--------जय जुझार वीर गोगा जी चौहान (जाहरवीर)जी की,जय गुरु गोरखनाथ जी की----------
चौहान वंश में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी को लोकमान्यताओं व लोककथाओं के अनुसार साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।लोग
उन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है।आज देश भर में उनकी बहुत अधिक मान्यता है,लगभग हर प्रदेश में उनकी माढ़ी बनी हुई है इनके भक्त सभी जातियों और धर्मो में मिलते हैं,
जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तब पश्चिमी राजस्थान में गोगा जी ने ही गजनी का रास्ता रोका था.घमासान युद्ध हुआ.गोगा ने अपने सभी पुत्रों, भतीजों, भांजों व अनेक रिश्तेदारों सहित जन्म भूमि और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दे दिया.जिस स्थान पर उनका शरीर गिरा था उसे गोगामेडी कहते हैं.यह स्थान हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है. इसके पास में ही गोरखटीला है.
इनके भक्तों की संख्या करोडो में है,सभी उन्हें मात्र सिद्ध और चमत्कारी पुरुष के रूप में जानते हैं किन्तु उनके वास्तविक इतिहास से बहुत कम लोग परिचित हैं,बागड़ राज्य का स्वामी होने के कारण इन्हें बागड़वाला भी कहा जाता है।
विद्वानों व इतिहासकारों दशरथ शर्मा,देवी सिंह मुन्डावा जैसे इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्य, धर्म, पराक्रम व उच्च जीवन आदर्शों का प्रतीक माना है। इतिहासकारों के अनुसार गोगादेव अपने बेटों सहित महमूद गजनबी के आक्रमण के समय उससे युद्ध करते हुए शहीद हो गए थे।
आज हम इनके जीवन की ऐतिहासिक घटनाओं पर प्रकाश डालेंगे.......
====गुरु गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से जुझार वीर गोगा जी चौहान जी का जन्म =====
राजस्थान के जिला चूरू के ददरेबा ठिकाने (बागड़ राज्य) मे चौहान वंश की चाहिल अथवा साम्भर शाखा में उमर सिंह जी का शाशन था जिनके दो पुत्र हुए बडे पुत्र का नाम जेवरसिंह व छोटे पुत्र का नाम घेबरसिंह था इन दोनो का विवाह सरसा पट्टन की राजकुमारी बाछल और काछल से हुआ पर बहुत दिनो तक दोनो के कोई संतान नही हुई तब दोनो राजकुमारीयो ने गोरखनाथ जी की पूजा करनी प्रारंंभ की, जब आशिर्वाद प्राप्ति का समय आया तो काछल पहले चली जाती है जिनको गोरखनाथ जी आशीर्वाद देते है जिनसे दो पुत्र अर्जुन और सुर्जन हुए फिर बाद मे बाछल गोरखनाथ जी के पास आशीर्वाद लेने जाती है फिर उनको ज्ञात हुआ के आशीर्वाद तो काछल को प्राप्त हुआ पर फिर भी वो काछल को क्षमा करके बाछल को एक दिव्यपुत्र का आशीर्वाद देते है जिससे उनको संवत १००३ मे भादो सुदी नवमी को जाहर वीर गोगा जी के रूप मे पुत्र प्राप्त हुआ !
जिस समय गोगाजी का जन्म हुआ उसी समय एक ब्राह्मण के घर नरसिंह पांडे का जन्म हुआ।ठीक उसी समय एक हरिजन के घर भज्जू कोतवाल का जन्म हुआ और एक भंगी के घर रत्ना जी भंगी का जन्म हुआ। यह सभी गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य हुए।
उसी समय उनकी बंध्या घोडी ने भी एक नीले घोड़े को जन्म दिया।ये सब गोगा जी के आजीवन के साथी हुए।गोगा जी के साथ साथ इन सबकी भी बहुत मान्यता है।
महान इतिहासकार देवीसिंह मंडावा लिखते हैं कि "चौहानो की साम्भर शाखा में एक घंघ ने चुरू से चार कोस पूर्व में घांघू बसाकर अपना राज्यस्थापित किया. उसके पांच पुत्र और एक पुत्री थी. उसने अपने बड़े पुत्र हर्ष को न बनाकर दूसरी रानी के बड़े पुत्र कन्हो को उत्तराधिकारी बनाया. हर्ष और जीण ने सीकर के दक्षिण में पहाड़ों पर तपस्या की.जीण बड़ी प्रसिद्ध हुई और देवत्व प्राप्त किया. कन्हो की तीन पीढ़ी बाद जीवराज (जेवर) राणा हुए. उनकी पत्नी बाछल से गोगादेव पैदा हुए"........
====गोगा जी का विवाह और चचेरे भाईयो का वीरगति पाना====
कोलमंड की राजकुमारी कंसलमदे सिरियल को सांप काट लिया था और वह मरणास्न हो गई थी पर गोगा जी ने मंत्र उच्चारण से उस सर्प को बुलाकर जहर चुसवाया जिससे सिरियल पुऩ: जीवित हो गई , इसी कारण इन्हें उत्तर प्रदेश में इन्हें जहरपीर या जाहरवीर तथा मुसलमान इन्हें गोगा पीर कहते हैं. सिरियल का विवाह गोगा जी के साथ हुआ!
