क्या बडगूजर राजपूत प्रतिहार राजपूत वंश की शाखा है??-----
(Badgujar rajputs and pratihar rajput dynasty)
श्रीमाल जी का नाम बडगूजर राजपूतों की वंशावली में आता है
पर इसका अर्थ सांकेतिक है, इसको समझिये।
राजस्थान में जालौर जिले में स्थित भीनमाल प्राचीन गुर्जरदेश (गुर्जरात्रा) की राजधानी थी, जिसका वास्तविक नाम "श्रीमाल" था,जो बाद में भिल्लमाल और फिर भीनमाल हुआ।
गल्लका लेख के अनुसार अवन्ति के राजा नागभट्ट प्रतिहार ने 7 वी सदी में गुर्जरो को मार भगाया और गुर्जरदेश पर कब्जा किया, गुर्जरदेश पर अधिपत्य करने के कारण ही नागभट्ट प्रतिहार गुरजेश्वर कहलाए जैसे रावण लंकेश कहलाता था।
यही से इनकी एक शाखा दौसा,अलवर के पास राजौरगढ़ पहुंची, राजौरगढ़ में स्थित एक शिलालेख में वहां के शासक मथनदेव पुत्र सावट को गुर्जर प्रतिहार लिखा हुआ है जिसका अर्थ है गुर्जरदेश से आए हुए प्रतिहार शासक।।
इन्ही मथंनदेव के वंशज 12 वी सदी से बडगूजर कहलाए जाने लगे क्योंकि राजौरगढ़ क्षेत्र में पशुपालक गुर्जर/गुज्जर समुदाय भी मौजूद था जिससे श्रेष्ठता दिखाने और अंतर स्पष्ट करने को ही गुर्जर प्रतिहार राजपूत बाद में बडगूजर कहलाने लगे।
पशुपालक शूद्र गुर्जर/गुज्जर समुदाय का राजवंशी बडगूजर क्षत्रियो से कोई सम्बन्ध नही था।पशुपालक गुज्जर/गुर्जर दरअसल बडगूजर (गुर्जर प्रतिहार) राजपूतो के राज्य में निवास करते थे।
राजा रघु के वंशज (क्योंकि श्रीराम और लक्ष्मण जी दोनों रघु के वंशज थे) होने के कारण ही इन्होंने राघव/रघुवंशी पदवी धारण की, इनकी वंशावली में एक अन्य शासक रघुदेव के होने के कारण भी इनके द्वारा राघव टाइटल लिखा जाना बताया जाता है।
इस प्रकार बडगूजर राजपूत वंशावली में श्रीमाल (गुर्जरदेश की राजधानी भीनमाल का प्राचीन नाम) का होना तथा राजौरगढ़ शिलालेख में बड़गुजरो के पूर्वज मथनदेव को गुर्जर प्रतिहार सम्बोधित किया जाना आधुनिक बडगूजर राजपूत वंश को प्रतिहार राजपूत वंश की ही शाखा होना सिद्ध करता है।
श्रीमाल (भीनमाल) के निवासी या वहां से अन्य स्थानों पर जाकर बसे ब्राह्मण श्रीमाली ब्राह्मण कहलाए
जो गौड़ ब्राह्मण गुर्जरदेश में बसे, वो गुर्जर गौड़ ब्राह्मण कहलाए।।
(Badgujar rajputs and pratihar rajput dynasty)
श्रीमाल जी का नाम बडगूजर राजपूतों की वंशावली में आता है
पर इसका अर्थ सांकेतिक है, इसको समझिये।
राजस्थान में जालौर जिले में स्थित भीनमाल प्राचीन गुर्जरदेश (गुर्जरात्रा) की राजधानी थी, जिसका वास्तविक नाम "श्रीमाल" था,जो बाद में भिल्लमाल और फिर भीनमाल हुआ।
गल्लका लेख के अनुसार अवन्ति के राजा नागभट्ट प्रतिहार ने 7 वी सदी में गुर्जरो को मार भगाया और गुर्जरदेश पर कब्जा किया, गुर्जरदेश पर अधिपत्य करने के कारण ही नागभट्ट प्रतिहार गुरजेश्वर कहलाए जैसे रावण लंकेश कहलाता था।
यही से इनकी एक शाखा दौसा,अलवर के पास राजौरगढ़ पहुंची, राजौरगढ़ में स्थित एक शिलालेख में वहां के शासक मथनदेव पुत्र सावट को गुर्जर प्रतिहार लिखा हुआ है जिसका अर्थ है गुर्जरदेश से आए हुए प्रतिहार शासक।।
इन्ही मथंनदेव के वंशज 12 वी सदी से बडगूजर कहलाए जाने लगे क्योंकि राजौरगढ़ क्षेत्र में पशुपालक गुर्जर/गुज्जर समुदाय भी मौजूद था जिससे श्रेष्ठता दिखाने और अंतर स्पष्ट करने को ही गुर्जर प्रतिहार राजपूत बाद में बडगूजर कहलाने लगे।
पशुपालक शूद्र गुर्जर/गुज्जर समुदाय का राजवंशी बडगूजर क्षत्रियो से कोई सम्बन्ध नही था।पशुपालक गुज्जर/गुर्जर दरअसल बडगूजर (गुर्जर प्रतिहार) राजपूतो के राज्य में निवास करते थे।
राजा रघु के वंशज (क्योंकि श्रीराम और लक्ष्मण जी दोनों रघु के वंशज थे) होने के कारण ही इन्होंने राघव/रघुवंशी पदवी धारण की, इनकी वंशावली में एक अन्य शासक रघुदेव के होने के कारण भी इनके द्वारा राघव टाइटल लिखा जाना बताया जाता है।
इस प्रकार बडगूजर राजपूत वंशावली में श्रीमाल (गुर्जरदेश की राजधानी भीनमाल का प्राचीन नाम) का होना तथा राजौरगढ़ शिलालेख में बड़गुजरो के पूर्वज मथनदेव को गुर्जर प्रतिहार सम्बोधित किया जाना आधुनिक बडगूजर राजपूत वंश को प्रतिहार राजपूत वंश की ही शाखा होना सिद्ध करता है।
