====अशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल शांति स्वरूप् राणा====
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जीवन परिचय----
स्वर्गीय Col शांति स्वरुप राणा जी का जन्म 17 सितम्बर 1949 में होशियपुर पंजाब के baila नामक गाँव में हुआ था।वे चार भाइयो और तीन बहनो में सबसे छोटे थे।उनके पिता जी बड़े प्रभावशाली जमीदार थे।
11 जून 1977 को उन्हें भारतीय सेना में कमीशन मिला था।
वीरता और सर्वोच्च बलिदान----------
शुरुआत में शांति स्वरुप राणा जी की नियुक्ति सेना में सिग्नल सैनिक के पद पर हुआ था लेकिन प्रतिभा के बल पर बाद में ये आर्मी कैडेट कॉलेज देहरादून में अधिकारी की ट्रेनिंग के लिए सेना की तरफ से चुने गए। ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद इन्हें 3 बिहार रेजिमेंट में 11 जुलाई 1977 को नियुक्त किया गया। ऑपरेशन राइनो , ऑपरेशन पवन , ऑपरेशन रक्षक जैसे बड़े सैन्य अभियानो में अपना जौहर दिखाने के कारण इन्हें 13 राष्ट्रिय राइफल में 2 IC के स्थान पर पदोन्नत किया गया। सन् 1994 को Lt COL के पद पर नियुक्त किया गया। 2 नवंबर 1996 को Lt Col राणा को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के हफरुदा जंगलों में दो आंतकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने की चुनोती मिली।
Lt. Col राणा वहाँ आतंकवादियों की छोटी छावनियों के समान चार छुपे हुए ठिकाने देखे जिनमे भारी असला और 800 kg विस्फोटक जमा था। lt.col राणा और उनके सैनिकों ने फुर्ती दिखाते हुए सीधे दुश्मनों की तरफ धावा बोला और ग्रेनेड से हमला करते हुये आतंकवादी बंकरों को एक एक कर ध्वस्त करने लगे।
तभी उनकी नजर एक और छुपे हुए आतंकवादी ठिकानों पर पड़ी , इसी समय अपने छावनी सामान बंकरों से आतंकवादियों ने दुबारा जवाबदारी देते हुए भारी गोला बारी की। Lt. Col. राणा ने अपने सैन्य दस्ते की कमान संभाली और उन बंकरों की तरफ कूच शुरू की और तीन हैण्ड ग्रेनेड उनमें फेंक दिए। तभी दो विदेशी भाड़े के आतंकी भारी गोली बारी करते हुए बंकर से बाहर निकले। Lt Col राणा ने उन्हें तुरन्त ही जवाबी हमले में मार गिराया तभी दूसरी तरफ से आतंकवादियों ने राणा को पीछे से गोली बारी कर बुरी तरह से घायल कर डाला।
बुरी तरह घायल होने के बावजूद col राणा अपनी टुकड़ी की होंसला अफजाही करते रहे और दुश्मनों पर भारी पड़े। तभी एक आतंकवादी उनकी टुकड़ी की तरफ भारी गोला बारी करते हुए लपका, कर्नल राणा ने बिना अपनी जान की परवाह करते हुए अपनी टुकड़ी की रक्षा के लिए उस आतंकवादी पर आमने सामने का धावा बोल दिया और उसे मार गिराया।
कर्नल राणा का शरीर गोलियों से बुरी तरह छलनी हो गया तथा वे और बुरी तरह से घायल हो गए और अंत में इस देह को त्याग कर शहीद हो गए।
राणा के सफल नेतृत्व और बलिदान के कारण वह भारतीय सैन्य अभियान सफल रहा और ना जाने कितने मासूम देश वासियों तथा सैनिकों का जीवन सुरक्षित हुआ।
समस्त भारतीय कर्नल शांति स्वरूप् राणा के इस योगदान को भुला नहीं सकता और समस्त राजपुत समाज उनके इस शौर्य पर गर्वान्वित महसूस करता है और अपनी श्रधांजलि अर्पित करता है। कर्नल राणा को उनके बलिदान के लिए भारत सरकार की तरफ से अशोक चक्र से नवाजा गया।
कर्नल शांति स्वरूप् राणा जी को शत शत नमन।
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Lieutenant Colonel Shanti Swarup Rana was commissioned on 11 June 1977 in the Bihar Regiment.
