आम तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बारे में यह माना जाता है कि यहाँ हरियाणा की तरह जाटों का बाहुल्य और वर्चस्व है,इसे जाटों,गूजरों का इलाका माना जाता है मगर यह सच नही है,अगर वर्तमान राजनितिक प्रतिनिधित्व और जनसँख्या का आंकड़ा देखें तो इस इलाके में भी राजपूत जाट,गूजर से बहुत आगे है,इस क्षेत्र को जाटलैंड,गूजरलैंड मानना बहुत बड़ी भूल और मिथक है,आइये देखते हैं कैसे-----
=======पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजपूतों की भूमिका=========
महाभारत कालीन हस्तिनापुर, ब्रज और पांचाल के क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र प्राचीन काल से ही देश की राजनीति का केंद्र रहा है। प्राचीन काल से ही यह भूमि क्षत्रिय राजवंशो के बीच सत्ता के लिए संघर्ष की गवाह रही है।
यह क्षेत्र वर्तमान समय में अपर दोआब (सहारनपुर,मेरठ मंडल),मध्य दोआब(आगरा,अलीगढ मंडल),पांचाल अथवा रूहेलखंड(मुरादाबाद,बरेली मंडल)में बंटा हुआ है.
एतिहासिक प्रष्ठभूमि----------------
मध्यकाल में भी ये क्षेत्र राजनितिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। उस समय की राजनीति के केंद्र कन्नौज और बाद में दिल्ली के बगल में स्थित होने की वजह से इस क्षेत्र की राजनितिक परिस्तिथिया अलग ही रही है। मस्लिम शासन की स्थापना के बाद से ये क्षेत्र मुस्लिम सत्ता के प्रभाव क्षेत्र में आ गया। देश में मुस्लिम शासन की स्थापना के बाद कहने को तो आधे से ज्यादा देश सल्तनत के अधीन था लेकिन असलियत में सल्तनत के अधीन देश के ज्यादातर भाग पर राजपूत ही परोक्ष रूप से शाशन कर रहे थे। राजस्थान के राजपूतो ने लंबे समय तक अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी और मुसलमानो का सफल प्रतिरोध किया लेकिन सल्तनत और बाद में मुग़लों के अधीन बाकी क्षेत्र में में भी विभिन्न राजपूत वंशो ने जागीरदारो के रूप में भी अपनी स्वतंत्रता को काफी हद तक बनाए रखा।
राजपूत जागीरदार को सिर्फ लगान देना होता था। अपने अपने क्षेत्रो में वो राजा ही होते थे। लेकिन राजपूत जागीरदार लगान देना कभी पसंद नही करते थे और अक्सर लगान देने में आनाकानी करते थे और बगावत का झंडा बुलंद कर देते थे। जिस वजह से सल्तनत की सेना हमेशा उनकी बगावत को कुचलने में लगी रहती थी। सल्तनत की राजधानी दिल्ली आगरा का क्षेत्र था। इसलिए सल्तनत का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरयाणा में सबसे ज्यादा था। इसलिए यहाँ के राजपूत वंशो को बगावत के परिणाम भुगतने पड़े। जब भीे बगावत होती थी तो बादशाह की तरफ से फ़ौज भेजकर उनको दबाया जाता था और कई बार राजपूत चौधरीयो को मारकर उनके बच्चों को दरबार में ले जाकर कलमा पढ़वा दिया जाता था जिस वजह से यहाँ ज्यदातर चौधरी (खाप मुखिया)मुसलमान बन गए। इस वजह से यहाँ के राजपूतो में नेतृत्व करने वालो का अभाव हो गया। जिसके परिणाम आज तक भी देखे जाते है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज तक राजपूतो में सामाजिक नेतृत्व का अभाव देखा जाता है हालांकि राजनीती में राजपूतो की स्थिति बुरी नही है लेकिन जातीय मुद्दों के ऊपर चेतना का अभाव अवश्य है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजपूतों के प्रतिनिधित्व का इतिहास-----