श्रीमाल (भीनमाल) के निवासी या वहां से अन्य स्थानों पर जाकर बसे ब्राह्मण श्रीमाली ब्राह्मण कहलाए
जो गौड़ ब्राह्मण गुर्जरदेश में बसे, वो गुर्जर गौड़ ब्राह्मण कहलाए।।
Historians (not bards)both indian as well as foreigners like Vincent Smith,James Todd,Sir jervoise athelstane baines,john keay,aydogdy kurbanov,baij nath Puri,irawati karve,Dr k jamanadas,k m munshi,brij kishore sharma,d b bandarkar,people of india(archaeological survey of india)and ur own thakur yashpal singh rajpoot believe many rajput clans have emerged out of gurjars.
ReplyDeleteMoreover u may not know in 2015 in dasna district of ghaziabad a panchayat was held for kshatriya unity attended by rajput community.where it was decided that marriages between rajput,jaat,gurjar,ahir will not be considered inter caste.it was reported in newspapers as well like dainik bhaskar(also available on net).but that is undesirable but atleast we can stop abusing each other.
In a country where there r 80% Hindus.people have the guts to abuse maa Durga and maa bharati.its bcoz they know we are always fighting with each other.
No said this except DR bhanwar kar and Vincent Smith especially. They themselves it's a theory and later other historians like Dashratha Sharma etc didn't proved it wrong with Gallaka Inscription. It was later accepted that Gujjars (ethnic gujjars) and Gurjara are two different thing.
Delete����फर्जी इतिहासकार हो तुम
Deleteभाई थोड़ी खबर शिकन्दर के समय के गणराज्यो पर भी लिखना
ReplyDeleteJEMSAR KI NAE JANKARI H KAYA
ReplyDeleteMera Ek questions h
ReplyDeleteGujjar aur badgujjar aalag aalag. H ya Dono Ek hi h??
Alag alag ... Badgujar are Rajput
Deleteबडगुजर राघव राजपूत होते हैं
DeleteBhai Gujjar ak aalag jaati h
DeleteOr badgujaar ak aalag rajputi com h
Aak hi h
DeleteMera Ek questions h
ReplyDeleteGujjar aur badgujjar aalag aalag h ya Dono Ek hi h?????
aalag aalag h
DeleteAlag alag hai
DeleteAlg alg hai gujjar bargujar ki jgh m rhte the
DeleteBadgujar aur gujar dono alag alag hai badgujar bhagwan shree ram ke bade bate love ke vanshaj hai...badgujar survanshi rajput hai..sikharwar raghav dono ak hi hai bro
DeleteBadgujar boy can marry sikarwar ?
Deletealag alag hain.
ReplyDeleteBhai sach kadwa laga kya?? Koi sresth nahi ho sirf Noida mei muavje ke paiso pe uchhal rahe ho
ReplyDeleteDear All,
ReplyDeleteThe real reality is that badgujjars came out from Veer Gurjars/Gujjars by the time.
Both Gurjars and badgujjars belongs to the Suryavanshi/Raghuvanshi.
Great Gurjars turned to badgujjars by the time.
Gurjar/Gujjar/Badgujjar is one of the most powerful cast in India.
Thank You.
100%
DeleteGujar badgujar ex haikuki anangpal me apni beti ki sadi rajputon me ki jinka NATO prathviraj chohan tha
ReplyDeleteBadgurjar alag hain gujjars se Badgurjar Rajput hain, Badgurjar brahmin bhi hain aur Badgurjar jat bhi. Yeh prove karta ki koi Gurjara shabd jaati se nahi hain itihas mein.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletetu mgujjaro kai palle mai jo baat na pare uska jikra hi nhi hua hai itihs mai mai khudh badgujar kai subclan lohtamia sai hu jo ki sudh rajput clan hai . pehle khudh parh kai aa
Deleteअरे भाई विकिपीडिया पे जाके पढ़, वो तो गलत नही है।
DeleteBadgujar are brave rajput
ReplyDeleteBhai hindu sthan me sab raja hue to kya WO BHI Raj put the
DeleteDisto Kya Badgujar rajput he
ReplyDeleteHumara gotr bhardwaj brahmin hain..