On 02 November 1996, Lt Col Swarup Rana while serving with 13 RR was entrusted with the task of destroying two terrorist camps in the Hephrude forest of Kupwara District in Jammu & Kashmir. He spotted four well fortified hideouts stocked heavily with arms and ammunition including tonnes of explosives. In a gallant and swift strike, he destroyed these hideouts. One more well concealed hideout came to his notice. During the action that followed, the terrorists resorted to heavy firing from their well fortified bunker. Lt Col Rana organised his troops, crawled towards the bunker and threw hand grenades inside. Two foreign mercenaries came out firing heavily. He killed both of them instantaneously.
Meanwhile, the terrorists seriously injured Lt Col Rana in heavy firing from another location. In spite of this, the gallant officer kept on boosting the morale of his soldiers. When one more terrorist advanced towards the soldiers, Lt Col Rana without caring for this own life, charged and killed him in a hand-to-hand encounter. In this action, this gallant officer sustained fatal bullet injuries and made the supreme sacrifice. Lt Col Rana displayed indomitable courage, patriotism and gallantry of the highest order. For this act of indomitable courage, Lt Col SS Rana was awarded the ASHOKA CHAKRA posthumously
Biodata
1. Rank & Name - Lt Col Shanti Swarup Rana, AC (Posthumously)
2. Unit/Regt - 13 RR Bn/BIHAR REGT
3. Name of Award - Ashok Chakra
4. Theatre of Ops - OP RAKSHAK
5. Year of Awards - 26 Jan 1997
6. City/ State of which belonged - Panchkula / Haryana
Reference----
1- http://en.m.wikipedia.org/wiki/Rashtriya_Rifles
2- http://en.m.wikipedia.org/wiki/Shanti_Swaroop_Rana
3-http://indian-martyr.blogspot.in/2011/11/lt-col-shanti-swarup-rana.html?m=1
4- https://books.google.co.in/books?id=MlAi5sWYOe8C&pg=PA113&lpg=PA113&dq=shanti+swarup+rana&source=bl&ots=8tuVq2ElBK&sig=0ggqq5oZvTucn9qfnAKgpAyAWSE
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जीवन परिचय----
स्वर्गीय Col शांति स्वरुप राणा जी का जन्म 17 सितम्बर 1949 में होशियपुर पंजाब के baila नामक गाँव में हुआ था।वे चार भाइयो और तीन बहनो में सबसे छोटे थे।उनके पिता जी बड़े प्रभावशाली जमीदार थे।
11 जून 1977 को उन्हें भारतीय सेना में कमीशन मिला था।
वीरता और सर्वोच्च बलिदान----------
शुरुआत में शांति स्वरुप राणा जी की नियुक्ति सेना में सिग्नल सैनिक के पद पर हुआ था लेकिन प्रतिभा के बल पर बाद में ये आर्मी कैडेट कॉलेज देहरादून में अधिकारी की ट्रेनिंग के लिए सेना की तरफ से चुने गए। ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद इन्हें 3 बिहार रेजिमेंट में 11 जुलाई 1977 को नियुक्त किया गया। ऑपरेशन राइनो , ऑपरेशन पवन , ऑपरेशन रक्षक जैसे बड़े सैन्य अभियानो में अपना जौहर दिखाने के कारण इन्हें 13 राष्ट्रिय राइफल में 2 IC के स्थान पर पदोन्नत किया गया। सन् 1994 को Lt COL के पद पर नियुक्त किया गया। 2 नवंबर 1996 को Lt Col राणा को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के हफरुदा जंगलों में दो आंतकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने की चुनोती मिली।
Lt. Col राणा वहाँ आतंकवादियों की छोटी छावनियों के समान चार छुपे हुए ठिकाने देखे जिनमे भारी असला और 800 kg विस्फोटक जमा था। lt.col राणा और उनके सैनिकों ने फुर्ती दिखाते हुए सीधे दुश्मनों की तरफ धावा बोला और ग्रेनेड से हमला करते हुये आतंकवादी बंकरों को एक एक कर ध्वस्त करने लगे।