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रारम्भ में कांग्रेस पार्टी का दबदबा कायम रहा,कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर ब्राह्मण,मुस्लिम,दलित गठबंधन पुरे यूपी में बनाया,प्रारम्भ में राजपूत राजनीति से उदासीन रहे,जिससे ब्राह्मणों का वर्चस्व कायम हो गया,इस ब्राह्मण वर्चस्व के खिलाफ सबसे पहले जाट नेता चोधरी चरण सिंह ने बिखरी हुई ताकतों को एकजुट किया,उनका जाट समाज सिर्फ कुछ जिलो तक सीमित था,पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुर्मी और अहीर जो बहुत पिछड़े हुए थे वो चरण सिंह को कुर्मी या अहीर मानकर कई दशक तक समर्थन देते रहे,पिछडो के समर्थन से चरण सिंह यूपी में बड़ी ताकत बने और कई बार थोड़े समय के लिए यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे,
भदावर स्टेट के राजपूत राजा ने भी राजनीति में राजपूतो को जागरूक करने का प्रयास किया और अजगर फार्मूला(अहीर,जाट,गूजर,राजपूत) ईजाद किया,जिसे कोई ख़ास समर्थन नहीं मिला,पर इसी फार्मूले को चरण सिंह ने अपना लिया,हालाँकि राजपूतो ने कभी भी जाट नेता के नेत्रत्व को स्वीकार नहीं किया और 1971 में एक लोकसभा उपचुनाव में जाटों के सबसे बड़े गढ़ मुजफरनगर से ठाकुर विजयपाल सिंह ने चौधरी चरण सिंह को हराकर तहलका मचा दिया,इसके अलावा उनकी पत्नी और पुत्री को मथुरा लोकसभा में कुंवर मानवेन्द्र सिंह भी हरा चुके हैं.इन हार को जाट समाज आज भी पचा नहीं पाया है और उनके भीतर राजपूतो के प्रति विद्वेष की भावना बनी हुई है,
राजपूतो के अतिरिक्त सिर्फ पिछडो के समर्थन से अधिक दिन तक चरण सिंह कांग्रेस का मुकाबला नहीं कर पाए,इसका कारण यह था कि अस्सी के दशक में कांग्रेस ने राजपूतो को राजनीति में आगे लाना शुरू किया,वी पी सिंह,वीर बहादुर सिंह के नेत्रत्व में राजपूत जागीरदार और आम राजपूतो ने कांग्रेस को जोरदार समर्थन दिया जिससे अजगर फार्मूला फेल हो गया,जब वी पी सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने थे तो विधानसभा में राजपूत विधायको की संख्या एतिहासिक रूप से 115 तक पहुँच गयी थी ,
उसके बाद वीर बहादुर सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में भी राजपूतो का वर्चस्व जारी रहा,जो पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश दोनों में था,बाद में वी पी सिंह की मंडल ओबीसी आरक्षण नीति ने अहीर ओर् कुर्मी गूजर को राजनितिक,आर्थिक रूप से ताकतवर और जागरूक बना दिया,एनसीआर के गुर्जर भूमि अधिग्रहण से सम्पन्न हो गए,अहीर और कुर्मी को पता चल गया कि चरण सिंह और अजीत सिंह कुर्मी या अहीर नहीं है बल्कि जाट हैं जिससे लोकदल,अजीत सिंह,जाटों का दबदबा यूपी की राजनीति से हमेशा के लिए समाप्त हो गया,
