Monday, October 23, 2017

प्राचीन गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश) और आधुनिक गुजरात राज्य मे क्या अंतर है?


प्राचीन गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश) और आधुनिक गुजरात मे क्या अंतर है?---

प्राचीन गुर्जरात्रा या असली गुजरात आज के दक्षिण पश्चिम राजस्थान में था,

इसमें आज के राजस्थान के पाली,जालौर,सिरोही,
भीनमाल(बाड़मेर का कुछ हिस्सा), कुछ हिस्सा जोधपुर व् कुछ हिस्सा मेवाड़ का सम्मिलित था,
(इसका नामकरण 5 वी सदी के आसपास गुर्जरात्रा क्यों हुआ इसके विषय में अलग से पोस्ट करूँगा)

भीनमाल प्राचीन गुर्जरात्रा की राजधानी थी, जिस पर हर्षवर्धन के समय चावड़ा राजपूत व्याघ्रमुख शासन करते थे।चावड़ा वंश को उनके लेखों में चापोतक्ट लिखा मिलता है।

चावड़ा वंश परमार राजपूतो की शाखा माना जाता है तथा अभी भी राजस्थान गुजरात उत्तर प्रदेश में चावड़ा वंश की आबादी है, गुजरात मे तो चावड़ा राजपूतो की आज भी स्टेट हैं।
कालांतर में चावड़ा वंश का शासन भीनमाल से समाप्त हो गया और उन्होंने प्राचीन आनर्त देश(आज के गुजरात का उत्तरी भाग) में पाटन अन्हिलवाड़ को राजधानी बनाया तथा अपने प्राचीन राज्य गुर्जरात्रा की स्मृति में नए स्थापित राज्य का नाम भी गुर्जरात्रा रख दिया।

प्राचीन गुर्जरात्रा पर इसके कुछ समय बाद ही नागभट्ट प्रतिहार ने कब्जा कर लिया तथा इस गर्जरात्रा के शासक होने के कारण गुरजेश्वर कहलाए।

इस प्रकार प्राचीन आनर्त देश ही गुर्जरात्रा या गुजरात राज्य के रूप में प्रसिद्ध हुआ, पर प्रारम्भ में इसमें पाटन, साबरकांठा, मेहसाणा, बनासकांठा आदि ही शामिल थे।

10 वी सदी में चावड़ा वंश के स्थान पर गुजरात में सोलंकी वंश की सत्ता स्थापित हुई,
सोलंकी वंश ने जब लाट देश (आज के गुजरात का दक्षिणी हिस्सा) पर कब्जा किया तो लाट देश भी उसी गुजरात का हिस्सा बन गया।
ये सोलंकी राजपूत राजा भी इस नए गुजरात पर शासन करने के कारण ही गुरजेश्वर कहलाए।
किन्तु सौराष्ट्र कच्छ का इलाका इस गुजरात से अलग ही रहा।

कालांतर में गुजराती भाषा का प्रचार प्रसार सौराष्ट्र में भी हो गया और 1947 के बाद समान भाषा के नाम पर जिस गुजरात नामक प्रदेश का निर्माण हुआ उसमे सौराष्ट्र और कच्छ का इलाका भी जोड़ दिया गया।

इस प्रकार ही आधुनिक गुजरात राज्य अस्तित्वव् में आया जबकि असली या प्राचीन गुजरात राज्य आज के दक्षिण पश्चिम राजस्थान के हिस्से को कहा जाता था।

जब आनर्त और लाट का संयुक्त हिस्सा नवीन गुजरात के रूप में प्रसिद्ध हो गया तो प्राचीन गुर्जरात्रा प्रदेश का नाम भी समय के साथ बदलकर गौड़वाड़ हो गया, जो राजस्थान के पाली जालौर सिरोही के संयुक्त क्षेत्र को कहा जाता है।

एक कमाल की बात ये है कि आधुनिक पशुपालक गुज्जर जाति की जनसंख्या न तो प्राचीन गुर्जरात्रा/गुजरात में है न ही आधुनिक गुजरात राज्य में इन गुज्जरों की कोई आबादी है।

न तो प्राचीन गुजरात में गुज्जर हैं
न आधुनिक गुजरात में गुज्जर हैं!!!

न प्रतिहारों की प्राचीनतम राजधानी भीनमाल और मंडोर में गुज्जर हैं
न ही प्रतिहारों के सबसे विशाल राज्य की राजधानी कन्नौज में गूजरों की कोई आबादी है!!

न ही आज गूजरों में कोई प्रतिहार परिहार वंश मिलता है,
गुजरात और कन्नौज में तो कोई जानता ही नही कि गुज्जर जाति होती क्या है!!!

फिर किस आधार पर ये प्रतिहार वंश और गुजरात पर दावा ठोकते हैं??

