Wednesday, March 2, 2016

भारत की एकता/अखण्डता/सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा "यूनियनिस्ट मिशन"


---Attention Attention---
भारत की एकता/अखण्डता के लिए बड़ा खतरा" यूनियनिस्ट मिशन"

क्या है यूनियनिस्ट मिशन??????????

ब्रिटिश सत्ता के दौरान अविभाजित पंजाब के मुसलमान जमीदारों ने अंग्रेजो के इशारे पर इस संगठन की नीव रखी थी और इसमें छोटूराम की मदद से हरियाणा क्षेत्र के जाट किसानो को भी शामिल किया गया था।
छोटूराम और यूनियनिस्ट मिशन के नेता अंग्रेजो के पिट्ठू थे और वैश्य,खत्री व्यापारियों/ब्राह्मणों के विरुद्ध मुसलमानों को जमकर बढ़ावा देते थे,इसीलिए छोटूराम को हिंदुओं में छोटूखान भी कहा जाता था।।

भारत विभाजन के समय छोटूराम के द्वारा स्थापित जाट-मुस्लिम गठजोड़ टूट गया क्योंकि यूनियनिस्ट मिशन से जुड़े पंजाबी मुसलमानो ने जिन्ना को समर्थन देना शुरू कर दिया और पश्चिमी पाकिस्तान में इस संगठन से जुड़े मुसलमानो ने हिन्दू सिक्खों का कत्लेआम शुरू कर दिया।।

देश आजाद हो गया,
पाकिस्तान में इस संगठन से जुड़े मुस्लिम इसे भूल गए
लेकिन हरियाणा में यूनियनिस्ट मिशन के जाट हिमायती इस विचारधारा को ब्राह्मण,बनियो,व्यापारियों और हिन्दू धर्म के विरुद्ध भड़काने में प्रयोग करते रहे।

हरियाणा में आरक्षण की मांग के नाम पर जाट उपद्रवियों ने गैर जाटों के विरुद्ध जो अत्याचार किये हैं वो कई दशको से जाट युवाओं में फैलाई जा रही यूनियनिस्ट मिशन की जहरीली विचारधारा का परिणाम है।
ये सिर्फ एक ट्रेलर था इनका असली मकसद कश्मीर घाटी की तरह बाकि हिंदुओं को हरियाणा से पलायन के लिए मजबूर करना है।

इस दूषित विचारधारा को सीमापार से प्रोत्साहित किया जा रहा है और पाकिस्तान में बैठे मुला जाट भारत के जाटों को अलग जाटलैंड jatistan देश तक बनाने के सब्जबाग दिखा रहे हैं 

इस विचारधारा से जुड़े लोग कहते हैं कि वो हिन्दू हैं ही नही बल्कि उनका धर्म जाट है जबकि इनके प्रिय मुस्लिम जाट अपने इस्लाम धर्म पर अडिग हैं लेकिन हिन्दू जाटों से उनका धर्म छोड़ने की अपील/अपेक्षा करते हैं।
सोशल मिडिया पर इस मिशन से जुड़े लोग सनातन धर्म की मान्यताओं का रोज अपमान करते हैं और गैर जाटों के विरुद्ध जाट युवाओं में विषवमन कर रहे हैं।
इनके शादी ब्याह के निमन्त्रण पत्रों में गणेश जी की बजाय छोटूराम/देवीलाल की तस्वीर लगाई जाने लगी है।

इनका नारा है "जय यौधेय"।।और मोर का प्रतिकचिन्ह है।
(जबकि यौधेय शब्द से इनका कोई दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नही है)

जाट+मुस्लिम गठबंधन बनाकर हिंदुओं के विरुद्ध जंग छेड़ना इनका स्वप्न है और इसमें दलितों को भी शामिल करने का उद्देश्य है।

ये अपनी सुविधानुसार पहचान/पुरखें बदलने में भी माहिर हैं।
आर्य समाज के प्रभाव में इन्होंने खुद को आर्य कहना शुरू किया,
कभी क्षत्रिय बताते हैं तो कभी अचानक से पलटी मारकर खुद को शक हूण कुषाण हमलावरों की सन्तान बता देते हैं 
वहीँ आरक्षण की मांग करते हुए ये खुद को चांडाल/शूद्र तक बता देते हैं।

यही नही जिस आर्य समाज के प्रभाव और सुधारों से जाटों में जाग्रति और समाज सुधार हुए उसी आर्य समाज को भी इन्होंने नकारना शुरू कर दिया है।इस संगठन के लोग स्वामी दयानन्द को जाट समाज का पथभृष्टक बता रहे हैं।।

हाल ही में इन्होंने एक और पलटी मारते हुए खुद को आर्य की बजाय मूलनिवासी बताना शुरू कर दिया है जिससे दलितों के साथ मिलकर हिंदुत्व के विरुद्ध संघ बनाया जा सके।

