जय भवानी,जय राजपूताना-------------
----आधुनिक वीर शिरोमणि क्षत्रिय हृदय सम्राट "शेर सिंह राणा" की सम्पूर्ण जीवन गाथा----
कृपया पूरा पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें।
राजपूतों और समस्त भारतवर्ष के सम्मान के लिए खुद को किया न्यौछावर------
परिचय------
शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था।इनका बचपन का नाम पंकज सिंह पुंडीर था।इनकी शिक्षा दीक्षा रुड़की और देहरादून में हुई थी।
शेर सिंह राणा के पिता ठाकुर सुरेन्द्र सिंह राणा रुड़की के सबसे बड़े जमीदारो में एक थे।इनकी माता सत्यवती बेहद धार्मिक विचारों की महिला हैं और वो बचपन से ही शेरसिह को क्षत्रिय वीरो की कहानियां सुनाया करती थी।जिनसे प्रेरित होकर उनके मन में बचपन से ही कुछ बड़ा करने की भावना पनपने लगी।
डकैत फूलन द्वारा 22 निर्दोष राजपूतों की हत्या---------
वर्ष 1981 में एक ऐसी लोमहर्षक घटना घटी जिसने पुरे देश विशेसकर पुरे क्षत्रिय समाज को झकझोर कर रख दिया।उत्तर प्रदेश के कानपूर इलाके में बेहमई गांव में डकैत फूलन ने अपने साथियों के साथ मिलकर 22 ठाकुरो को मार दिया और एक दुधमुही बच्ची को उसकी माँ की गोद से जबरन छीनकर जमीन पर पटक दिया,जिससे वो जीवन भर के लिए अपाहिज हो गई।
कुछ लोग झूठ प्रचार करते हैं कि इस गांव में फूलन के साथ दुष्कर्म हुआ था।इसका कोई साक्ष्य नही है।
घटना का वास्तविक कारण डाकू गिरोहों की आपसी रंजिश थी और प्रतिद्वन्दी गिरोह ठाकुर लालाराम और श्रीराम के होने के कारण इस गांव के ठाकुरो का कत्लेआम किया गया था।
उस समय यूपी के सीएम ठाकुर वीपी सिंह थे जिन्होंने उचित कोई कार्यवाही नही की।
यही नही जब पुलिस मुठभेड़ों में फूलन का ज्यादातर गैंग खत्म हो गया और वो जंगल जंगल जान बचाने को भटक रही थी तो वोटबैंक के लिए उसकी जान बचाकर सरेंडर करवाने वाले थे मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री ठाकुर अर्जुन सिंह!!!!!!!!
कुछ समय जेल में रहने के बाद यूपी के उस समय घोर ठाकुर विरोधी रहे मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव ने फूलन से सभी मुकदमे वापस ले लिए और उसे समाजवादी पार्टी में शामिल कर सम्मानित सांसद बना दिया गया।
इसके बाद बेहमई हत्याकांड के नाम से पुरे देशभर में राजपूतो पर व्यंग कसे जाने लगे कि देखो तुम्हारे ठाकुरो को कैसे लाइन लगाकर मारा था।ये घटना राजपूतो के मान सम्मान के लिए बहुत बड़ा कलंक बन चुकी थी।
इस कलंक को धोने का काम किया बेहमई से सैंकड़ो किलोमीटर दूर के निवासी शूरवीर पंकज सिंह पुंडीर उर्फ शेर सिंह राणा ने----
फूलन की ह्त्या--------
25 जुलाई 2001 को दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में तत्कालीन सांसद फूलन देवी की हत्या की गई थी।
इसके दो दिन बाद शेर सिंह राणा ने देहरादून में आत्मसमर्पण करके इल्ज़ाम अपने सिर लिया।
शेर सिंह राणा ने कहा कि उन्होंने फूलन से राजपूतों की हत्याओं का बदला लिया है।हालाँकि बाद में शेर सिंह ने कोर्ट में कहा कि उनको इस केस में झूठा फंसाया गया है।उनके साथ भाई धीरज राणा शेखर पवार विजय आदि पर भी आरोप लगे।
इसके बाद शेर सिंह राणा और उनके साथियोँ को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
मगर ये कहानी का अंत नही है।अभी और इतिहास लिखा जाना बाकी था।
अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि के अवशेष वापस लाना(कुलदीप तोमर की रिपोर्ट)------------
भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान की वीर गाथाएं तो हमारे सम्रद्ध इतिहास मैं शरू से पढ़ी और सुनी जा रही हैं लेकिन उनसे जुड़ा एक और असली सच उस समय सामने आया जब आतंकियों द्वारा भारत का हवाई जहाज हाई जैक कर कंधार ले जाया गया | उसे वापिस लाने के लिए तत्कालीन विदेशमंत्री जसवंत सिंह वहा गये और लोट कर उन्होंने जिस हकीकत से पर्दा उठाया उसने समस्त देशवासियों का मन झकझोर कर रख दिया बकौल जसवंत सिंह अफगानिस्तान मैं आज भी पृथ्वीराज चौहान की समाधी स्थित है जिस पर वहा के नागरिक जुते - चप्पल मरकर न सिर्फ उस वीर शिरोमणि का अपमान करते हैं बल्कि समूचे भारत व् भारत के गोरवशाली इतिहास को बेज्जत करते हैं |
जसवंत सिंह के इस बयान को समूचे भारतीय मीडिया ने बड़ चड़ कर देश की जनता के सामने रखा | फिर क्या नेता या आम आदमी सभी ने पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ वापस लाने की वकालत तो की पर प्रयास करने की जहमत शायद किसी ने नहीं उठाई | यही खबर टेलीविजन पर शेर सिंह राणा ने देखी जो फूलन देवी ( पूर्व डाकुनी ) की हत्या के आरोप मैं तिहाड़ जेल में था | खबर सुनते ही शेर सिंह राणा के दिल में राष्ट्र सम्मान वापस लाने की बेचेनी बड गयी | कई दिन तक इसी उदेहदबुन में रहे की किस तरह वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान की अस्थिया वापस हिंदुस्तान लाई जा सकती हैं और जब उन्हें कुछ नहीं सुझा तो उन्होंने जेल से भागने का फैसला कर लिया |
शेर सिंह राणा के मन में विचार चल ही रहे थे की एक दिन एक पुलिस कर्मी ने उनसे पूछ ही लिया की आखिर क्या बात है परेशान से नज़र आ रहे हो | राणा ने अपने दिल की बात उन पुलिस कर्मियों से कह डाली की में किसी भी तरह पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ वापस हिन्दुतान लाना चाहता हूँ | इस पर पुलिस वाले राणा भाई का मजाक उड़ने लगे की पहले तो तू फूलन की हत्या के आरोप से ही नहीं बच पायेगा और किसी भी तरह बच भी गया तो समय इतना गुजर जाएगा की तेरे बस में कुछ नहीं रहेगा | फिर ८०० साल से एसा नहीं हो पाया तो तेरी क्या बिसात है | बस पुलिस कर्मियों के यही शब्द सुन कर शेर सिंह राणा का फैसला और भी अडिग हो गया और 2003 के अंतिम माह में शेर सिंह राणा ने तिहाड़ जेल से बाहर आने का खाका बनाना शुरू कर दिया और उसके बाद शेर सिंह राणा ने अपने भाई विक्रम सिंह राणा को पूरी योजना समझाई | विक्रम ने पूरी दिल से अपने भाई की भावनाए समझी और हर स्तर पर साथ देने का भरोसा दिया |
योजना के अनुसार पुलिस वन जैसी एक बड़ी गाडी एक हथकड़ी कुछ पुलिस की वर्दी और कुछ विशवास वाले लड़कों की जरूरत थी | विक्रम ने सबसे पहले इस योजना में रूडकी के संदीप ठाकुर को जोड़ा | संदीप ठाकुर तिहाड़ में शेर सिंह राणा से मिला और पूरी योजना को समझा | शेर सिंह राणा से मिलने के लिए संदीप ठाकुर नकली वकील बना और उसी लिबास में अक्सर तिहाड़ जाता था ताकि जेल का सिस्टम समझ सके और आने जाने का खोफ भी दूर हो सके | शेर सिंह संदीप को जेल की हर गतिविधि से अवगत करता ताकि संदीप अपनी योजना को फुलप्रूफ निभा सके | इस दोरान विक्रम ने तीन लड़के और योजना में जोड़ लिए और उनको उनका काम समझा दिया |
17 फरवरी 2004 को शेर सिंह राणा जेल नंबर एक मैं हाई रिक्स वार्ड मैं था | सुबह 6 बजे हवालदार ने बताया की तुम्हारी कोर्ट की तारीख है 6. 30 पर तुम को जेल की ड्योढ़ी मैं आना हैं योजना के अनुसार शेर सिंह राणा पहले से ही तैयार था | उस दोरान शेर सिंह राणा का एक साथी शेखर सिंह जो फूलन के हत्या के आरोप जेल मैं था , से उसने कहा की भाई आज अगर सायरन बजे तो समझ लेना की शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से भाग गया , आगे हनुमान जी मेरी रक्षा करेंगे ठीक 6 . 30 पर शेर सिंह राणा जेल की ड्योडी मैं हवालदार के साथ पहुंचा तभी संदीप ठाकुर पुलिस की वर्दी मैं अन्दर आगया | संदीप ने नकली वारंट जेल अधिकारीयों को दिखा कर हथकड़ी पहना दी और गेट पर ले आया। गेट पर खड़ी नकली पुलिस वैन मैं शेर सिंह राणा महाराज जी बैठ रफुचकर हो गये | एक घंटे के बाद असली पुलिस के पहुचने पर पता चला की शेर सिंह राणा जेल से निकल गया है |