ReplyDeleteKyaa meri shadi bhardwaj gurjarr k sath ho sktii haii ??
ek dam sahi kaha bhai ye log delhi ncr chor kar kahi bhi paiso sai takatwar nhi hai
ReplyDeleteU can find Badgujjar gotra in Gadariya(Gadariya is known as a kshatriya alao) community also ...
ReplyDeleteBadgujar kshtriya rajpoot hai jakar wikipedia dekh lo
DeleteBadgujjar rajputo ka baas nam milta hai gujjaro sai baki toh agar unki shakha pai jai toh bihar mai bhojpur ballia district mai lohtamia jo ki badgujjar ki shakha hai wo log hai aur wo rajput hai mai bhi lohtamia hi hu.
ReplyDeleteSahi kaha bhai . Me sikarwar rajput hu hum bhi pahle badgujar hi kahlate the lekin sikri se nikalne ke karan badgujar kahlane lage.
DeleteRight me bihar bhojpur ara se hu lohatamiya rajput hu
DeleteHi
ReplyDeleteAaj kl to sale sb rajput bnte h .salo ko gotra pta nhi muh utha kr BHS krte h.rajput bhaiyo ki jay .only real rajput ok.jay rajputana jay kshatriya vans.
ReplyDeleteI am gautam rajput from argal state.
ReplyDeleteमैं सिकरवार (बड़गुजर) जो कि एक राजपूत क्षत्रिय राजवंश से हूँ जो कि विजयपुर सीकरी (आज की फतेहपुर सीकरी) से निकलने के कारण सिकरवार कहलाये और आज भी क्षेत्र में लोग सिकरवारों को बड़गुजर बोलते हैं ।
ReplyDeleteVivek
ReplyDeleteबडगुजर (राघव) भारत की सबसे प्राचीन सूर्यवंशी गुर्जर जातियों में से एक है। वे प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित राजवंशो में से हैं। उन्होंने हरावल टुकडी या किसी भी लड़ाई में आगे की पहली पंक्ति में मुख्य बल गठित किया। बडगुजर ने मुस्लिम राजाओं की सर्वोच्चता को प्रस्तुत करने के बजाय मरना चुना। मुस्लिम शासकों को अपनी बेटियों को न देने के लिए कई बरगूजरों की मौत हो गई थी। कुछ बडगुजर उनके कबीले नाम बदलकर सिकरवार को उनके खिलाफ किए गए बड़े पैमाने पर नरसंहार से बचने के लिए बदल दिया।
ReplyDeleteवर्तमान समय में एक उपनिवेश को शरण मिली, जिसे राजा प्रताप सिंह बडगुजर के सबसे बड़े पुत्र राजा अनुप सिंह बडगुर्जर ने स्थापित किया था। उन्होंने सरिस्का टाइगर रिजर्व में प्रसिद्ध नीलकांत मंदिर समेत कई स्मारकों का निर्माण किया; कालीजर में किला और नीलकंठ महादेव मंदिर शिव उपासक हैं; अंबर किला, अलवर, मच्छारी, सवाई माधोपुर में कई अन्य महलों और किलों; और दौसा का किला। नीलकंठ बडगुर्जर जनजाति की पुरानी राजधानी है। उनके प्रसिद्ध राजाओं में से एक राजा प्रताप सिंह ने कहा बडगुर्जर था, जो पृथ्वीराज चौहान के भतीजे थे और मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में सहायता करते थे, जिनका नेतृत्व 11 9 1 में मुहम्मद ऑफ घोर ने किया था। वे मेवार और महाराणा के राणा प्रताप के पक्ष में भी लड़े थे) हम्मर अपने जनरलों के रूप में। उनमें से एक, समर राज्य के राजा नून शाह बडगुजर ने अंग्रेजों के साथ लड़ा और कई बार अपनी सेना वापस धकेल दिया लेकिन बाद में 1817 में अंग्रेजों के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किए| बडगुर्जर हेपथलाइट्स, या हंस के साथ उलझन में नहीं हैं, क्योंकि वे केवल 6 वीं शताब्दी की ओर आए थे। इस बडगुर्जर की एक शाखा, राजा बाग सिंह बरगुजर विक्रमी संवत 202 मे, जो एडी.145 से मेल खाते थे, अंतर 57 वर्ष है। इस जगह को 'बागोला' भी कहा जाता था। उन्होंने उसी वर्ष सिलेसर झील के पास एक झील भी बनाई और जब इसे लाल पानी खोला गया, जिसे कंगनून कहा जाता था।
Ye history sahi h
DeleteRight
ReplyDeleteJai rajputana 🙏🙏
ReplyDelete