इस संगठन की जड़ें हरियाणा में जम चुकी हैं वेस्ट यूपी और राजस्थान में भी ये जड़े जमाने में लगे हैं।हजारो युवा इनके बहकावे में आ चुके हैं 
सूत्रों के अनुसार शासन/प्रशासन/सेना तक में इनके लोग घुस चुके हैं जो देश के लिए बड़ा खतरा है।

ख़ुशी की बात ये है कि इनकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के विरुद्ध कुछ राष्ट्रवादी जाट युवा ही सामने आए हैं और इनका जमकर मुकाबला कर रहे हैं 

अगर देश की ख़ुफ़िया एजेंसियां नींद से जागकर इस राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र को विफल नही करती और दोषियों को कठोर दंड नही मिलता है तो ये आग भड़काने में सफल हो जाएंगे और उत्तर भारत में पंजाब के अतिरिक्त हरियाणा राजस्थान वेस्ट यूपी में भारी उथल पुथल होगी।

सभी बन्धु इस मेसज को फैलाएं और इस दूषित राष्ट्रविरोधी विचारधारा के विरुद्ध जनमत बनाने में सहयोग करें

जय हिन्द,जय सनातन धर्म---

11 comments:

  1. आरक्षण के लिए इन्होंने अपने आपको न्यायालय में चाण्डाल बताया था|

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  2. जी जाट कट्टर हिन्दू है तभी हरियाणा राजस्थान और यु पी के 80% जाटो ने बीजेपी को वोट दिया ये जय योध्येय के नारे मुस्लिम और दलित लोग जाटो के नाम से पेज बनाकर दुष्प्रचार कर रहे है।
    जय हिंद जय हिंदुत्व

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  3. कोरी बकवास की पोस्ट है आपकी।इस देश की बर्बादी का कारण ब्राह्म्णवाद ही है और मुगलों के साले राजपूत है।
    यूनिनिस्ट पार्टी सिर्फ जाट मुसलमान की नही बल्कि जाट राजपूत अहीर गुर्ज्जर की पार्टी थी।यूनिनिस्ट पार्टी कौमी एकता पर बल देती थी जबकि धर्म के जंजाल से बचने की सलाह देती थी।
    इतिहास पढ़ कर देखो एक बारयूनिनिस्ट पार्टी ने किसान मजदूरों के लिए कितने कानून बनाये

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  4. main kehta hun ki rajputon main bhi rajput hun kya ham apna sochein swayam ko majboot karein aur swayam ko har jagah establish karke khud ko center me rakh ke chalein to behtar hoga kyunki hamein apni aane wali peedhi pe dhyan dena hai

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  5. shi kha sir ki upaadi angrejo sirf apne chamcho ko dti thi or jaato mai kai hai jo sir bn gye

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  6. भारत के एक जाने-माने अँग्रेज़ी के पत्रकार और पुराने राजनयिक।
    (भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले गद्दारों की कहानी:- जनता को नहीं पता है कि भगत mसिंह के विरुद्ध गवाही देने वाले दो प्रमुख व्यक्ति कौन थे ? जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ. शोभा सिंह. ने गवाही दी और दूसरा गवाह था शादी लाल ! दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले। शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले आज कनाॅट प्लेस में सर शोभा सिंह स्कूल में कतार लगती है बच्चो को प्रवेश नहीं मिलता है जबकि शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति मिली ।आज भी श्यामली में शादीलाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है । सर शादीलाल और सर शोभा सिंह के प्रति भारतीय जनता कि नजरों मे घृणा थी, जो अब तक है । लेकिन शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफन का कपड़ा तक नहीं दिया । शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर ले गए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था । शोभा सिंह खुशनसीब रहा । उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी । उसके बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु कर दी और बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया । सर सोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी बन गया जो अस्पतालों और दूसरी जगहों पर धर्मशालाएं आदि बनवाता तथा मैनेज करता है । आज दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से जाना जाता था । खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देश भक्त और दूरद्रष्टा निर्माता साबित करने का भरसक कोशिश की। खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार भी साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या भी की। खुशवंत सिंह ने भी माना है कि उसका पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली में मौजूद था जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेका था। बकौल खुशवंत सिह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही दी, शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसे कई जगह अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की। खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल सर शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर भी आयोजित करवाता है जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजान बने) उसकी तस्वीर पर फूल माला चढ़ा आते हैं । और भी गवाह निम्न लिखित थे।