आनन् फानन मैं सायरन बजाया गया सारे जेल मैं तहलका मच गया पर तब तक शेर सिंह राणा जेल की हद से बहुत दूर निकल गया था।
जेल से भागने के बाद शेर सिंह राणा ने अपने भाई से संपर्क किया और कुछ रूपये मंगाए और रांची पहुँच गया | वंहा संजय गुप्ता के नाम से पासपोर्ट बनवाया और बंगला देश निकल गये | कुछ क्षत्रिय नेताओं से संपर्क साधा और जेल से भागने के पीछे उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की समाधी वापस हिंदुस्तान लाना बताया | इस पर क्षत्रिय नेताओं ने उन्हें पूरा साथ देने का भरोसा दिया | उस दोरान अफगानिस्तान , के लिए सिर्फ दिल्ली पाकिस्तान और दुबई से ही जाया जा सकता था | चूँकि दिल्ली पुलिस शेर सिंह राणा के पीछे थी इसलिए उसने पाकिस्तान से जाने का प्रयास किया | लेकिन पाकिस्तान शेर सिंह राणा जैसे सच्चे हिन्दुस्तानी सपूत के कंधे पर बन्दुक रख के भारत पर वार करना चाहता था , लेकिन पाकिस्तान ये भूल रहा था की जो व्यक्ति अपने राष्ट्र का सम्मान वापस लाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल सकता है उसे भला पाकिस्तान कैसे बरगला सकता है |
दिसम्बर 2004 को शेर सिंह राणा ने अफगानिस्तान जाने का रास्ता वाया दुबई चुना | शेर सिंह राणा पहले दुबई गया | वहां से काबुल , काबुल से कंधार और कंधार से हेरात पहुंचा | हेरात से वापस कंधार और कंधार से गजनी | इस तरह तालिबानियों के गड़ में शेर सिंह राणा ने एक माह गुजारा और पृथ्वीराज चौहान की समाधी को खोजते रहे | इस दोरान शेर सिंह राणा की मुलाकात हुई और उसके माध्यम से गजनी में पृथ्वीराज चौहान के समाधी तक पहुचने में सफलता मिली |
पृथ्वीराज चौहान साहब की समाधी गजनी में सुल्तान मोहमद गोरी से करीब बीस किलोमीटर दूर देयक गाँव में हैं | शेर सिंह राणा ने देयक गाँव जाकर अपनी तसल्ली की और वहां पृथ्वीराज चौहान का अपमान अपनी आँखों से देखा और अपने कैमरे में कैद किया | वहां दो महीने के अथक प्रयास के बाद शेर सिंह राणा का मकसद पूरा हुआ | उनकी समधी को हिन्दुतान लाये और क्षत्रिय सभा को सोंप दिया और अपने सच्चे हिन्दुस्तानी होने का सबूत दिया |
क्षत्रिय सभा ने बेवर कानपूर हाई वे के बीच में एक महासमेलन कर के शेर सिंह राणा जी की माता सत्यवती राणा के कर कमलो द्वारा वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान की समाधी की स्थापना कराई |
दूसरी और शेर सिंह राणा ने कानून का सम्मान कर मकसद पूरा होने पर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया |
17 मई 2006 को राणा को एक बार फिर कोलकाता के एक गेस्ट हाउस से गिरफ्तार(आत्मसमर्पण) कर लिया गया।
और वहां से सीधा तीसहजारी कोर्ट में लाया गया | कुलदीप तोमर और कई राजपूतों की अगवाई में शेर सिंह राणा को जब कोर्ट में पेश किया तो कोर्ट शेर सिंह राणा के नारों से गूंज गया और पुरे कोर्ट में राणा की एक झलक पाने को सभी बेकरार थे तब कुलदीप तोमर और सत्यवती राणा जी कोर्ट में गयी और शेर सिंह राणा के गले लगी और रोने लगी माँ के गले लग कर वीर शेर सिंह राणा के आँखों में आंसू आ गये पर देश प्रेम का जज्बा था तो माँ ने शाबासी दी शेर सिंह राणा को कोर्ट ने लाल कपडे और हथकड़ी और पेरों में भी जंजीरे बाँधने के आर्डर दिए पर माता जी के कहने पर जंजीरे का आर्डर वापस लिया गया और शेर सिंह राणा को खतरनाक कैदी घोषित किया गया और हमेशा लाल रंग के कपडे पहने के लिए आर्डर दिए |