नोट--इसी प्रकार 18 वी सदी में गुजरात मे बड़ौदा पर शासन स्थापित करने वाले गायकवाड़ मराठा भी गुरजेश्वर कहलाए जाते हैं।
गुरजेश्वर गुर्जराधिपति आदि उपाधियों का अर्थ है गुजरात प्रदेश के शासक न कि गुज्जर जाति के शासक, ये बात आज के गुज्जर भाइयो को समझ लेनी चाहिए।

अगले भाग में गर्जरात्रा नामकरण और यूपी राजस्थान मध्य प्रदेश कश्मीर व पाकिस्तानी पंजाब दिल्ली एनसीआर के गुज्जर समाज की उतपत्ति ओर वास्तविक इतिहास पर चर्चा करेंगे।


जय श्रीराम, 

14 comments:

  1. राम राम सा
    बेहतरीन जानकारी उपलब्ध कराने के लिये ।

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  2. बहुत खोजपूर्ण जानकारी

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  3. कृपया जवाब दे
    क्या सभी गुज्जरों को राजपूत नही बनाया जा सकता था क्या प्रतिहार कुल के गुजरो से में आपको मिलाउ तो

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    1. बाद में तुम कुछ भी बन इतिहास चुराकर

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  4. मुझे याद नही पर एक अंग्रेजी किताब पढ़ी थी मेने उसमे लिखा है कि राजपूतो की बढ़ती ताकत देख गुर्जर प्रतिहार
    राजपूतो में शामिल हो गए

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    1. बिल्कुल सही कहा राजपूतों में जा मिले ऐसा ही बताया जाता है और हैं भी ऐसा ही 👍👍

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  5. kya bkwas hai fir to muaglo ne rajputo ko haraya tha fir to wo mugal bhi rajputeshwar nh bne ku nh mante ki ap kha se bne ho

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    1. Unhe hindostan pe akraman kara evam delhi par apna adhikar kara toh unhone khud ko "shehn shahi hindostan" evam "sultane-hind" ya delhi ke sultan ki upaadhi nahi di thi kya? Jis waqt pratiharo ne gujratra ko apne under kara us time gujrat swayam mein ek desh tha toh is karan unhone swayam ko "gurjar naresh" ki upaadhi di

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  6. न तो प्राचीन गुजरात मे गुज्जर थे।
    न वर्तमान गुजरात मे गुर्जर है।
    वह गुजरात /गुर्जर प्रदेश इसलिए है कि वहाँ गुर्जरो का शासन था ।

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  7. Haraya hi nahi beta haraya hota to aaj tu or me muslim hota ye sirf Congress or angreAn ne itihas kharab Kiya hai

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  8. देखो भाई में राजपूत समाज का बड़ा आदर करता हु और मुझे कोई फर्क नही पड़ता कि मिहिरभोज गुर्जर थे या राजपूत मेरी बिरादरी के सम्मान तो जब से ही बढ़ गए था जब अंग्रेजों ने उन्हें बागी कहा था । और काला आम चैराहे पर फांसी पर लटका दिया था इसलिए भाई एक बात कहता हूं पैसो का नही गुर्जर होने का घमंड ह हमे और विश्वास ने हो तो गुर्जरो का wikipedia पेज पढ़ लो 1857 की क्रांति में बढ़ चढ़ कर भाग लिए था गुर्जरो ने।
    scholars believe that this[clarification needed] was also done due to their participation in the revolt of 1857, and many tribal chiefs were labelled traitors and considered rebellious.[17]
    castes under this Act included initially Gujjars
    और इसकी वजह ये नही थी कि गुर्जर चोर थे बल्कि गुर्जर अंग्रेजो के खिलाफ थे उनके जुल्म के खिलाफ थे। आज के टाइम या आजादी के बाद तो गुर्जर चोरी नही कर रहे।
    इसलिए brother पैसे का नही गुर्जर होने का घमंड।
    मिहिर भोज को गुर्जर इतिहासकार बोलते ह उनसे बहस करो सिद्ध करो कि मिहिर भोज राजपूत हमे बहुत खुसी होगी। कोई परेशानी वाली बात नही हमारे पास इतिहास की कमी नही ह हुम् बागी बनकर ही खुश ह।
    जय हिंद
    जय हिंदुत्व।

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  9. चावड़ा राजपूतों के बारे में और कोई जानकारी हो तो उपलब्ध कराए...

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  10. Acha Lga Rajputana Ithihaas pad kar.
    Gurjer apne chote bhai hain. Wo Hum mein he se niklein hain.

    But aaj kuch Gurjron pe paisa kya aagya lage Rajputi Ithihaas Churane.

    Jai Hindustan
    Jai Rajputana


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  11. Uneducated lg rha h gujaro ke samne aake history proof bata de or gujar bhi bta denge jitne पुराने प्रूफ होंगे उसकी बात shi nikal jayegi kiu social media pe badmash bante ho

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