मंडल के साथ साथ बसपा की दलित राजनीति और मुस्लिम राजनीति पुरे प्रदेश पर हावी हो गयी,2007 के विधानसभा चुनाव में सपा के विरुद्ध माहौल था सर्वसमाज ने बसपा को वोट दिया,राजपूत भ्रमित होकर सपा और बीजेपी में बंट गए जिससे पहली बार अपर दोआब में राजपूत विधायको का सफाया हो गया,परन्तु 2009 के लोकसभा चुनाव में सबक लेते हुए वेस्ट यूपी के राजपूतो ने रणनीतिक मतदान किया जिससे सहारनपुर,अलीगढ की लोकसभा सीट पर राजपूतो का कब्ज़ा हो गया,पूर्व में वेस्ट यूपी की अलीगढ, मथुरा,एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, गाजियाबाद, मेरठ,मुजफरनगर, कैराना,सहारनपुर,अमरोहा, मुरादाबाद, आंवला, बरेली,लोकसभा सीटो पर राजपूत उम्मीदवार जीत चुके हैं जिससे सिद्ध होता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत समुदाय राजनितिक रूप से बिलकुल भी कमजोर नहीं है,
पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाट,गूजर लैंड नहीं है,बल्कि राजपूती वर्चस्व यहाँ भी है----
वेस्ट यूपी या प्रस्तावित हरित प्रदेश को कुछ लोग जाटलैंड या गुर्जरलैंड समझने की भूल करते हैं पर ये बिलकुल गलत है,अगर आबादी की बात करें तो यहाँ मुस्लिम की आबादी लगभग 30%है जो सर्वाधिक है,अब सबसे ज्यादा इन्ही का वर्चस्व यूपी में है,इसके बाद दलित आते है जो लगभग 25% हैं,बसपा शासन में इन्ही की चलती है,अहीर आबादी अपर दोआब में न के बराबर है जबकि मध्य दोआब से लेकर एटा,मैनपुरी,क्षेत्र में,और रूहेलखंड में बड़ी आबादी अहिरो की है,अहीर जनसँख्या वेस्ट यूपी में लगभग 7% होगी,सपा शासन काल में इन्ही की चलती है,
जाट सहारनपुर को छोडकर अपर दोआब और निचले दोआब में बड़ी संख्या में हैं पर रूहेलखंड में बिजनौर,अमरोहा को छोडकर इनकी नाम मात्र की आबादी है,वेस्ट यूपी में जाट आबादी लगभग 6% होगी,
गूजर सिर्फ अपर दोआब में अच्छी संख्या में हैं लोअर दोआब और रूहेलखंड के बिजनौर,अमरोहा को छोड़कर इनकी नगण्य आबादी है,इस प्रकार गुर्जर आबादी वेस्ट यूपी में अधिकतम 4% होगी.
गूजर सिर्फ अपर दोआब में अच्छी संख्या में हैं लोअर दोआब और रूहेलखंड के बिजनौर,अमरोहा को छोड़कर इनकी नगण्य आबादी है,इस प्रकार गुर्जर आबादी वेस्ट यूपी में अधिकतम 4% होगी.
राजपूतो की आबादी पुरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में है पर कहीं भी इतनी सघन नहीं है जितनी बागपत मुजफरनगर मथुरा में जाटों की,एनसीआर में गुर्जरों की,या एटा मैनपुरी में अहिरो की है इसलिए अपने दम पर राजपूत अधिकतर जगह जीत पाने की स्थिति में नहीं है पर उचित रणनीति बनाकर राजपूत समुदाय यहाँ भी अपना वर्चस्व कायम किये हुए है,राजपूत आबादी वेस्ट यूपी में लगभग 8% होगी,जबकि ईस्ट यूपी में राजपूत आबादी 10% से भी ज्यादा है.
इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगर जातिगत आधार पर विधायको की बात करे तो कुल 15 राजपूत, 13 अहीर,7 गूजर और सिर्फ 4जाट विधायक है।
जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 15 राजपूत विधायक हैं और 4 जाट विधायक हैं उसे जाटलैंड कहे जाने का खंडन अपने आप हो जाता है,जाटों का प्रभाव यहाँ बागपत, शामली, मुजफरनगर, अमरोहा, आगरा, अलीगढ़,मथुरा,बिजनौर में अच्छा है पर इनमे भी अलीगढ,आगरा,मथुरा,बिजनौर में अब राजपूत राजनीती में जाटों पर भारी हैं,गुज्जर सिर्फ एनसीआर के नॉएडा,मेरठ और सहारनपुर ,शामली में प्रभावी हैं बाकि इनका कोई अस्तित्व नहीं है....