अगस्त 2014 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने फूलन देवी हत्याकांड के दोषी शेर सिंह राणा को उम्रकैद तथा 1 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।उनके सभी साथियों को रिहा कर दिया गया।कोर्ट में शेर सिंह ने जज साहब को कहा कि
"जज साहब आप इस कुर्सी पर ईश्वर की तरह हैं। मैं फूलन हत्याकांड में लगभग 12 वर्ष जेल में काट चूका हूँ और अब मेरी आयु 38 वर्ष हो चुकी है मेरी माँ मेरी शादी करना चाहती है।मै अपनी जान पर खेलकर देश का सम्मान वापस लाया हूँ।इस आरोप में मेरे सभी साथियों को बरी कर दिया गया तो मेरे साथ भी न्याय करे"
मगर कानून के आगे ये दलीलें काम नही आई।
ये है हमारे देश का कानून देश प्रेमी को ऐसी सजा ......... इस समय शेर सिंह राणा तिहाड जेल मे फूलन देवी की हत्या आरोप साबित होने पर सजा काट रहे है।
लेकिन मित्रों कुछ सवाल हैं------------
जब हत्यारिन डकैत फूलन की सजा माफ़ हो सकती है, कोयम्बटूर बम धमाको का आरोपी देशद्रोही मदनी जेल से छूट सकता है,
कई गरीबो को गाड़ी से कुचलकर मारने वाले सलमान खान को जमानत मिल सकती है,
आतंकवादियों से AK 56 रायफल लेकर घर में रखने वाले संजय दत्त को बार बार पेरोल मिल सकती है,
तो जेल में दस साल गुजार लेने वाले और देश का सम्मान वापस लाने वाले शेर सिंह राणा की सजा माफ़ क्यों नही हो सकती?????
अगर शेर सिंह राणा राजपूत न होकर दलित मुस्लिम जाट गुज्जर सिख होते तो उनके समाज के नेता अब तक उन्हें जेल से बाहर निकलवा देते।
सन्दर्भ::::
1-जेल डायरी
2-भाई कुलदीप तोमर टीम शेर सिंह राणा
Jai Rajputana
ReplyDeleteI salute u sir.
jai rajputana
Deletejay bhawani jay rajputana
ReplyDelete🗡Shersingh Rana🔫
ReplyDeleteThis Page
like and share all group
Power of Rajputana
https://www.facebook.com/Shersingh-RANA-FAN-CLUB-992678520846617/
��Shersingh Rana��
ReplyDeleteThis Page
like and share all group
Power of Rajputana
https://www.facebook.com/Shersingh-RANA-FAN-CLUB-992678520846617/
Maharana ser singh jay rajputana hamara ser ab bahar aa chuka he
ReplyDeletejai ho sher singh rana bhaiya ki
ReplyDeleteaap ki kirti sada amar rahegi
Maa bhawani aap ki Raksha kre...
jai maa bhawani jai sher singh rana.....
Jai ho sher singh rana ji ki
ReplyDeleteJai ho sher singh rana ji ki
ReplyDeletejai ho sher singh rana ki use jail se chhodas jana chahiye.
ReplyDeleteKya baat he rana ji aapne to kamal kr diya...
ReplyDeleteSina choda ho gya aapki story pad kr...
Sher ese hi hote he...jese ki aap...jai hind jai Rajpoot..
Jay Jay Jay rajputana
ReplyDeleteभारत के असली शेर आप हैं
ReplyDeleteश्री मान शेर सिहं जी राणा ,,,
जय जय राजपूताना
श्री मान शेर सिहं जी राणा ,,,
ReplyDeleteजय जय राजपूताना
Great Brother you are real RAJPUT.
ReplyDeleteबड़ी शर्म की बात है कि एक हत्यारे का महिमामंडन किया जा रहा। मुझे तो ऐसे लोगों को क्षत्रिय कहते हुए भी शर्म आती है। राजपुताना संस्कार हमें मानव समाज के रक्षार्थ शस्त्र उठाने को कहता है।
ReplyDeleteJay rana Jay bharat.....
ReplyDeleteJay Rajputana
ReplyDelete