Wednesday, December 23, 2015

NIMIVANSHI RAJPUTS THE DYNASTY OF RAJANYA JANAK AND MAA SITA

RAPUTANA SOCH OR KSHATRIYA ITIHAS


NIMIVANSH THE DYNASTY OF RAJA JANAK AND MAA SITA 



=== निमि वंश(Nimivanshi rajputs)===
~~माता सीता का वंश~~

क्षत्रिय समाज में भगवान राम के वंशजो से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोगो को निमि वंश के बारे में जानकारी है जिसमे माता सीता का जन्म हुआ था। निमि वंश के क्षत्रिय राजपूत आज भी बिहार राज्य के मिथिला और उसके आसपास के क्षेत्र में मिलते हैं। 

गौत्र- वशिष्ठ, कश्यप, वत्स
प्रवर- वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति
वेद- यजुर्वेद
कुलदेवी- चंडिका
नदी- कोसी
प्राचीन गद्दी- मिथिला

निमिवंश वैवस्वत मनु की एक संतान निमि के वंशज हैं। महाराजा निमि के ज्येष्ठ पुत्र का नाम मिथि था। मिथि ने अपने नाम से मिथिला नगरी बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया। मिथि पराक्रमी शासक होने के साथ साथ बहुत बड़े विद्वान् भी थे। इस वजह से उनकी उपाधि जनक पड़ी और उनके बाद मिथिला के सभी शासको की उपाधि जनक हो गई। मिथिला को जनकपुरी भी कहते हैँ जो अब नेपाल में पड़ता है। महाराज निमि नेपाल के भी शाशक थे। कहा जाता है इसीलिए पहले नेपाल को निमिपाल कहते थे, जो कालांतर में नेपाल हो गया। 

निमि की 49वीं पीढ़ी में सीरध्वज नामक राजा हुए। मिथि के सारे वंशज जनक कहलाते हैं इसलिये सीरध्वज को भी जनक कहते हैं। इनकी दो पुत्रियां थी- सीता और उर्मिला जिनका विवाह क्रमशः भगवान राम और लक्ष्मण से हुआ था। उनके भाई का नाम कुशध्वज था जिनकी पुत्री मांडवी और श्रुति कीर्ति का विवाह क्रमशः भरत और शत्रुघ्नजी से हुआ। 

निमि वंश के क्षत्रिय राजपूत आज भी बिहार प्रान्त के मिथिला प्रदेश और उसके आसपास के क्षेत्र में मिलते हैं। 

निमि वंश की शाखाएँ- 

निमुड़ी वंश- महाराज निमि के ज्येष्ठ पुत्र मिथि के वंशज निमि कहलाते हैं जबकि उनके छोटे भाई के वंशज निमूड़ी कहलाते हैं। इनका गोत्र कश्यप और कुलदेवी प्रभावती और नदी कोसी है। निमुड़ी वंश के क्षत्रिय भी बिहार प्रान्त में मिलते हैं। 

निशान वंश- इस वंश के क्षत्रिय भी आज बिहार के मुजफ्फरपुर, गया, पटना, शाहाबाद आदि क्षेत्रो में मिलते हैँ।इनका गोत्र वत्स और कुलदेवी भगवती हैं।
संदर्भ-----1-देवीसिंह मंडावा कृत राजपूत शाखाओं का इतिहास पृष्ठ संख्या 323-324

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