लोकसभा क्षेत्रवार राजपूत और प्रतिस्पर्धी जातियों के अनुमानित वोट-----
राजपूत वोट लोकसभा क्षेत्र- सहारनपुर-1.5 लाख, कैराना- लगभग 1 लाख, मुजफ्फरनगर- 1.2 लाख,5 बिजनोर- 50 हजार, बाग़पत- 80 हजार, मेरठ- 80 हज़ार ,ग़ाज़ियाबाद- 1.8 लाख, गौतमबुद्धनगर- लगभग 3 लाख 50 हजार, बुलंदशहर-1.5 लाख, अलीगढ- 2 लाख, मथुरा- 2.5 लाख, हाथरस-2 लाख, फतेहपुर सिकरी- 2.8 लाख, आगरा 1.5 से 2 लाख के बीच में, नगीना- 2 लाख, अमरोहा- 1.5 लाख, मोरादाबाद- 2 लाख वोट होंगे।
इसी क्षेत्र में अगर जाट वोट देखे तो सहारनपुर में 20 हजार, मुजफ्फरनगर में लगभग 1.8 लाख, बाग़पत में 3,6 लाख, मेरठ में 80 हजार, ग़ाज़ियाबाद-60 हजार, गौतमबुद्धनगर में 80 हजार, बुलंदशहर में 1.8 लाख, अलीगढ में 1.2 लाख, हाथरस- 2 लाख, मथुरा- 3.2 लाख, फतेहपुर सिकरी- 2 लाख, बिजनोर- 2.4 लाख, अमरोहा-1.8 लाख, मोरादाबाद-60 हजार वोट है।
गूजर जाती की अगर बात करे तो सहारनपुर में गूजर 1 लाख , कैराना-,1.5 लाख, मुजफ्फरनगर- 60 हजार, बिजनोर- 1.2 लाख, बाग़पत-80 हजार, मेरठ-1 लाख, ग़ाज़ियाबाद- 1 लाख, अमरोहा-50 हजार, गौतमबुद्धनगर-2 लाख, बुलंदशहर-30 हजार, मथुरा-30 हजार है। इस क्षेत्र में अहीर बहुत कम संख्या में है अहीर रूहेलखंड और एटा मैनपुरी में हैं और इससे अलग क्षेत्र में जाट और गूजर संख्या नही है।
वर्तमान में गाजियाबाद से और मुरादाबाद से राजपूत सांसद हैं,अगर इस क्षेत्र में ही विभिन्न जातियो के जातिगत आधार पर विधायको की संख्या देखे तो जाट विधायक सिर्फ 4 जबकि राजपूत 15 और गूजर विधायक 7 है। इस तरह हम देख सकते है की जिस हरित प्रदेश की मांग जाट करते है और जिसे मिडिया में जाटलैंड कहा जाता है उस में ही जाट आधे क्षेत्र में है ही नहीं और जिस क्षेत्र में उनकी जनसँख्या है वहाँ भी वो किसी निर्णायक स्थिति में नही है। इसलिये इस क्षेत्र को जाटलैंड कहना बिलकुल गलत है।
अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग से हरित प्रदेश बनता है तो-----
अगर वेस्ट यूपी को अलग करके हरित प्रदेश बनता है तो सर्वाधिक लाभ की स्थिति में मुस्लिम समाज होगा जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत कम हैं,दलित मुस्लिम समीकरण बन गया तो यहाँ किसी और का जीतना असम्भव होगा,राजपूतो की स्थिति यथावत रहेगी,जाट और गुर्जर भी मुस्लिम या दलित किसी एक पक्ष में जाकर ही सफल हो सकते हैं अन्यथा नहीं,
वेस्ट यूपी में राजपूतो की रणनीति -----------
इस प्रकार हम देखते हैं कि राजपूतो का मध्य दोआब में पूरा होल्ड है,अपर दोआब में जाट और गुज्जर संख्या में राजपूतो से अधिक होते हुए भी राजपूतों का ठीक ठाक ही नहीं बल्कि बढ़िया प्रतिनिधित्व है.पर रूहेलखंड में कई जिलो में पर्याप्त संख्या होते हुए भी कोई विधायक तक नहीं है,इसे रणनीति बना कर बदलना होगा.
