिन आज हर नेता जातिवाद को फैला के अपनी रोटियाँ सेंक रहा है।वीपी सिंह व अटल जी ने कम से कम देश को लुटा तौ नही।
ReplyDeleteUttar Pradesh men Raja Bhaiya Aur Sher Singh Rana Ji Ko aur Jo Castes Jo Aarakshan Aur Jin Castes Per SC/ST Act Lagega In Sabko Unko Support Karen Tabhi Kuch Ho Sakta Hai
ReplyDeleteGaribi aur pichhdepan ke aadhar pr mdd honi chahiye
ReplyDeleteआज अगडो मे सबसे खराब स्थिति राजपूतो की है एक एक घर मे तीन चार बेरोजगार है खेती अब रही नहीं एक एक मकान मे 25से 30लोग रहते है जो भी खेती थोडी बहुत बची है बेटियो की शादी मे बीक रही हैं बेरोजगारी चरम पर है बिहार मे स्थिति और भी भयावह है यहां कोई भी उधोग धंधा नही हैं।
ReplyDeleteAppreciable
ReplyDeleteकोई भी नेता ऐसा नहीं जो इस जातिगत आरक्षण के भँवर से देश को उबारने की सोचता भी हो।जो भी आता है इसमें और गाँठें लगाता जाता है, सत्ता और कुर्सी के लालच में देश को कभी न बुझने वाली आग में झोंकने का काम करता जाता है।
ReplyDeleteAb time aa Gaya hai hinsak pradarshan ki jo àarakshan ke liye naji àarakshan hatane ke liye ho ( Bhumihar)
ReplyDeleteजाति व्यवस्था खत्म हो आरक्षण का समाधान अपने आप हो जायेगा
ReplyDeleteRight hum logo ko ek hokar bada pradarshan karna hoga
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