तभी उनकी नजर एक और छुपे हुए आतंकवादी ठिकानों पर पड़ी , इसी समय अपने छावनी सामान बंकरों से आतंकवादियों ने दुबारा जवाबदारी देते हुए भारी गोला बारी की। Lt. Col. राणा ने अपने सैन्य दस्ते की कमान संभाली और उन बंकरों की तरफ कूच शुरू की और तीन हैण्ड ग्रेनेड उनमें फेंक दिए। तभी दो विदेशी भाड़े के आतंकी भारी गोली बारी करते हुए बंकर से बाहर निकले। Lt Col राणा ने उन्हें तुरन्त ही जवाबी हमले में मार गिराया तभी दूसरी तरफ से आतंकवादियों ने राणा को पीछे से गोली बारी कर बुरी तरह से घायल कर डाला।
बुरी तरह घायल होने के बावजूद col राणा अपनी टुकड़ी की होंसला अफजाही करते रहे और दुश्मनों पर भारी पड़े। तभी एक आतंकवादी उनकी टुकड़ी की तरफ भारी गोला बारी करते हुए लपका, कर्नल राणा ने बिना अपनी जान की परवाह करते हुए अपनी टुकड़ी की रक्षा के लिए उस आतंकवादी पर आमने सामने का धावा बोल दिया और उसे मार गिराया।
कर्नल राणा का शरीर गोलियों से बुरी तरह छलनी हो गया तथा वे और बुरी तरह से घायल हो गए और अंत में इस देह को त्याग कर शहीद हो गए।
राणा के सफल नेतृत्व और बलिदान के कारण वह भारतीय सैन्य अभियान सफल रहा और ना जाने कितने मासूम देश वासियों तथा सैनिकों का जीवन सुरक्षित हुआ।
समस्त भारतीय कर्नल शांति स्वरूप् राणा के इस योगदान को भुला नहीं सकता और समस्त राजपुत समाज उनके इस शौर्य पर गर्वान्वित महसूस करता है और अपनी श्रधांजलि अर्पित करता है। कर्नल राणा को उनके बलिदान के लिए भारत सरकार की तरफ से अशोक चक्र से नवाजा गया।
कर्नल शांति स्वरूप् राणा जी को शत शत नमन।
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Lieutenant Colonel Shanti Swarup Rana was commissioned on 11 June 1977 in the Bihar Regiment.
On 02 November 1996, Lt Col Swarup Rana while serving with 13 RR was entrusted with the task of destroying two terrorist camps in the Hephrude forest of Kupwara District in Jammu & Kashmir. He spotted four well fortified hideouts stocked heavily with arms and ammunition including tonnes of explosives. In a gallant and swift strike, he destroyed these hideouts. One more well concealed hideout came to his notice. During the action that followed, the terrorists resorted to heavy firing from their well fortified bunker. Lt Col Rana organised his troops, crawled towards the bunker and threw hand grenades inside. Two foreign mercenaries came out firing heavily. He killed both of them instantaneously.
Meanwhile, the terrorists seriously injured Lt Col Rana in heavy firing from another location. In spite of this, the gallant officer kept on boosting the morale of his soldiers. When one more terrorist advanced towards the soldiers, Lt Col Rana without caring for this own life, charged and killed him in a hand-to-hand encounter. In this action, this gallant officer sustained fatal bullet injuries and made the supreme sacrifice. Lt Col Rana displayed indomitable courage, patriotism and gallantry of the highest order. For this act of indomitable courage, Lt Col SS Rana was awarded the ASHOKA CHAKRA posthumously
Biodata
1. Rank & Name - Lt Col Shanti Swarup Rana, AC (Posthumously)
2. Unit/Regt - 13 RR Bn/BIHAR REGT
3. Name of Award - Ashok Chakra
4. Theatre of Ops - OP RAKSHAK
5. Year of Awards - 26 Jan 1997
6. City/ State of which belonged - Panchkula / Haryana
Reference----
1- http://en.m.wikipedia.org/wiki/Rashtriya_Rifles
2- http://en.m.wikipedia.org/wiki/Shanti_Swaroop_Rana
3-http://indian-martyr.blogspot.in/2011/11/lt-col-shanti-swarup-rana.html?m=1
4- https://books.google.co.in/books?id=MlAi5sWYOe8C&pg=PA113&lpg=PA113&dq=shanti+swarup+rana&source=bl&ots=8tuVq2ElBK&sig=0ggqq5oZvTucn9qfnAKgpAyAWSE
शत शत नमन
ReplyDeleteकोटि कोटि नमन्
ReplyDeleteशूरवीर अधिकारी को शत शत नमन
ReplyDeleteजयहिंद की सेना
Yaduwanshi Or Yadav Alag Hai
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