राजपूत स्वाभाविक रूप से राष्ट्रवादी विचारो का होता है,और इस क्षेत्र में मुस्लिम का स्वाभाविक रूप से सहयोगी नहीं है हालाँकि कुछ क्षेत्र में मुस्लिम राजपूत आज भी राजपूत उम्मीदवारों को पूरा समार्थन करते हैं,
राजपूत स्वाभाविक रूप से राष्ट्रवादी विचारो का होता है,और इस क्षेत्र में मुस्लिम का स्वाभाविक रूप से सहयोगी नहीं है हालाँकि कुछ क्षेत्र में मुस्लिम राजपूत आज भी राजपूत उम्मीदवारों को पूरा समार्थन करते हैं,
राजपूत समाज या तो बीजेपी के साथ लगकर हिन्दूओ का नेत्रत्व कर सकता है,हाल ही में राजपूत समाज के नेता संगीत सोम,सुरेश राणा विधायक और कुंवर सर्वेश सिंह सांसद इस क्षेत्र में हिंदुत्व के प्रतीक बन गए हैं,पर बीजेपी भी अक्सर राजपूत समाज की हिंदूवादी सोच का लाभ उठाकर बदले में कुछ नहीं देती है,इसलिए राजपूत समाज को चाहिए कि वह हर राजनितिक दल में अपना प्रतिनिधित्व बनाए रखे और रणनीतिक मतदान करे,
बसपा सरकार में अलीगढ और सहारनपुर में ठाकुर जयवीर सिंह मंत्री और जगदीश सिंह राणा सांसद की वजह से अच्छी चलती थी,सपा सरकार में आगरा मंडल में राजा महेंद्र सिंह अरिदमन सिंह मंत्री की वजह से, सहारनपुर में राजेन्द्र सिंह राणा मंत्री की वजह से,बिजनौर में ठाकुर मूलचंद मंत्री की वजह से राजपूतो की पूछ होती है,कई जगह राजा भैय्या के सहयोग की वजह से भी राजपूतो की अच्छी चलती है जैसे बुलंदशहर में,
पर कई बार बसपा सरकार में एससी एसटी एक्ट के दुरूपयोग से और सपा सरकार में मुस्लिमपरस्त और अहीर वर्चस्व की नीतियों और मुलायम सिंह यादव के परिवार के एटा,मैनपुरी,बदायूं जैसे गढ़ों में अहिरो के कारण राजपूतो को समस्या आती है वहीँ बीजेपी भी यहाँ राजपूतों को अच्छा प्रतिनिधित्व देती है,पर कभी कभी वो भी धोखा दे कर राजपूतो की राष्ट्रवादी भावनाओ का दोहन कर लेती है.
यहाँ के राजपूत समाज में सर्वाधिक लोकप्रिय चार नेता हैं.राजनाथ सिंह,रघुराज प्रताप सिंह,संगीत सोम और सुरेश राणा.