    1. दिवान चन्द फ़ोगाॅट (jat)2. जीवन लाल (jat)3. नवीन जिंदल की बहन के पति का दादा 4. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दादा दीवान चन्द फोगाॅट
    D.L.F. कम्पनी का founder था इसने अपनी पहली कालोनी रोहतक में काटी थी इसकी इकलौती बेटी थी जो कि K.P.Singh को ब्याही और वो मालिक बन गया DLF का । अब K.P.Singh की भी इकलौती बेटी है जो कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद (गुज्जर से मुस्लिम धर्मान्तरण ) के बेटे सज्जाद नबी आज़ाद के साथ ब्याही गई है । अब ये DLF का मालिक बनेगा । जीवनलाल मशहूर एटलस कम्पनी का मालिक था । सूचि की अन्य हस्तियों को तो आप जानते ही हो । गहन मंचन की जरूरत है दोस्तों/ भाईयों सोचो औरसच्चाई को लोगों तक पहुंचाओ ...... इन्हीं की गवाही के कारण 14 फरवरी 1931 को भगतसिंह व अन्य को फांसी की सजा सुनाई गई । नमन हो बलिदान को — विजय प्रकाश मिश्र

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    1. Singh is married to Indira Singh, the daughter of Raghvendra Singh,[4] the founder of DLF Limited. K. P. Singh has one son, Rajiv Singh, and two daughters, Renuka and Pia Singh.[17]

      Singh's son, Rajiv Singh, is vice-chairman of the DLF group. Rajiv's wife Kavita became an advisor to DLF Commercial Developers Ltd in November 2002. She was also appointed Advisor to DLF Universal Ltd. on 1 June 2011, with a retainership fee of Rs 250,000 per month and other benefits. Rajiv and Kavita have two daughters, both of whom work for the company.[18] K. P. Singh's elder daughter Renuka is married to G.S. Talwar, a non-executive director at DLF Ltd. Their son, Rahul, has joined DLF India Ltd as a "senior management trainee." K.P. Singh's younger daughter Pia Singh is a full-time director with DLF.[12]

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  7. भारत के एक जाने-माने अँग्रेज़ी के पत्रकार और पुराने राजनयिक।
    (भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले गद्दारों की कहानी:- जनता को नहीं पता है कि भगत mसिंह के विरुद्ध गवाही देने वाले दो प्रमुख व्यक्ति कौन थे ? जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ. शोभा सिंह. ने गवाही दी और दूसरा गवाह था शादी लाल ! दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले। शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले आज कनाॅट प्लेस में सर शोभा सिंह स्कूल में कतार लगती है बच्चो को प्रवेश नहीं मिलता है जबकि शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति मिली ।आज भी श्यामली में शादीलाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है । सर शादीलाल और सर शोभा सिंह के प्रति भारतीय जनता कि नजरों मे घृणा थी, जो अब तक है । लेकिन शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफन का कपड़ा तक नहीं दिया । शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर ले गए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था । शोभा सिंह खुशनसीब रहा । उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी । उसके बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु कर दी और बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया । सर सोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी बन गया जो अस्पतालों और दूसरी जगहों पर धर्मशालाएं आदि बनवाता तथा मैनेज करता है । आज दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से जाना जाता था । खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देश भक्त और दूरद्रष्टा निर्माता साबित करने का भरसक कोशिश की। खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार भी साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या भी की। खुशवंत सिंह ने भी माना है कि उसका पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली में मौजूद था जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेका था। बकौल खुशवंत सिह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही दी, शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसे कई जगह अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की। खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल सर शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर भी आयोजित करवाता है जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजान बने) उसकी तस्वीर पर फूल माला चढ़ा आते हैं । और भी गवाह निम्न लिखित थे।

    1. दिवान चन्द फ़ोगाॅट (jat)2. जीवन लाल (jat)3. नवीन जिंदल की बहन के पति का दादा 4. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दादा दीवान चन्द फोगाॅट
    D.L.F. कम्पनी का founder था इसने अपनी पहली कालोनी रोहतक में काटी थी इसकी इकलौती बेटी थी जो कि K.P.Singh को ब्याही और वो मालिक बन गया DLF का । अब K.P.Singh की भी इकलौती बेटी है जो कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद (गुज्जर से मुस्लिम धर्मान्तरण ) के बेटे सज्जाद नबी आज़ाद के साथ ब्याही गई है । अब ये DLF का मालिक बनेगा । जीवनलाल मशहूर एटलस कम्पनी का मालिक था । सूचि की अन्य हस्तियों को तो आप जानते ही हो । गहन मंचन की जरूरत है दोस्तों/ भाईयों सोचो औरसच्चाई को लोगों तक पहुंचाओ ...... इन्हीं की गवाही के कारण 14 फरवरी 1931 को भगतसिंह व अन्य को फांसी की सजा सुनाई गई । नमन हो बलिदान को — विजय प्रकाश मिश्र

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  8. हा हा हा मतलब कुछ भी लिख देते हो बिना कुछ पढ़े आधा अधूरा ज्ञान के साथ । ऐसी फालतू की पोस्ट डालने से पहले जरा पढ लेते तो अच्छा होता कुछ इतिहास तोड़ मरोड़ रहे हो । कभी यूनियनिस्ट मिशन के बारे में सही से पढ़ना ।

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