इस क्षेत्र में प्रमुख नेताओ में संगीत सोम विधायक ,सुरेश राणा विधायक ,जगदीश सिंह राणा पूर्व मंत्री और सांसद, राजेन्द्र सिंह राणा मंत्री उत्तर प्रदेश,राजा महेंद्र अरिदमन सिंह मंत्री उत्तर प्रदेश,ठाकुर मूलचंद मंत्री उत्तर प्रदेश,जनरल वी के सिंह केन्द्रीय मंत्री ,ठाकुर जयवीर सिंह पूर्व मंत्री,सर्वेश सिंह सांसद,विमला सोलंकी विधायक,महावीर राणा विधायक आदि हैं
संदर्भ---सिंह गर्जना एवं http://rajputanasoch-kshatriyaitihas.blogspot.in/2015/10/west-up-is-rajput-landnot-jatland.html
संदर्भ---सिंह गर्जना एवं http://rajputanasoch-kshatriyaitihas.blogspot.in/2015/10/west-up-is-rajput-landnot-jatland.html
Bhai west u.p se 5 jat m.p hai or rajput bas 2 ghaziabad or mooradabad se.. or bhai jo 8 non jat mla r.l.d ke hai vo bhi to jato ki vote se bane hai.. baaki yha 55 jat dominated vidhansabha seats hai jinme jat vs jat ki fight mein non jat jeet jata hai...
ReplyDeleteWoh tere 5 mp BJP ke Rajput ke dum banne hain. Tum log phenkte bhot Jat sirf west UP ke west mein hain. Rohilkhand aur Etah, mainpuri, bhadawar, etawah mein naa ke barabar hai jat. Usme bhi Saharapur, meerut, bulandshar, noida mein jat bhot kam hain. Jat sirf Baghpat, Mathura, Shamli-Muzaffargarh, west portion of Agra district aur bijnor ke kuchh illake mein thik number mein hain.PURRE UP MEIN TOTAL JAT KI POPULATION sirf 1.7 percent hain.
Deletebhai pilibhit Lakhimpur barelly m bhut JATT hn.... tere warge bnde faltu de bakwasa krde..kakh ni pta tenu kake....
DeleteMa barelliy rampur garden ma rehta hu ek bhi jaton ka nahin 184gaon rajputon ke aur anowla se rajput vidhayak ha aur faridpur se rehchuke ha dono barelliy ki vidhan sabha seats ha yahan jats thode bahot bahar se akar bas gaye ha
DeleteChal abhi name bata 5mp ka 😂
DeleteOr bhai ek example or dedeta hu tmne saharanpur mei 20000 vote likhi hai jato ki.. bhai saharanpur loksbha m 100000 vote hai jato ki keval rampur maniharan vidhansbha per hi 30000 jat vote hai.. or bhai kairana loksabha ko tumne chodh diya usper jato ki 250000 vote hai..
ReplyDeleteto jat jab muslim se pit rahe the to rajputon ki madad li thi naa
Deletemeerut aur ghaziabad main ye haryana ke jaaton ko bula lete hai agar hum bhi rajputon ko ikkhata kar le sab ki phat jayegi
DeleteBancoodo sab bhai ek h hindu
Deleteराजपुत जाट भाई हि है तो क्या फर्क पड़ता है कौन ज्यादा कौन कम है
Deleteare kyun nahi samjhte ho jat aur rajput ek hi hain aur ab to geneticaly prove ho gya hai ki jat hum rajputon ke hi bhai hai ek hi vansh aur kul ke hai bas brahmit kr diya gaya hai humko
ReplyDeleteJi vikram Singh bhai main samajh gaya
DeleteBilkul galat Rajput aur jat alag hain.
DeleteRajputs mainly Aryan Kshatriya hai jabki early jats middle East Mediterranean etc se aaye thay
Bakwas thinking
ReplyDeleteBhai agar jato ki sankya kam ha unke vote rajputo se kafi kam ha to ye bjp vale jato ke samne hath kyo fela rahe h ye to takuro ki vote se hi jeet jayenge inhe samhao ya kudh samajh kar logo ko cutiya na banao
ReplyDeleteHa bhai pura up ka jat 2% bhi nahin ha lekin western up ma achha prabhab dalte ha rajput to bjp ko hi vote denge kyuki sabse vidhayak cm mp unke bjp se hi ha aur jats kaye sari sarkaro ma bat jayenge isliye bjp unhe sadhne ka kam karahin ha ye afwaha thi charansingh duwara udai gaye ki western up jatland ya gujarland ha 😂gujar pure ka 1% bhi nahim ha westrn up 2% ha to ye gujar land kaha se hogaya khud sochlo baki tumhari marzi
Deletewe have to unite and make it the 2nd rajputana
ReplyDeleteJitna chahe Unite ho jao ya fir aisi kitni bhi faltu ki post daal lo the fact is West up is Jatland
DeleteTha hai aur rahega aur tum hmari Marzi ke bina patta bhi hila ke dikha denna kya rajputana kr rhe ho Rajasthan bhi Jatland bn Chuka hai
Bhai jaat or rajput bhai bhai hai
ReplyDeleteKab samjho ge yeah jo muslim jaat ya rajput hai yeah hmme ladva de te hai
Bhai or yeah jo tum kah rahe ho jab jaat pit rahe the tab jaato ne rajput ko bulaaya bhai musibbat mein bhai bhai ko bulata hai hum bhai bhai hai
Jai AJGR
Sahi baat jaat rajput bhai bhai sath sath aa gy.. jis... Hogi.. mullo... Ki ketaeeee
DeleteOnly rajput bakwas mat kar
DeleteOr jativad karo... 800 so..Sal.. mullo n mari.. 200-300 sal.. ab jativad band.. kro.. na rajput uncha.. na jaat na yadav na gajjar hm Hindu.. h ... Ab ek ho jaooo ni to koi jati.. ni rhgi sab ko mulla bna... Diya jayga...
ReplyDeleteRajput Is not a caste ,this is new culture & riti rivaj made by bhraman is called RaJput
ReplyDeleteतो वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश तो जाटलैंड ही रह गया आप अपने इस लेख में कुछ बता ही नहीं पाए बस राजनीति के बारे में बताते रहे हैं बात बतानी थी जाटलैंड की
ReplyDeleteबरेली , रामपुर , पीलीभीत , में रहता है मराठा प्रवासी कुर्मियों का दवदवा ।
ReplyDeleteसन्तोष कुमार गंगवार
कुंवर जादो खानदान सहोडा
Bhai not good that I m jat gurjar rajput ,so we are all Indian .if you are prefered your cast and relisim so do not forget mugal and British rule over us ,500 years under other foreigners ruler over us ,I ,you ,me .and last plz do not figiht between us.....do not forget over leader very currptted and selfish.
ReplyDeleteKoi jati kitni bhi ho lekin yah baat sochnai wali hai ki agar hsrit pradesh bana 30%muslim aur 25%dalit phaydai mai rahengai uskai baad gunda raaj dekhna unka isi liye ek saath rehna jaruri hai
ReplyDeleteEkta bohat jaruri h smjho aur sb ko pta h ki kon samraat h ok so don't
DeleteAb kisan protest me kha gye ye rajput
ReplyDeleteOnly jaat hi vah pr
Jat sabke baap
ReplyDeleteBhai ma up ke barelliy shahar ma rehta hu rehne bala badayun ka hu yahan par jatts to ha hi nahin ha aur rajputs bhare pade ha moradabad se barelliy tak
ReplyDeleteMa khud western up se rohilkhand ke jilla badaun se hu yahan par 184gaon thakuro ke ye to kahabat dataganj seat se sirf rajput vidhayak banta ha aur badaun se rajput vidhayak rehchuke ha aur ma barelliy bhi raha hu wahapar to bhi jat nahin rehte ek bhi gaon jaton LA nahin barelliy ki anowla seat se rajput vidhayak ha ish waqt humare yaha log jatav to jante ha lekin jat nahin jante
ReplyDeletehum bhi western up se ha aur rajput ha up jilla badaun se ha humare yahan par jaton ka namo nishan nahin ha na ho barelliy ma pilibhit kasganj shajhapur ye sub thakurland ha jaton ka namo nishan nahin ha yahan par kya mazak ha wester ho jatland 😂 ha
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