मुस्लमान आक्रमणकारीयो से युद्ध करने के बाद जेबर सिंह ने वीरगति प्राप्त की फिर घेबर सिंह जी ने भी मुगलो के साथ युद्ध करके वीरगती प्राप्त की उसके बाद गोगा जी ददरेबा के शासक बने और ये महमूद गजनवी के समकालीन हुए और गोगा जी ने अरब से आए आक्रमणकारीयो को ग्यारह बार परास्त किया !
गोगा जी के सम्बंधी नाहरसिंह ने उनके चचेरे भाई अर्जुन सुर्जन को गोगा जी के खिलाफ भडकाया के तुम दोनो बडे हो, गोगा कैसे राजा बन सकता है इस बात से युद्ध छिड गया जिसमे गोगा जी ने दोनो का सिर काटकर माता बाछल को भेट कर दिया जिससे नाराज होकर माता ने उनको राज्य से निकाल दिया तब वो गोरखनाथ जी के आश्रम मे चले जाते है और वहां योग और सिद्धी से अपनी पत्नी के पास चले जाते थे बाद मे ये बात बाछल माता को पता चलती है वो उनको फिर पुन: ऱाज्य आसीन करती है!
===गोगा जी द्वारा गौरक्षा,राज्य विस्तार,विधर्मियों से संघर्ष और अध्यात्मिक साधना ===
गोगा जी ने अरब आक्रमणकारीयो से 11 बार युद्ध करके उनको परास्त किया और अफगानिस्तान के बादशाह द्वारा लूटी हुई हजारो गायो को बचाया.अफगानिस्तान का शाह रेगिस्तान से हजारो गायो को लूटकर ले जा रहा था उसी समय गोगा जी ने उसपर आक्रमण करके हजारो गायो को छुडा लिया,इससे डरकर अरब के लूटेरो ने गाय धन को लूटना बंद कर दिया !
महमूद गजनवी ने सन १००० से १०२६ ईस्वी तक भारत पर १७ बार चढाई कर के लूट खसोट और अत्याचार किये उस समय गोगा जी ही थे जिन्होने महमूद गजनवी को कई बार मात दी थी जिससे गोगा जी का राज्य और शक्तिशाली हो गया और उसका नाम ददरेबा सेे बदलकर गोगागढ रख दिया!राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक फ़ैल गया था.रणकपुर शिलालेख में गोगाजी को एक लोकप्रिय वीर माना है.यह शिलालेख वि.1496 (1439 ई.) का है.
गोगा जी की आत्याधमिक साधना भी साथ साथ चलती थी वो सर्पदंश का इलाज कर देते थे तथा जो सांप काटता था उसको बुलाकर उसको जहर चुसने पर बाध्य कर देते थे -!जल्दी ही उनकी ख्यांति दूर दूर तक फ़ैल गयी....
===महमूद गजनवी से संघर्ष और गोगा जी को वीरगति प्राप्त होना===
राजा हर्षवर्धन के समय में ही हिन्दुस्तान के पश्चिमी भूभाग बलूचिस्तान के कोने में एक बादल मंडरा ने लगा था। ये संकेत था हिन्दुस्तान में पर आने वाले उस मजहबी बवण्डर का जिसका इंसानियत से कोई वास्ता ही नहीं था।लूटमार दरिद्रता वेश्यावृत्ति की कुरीतियों से जकङे तुर्क कबीलो ने इस मजहब का नकाब पहनकर हिन्दुस्तान मे जो हैवानियत का खेल खेला,उसे युगों युगों तक भुलाया नहीं जा सकता । एक हाथ में इस्लाम का झंडा व दुसरे हाथ में तलवार से बेगुनाह इन्सानो के खुन की नदियाँ बहाता हिन्दुस्तान आया वो था गजनी का सुल्तान महमूद गजनवी.वो हर साल हिन्दुस्तान आता था आैर लूटमार कर गजनी भाग जाता था!
पहली बार जब महमूद हिन्दुस्तान में लूट के इरादे से आया तो उसका मुकाबला तंवर वंशी जंजुआ राजपूत राजा जयपाल शाही से हुआ। धोखाधड़ी से उसने जयपाल को हराया था.राजा जयपाल शाही ने अपनी सेना के साथ अन्तिम साँस तक मुकाबला किया और वीरगती प्राप्त की.
महमूद गजनवी ने सन 1024 ईस्वी में गुजरात में सोमनाथ के मंदिर को लूटकर रक्त की नदियाँ बहा दी और मंदिर को भी तोड़ दिया,जब यह समाचार गोगा जी को मिला तो बूढे गोगा बप्पा का शरीर क्रोध से थर्राने लगा और उनका खून खोलने लगा...
महमूद सोमनाथ पर आक्रमण कर उस अद्वितीय धरोहर को नष्ट करने में सफल रहा लेकिन उसको इतनी घबराहट थी कि वापसी के समय बहुत तेज गति से चलकर अनुमानित समय व रणयोजना से पूर्व गोगा के राज्य के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र मे प्रवेश कर गया।
गोगा जी ने महमूद की फौज से लोहा लेने का निश्चय किया।उन्होंने अपने पोते को (जिनका नाम सामंत चौहान था) जो बहुत ही चतुर था उन सभी राजाओं के पास सहायता हेतु भेजा जिनके राज्यों के रास्ते लूटमार करते हुए महमूद को सोमनाथ मन्दिर लूटने जाना था। सामंत सहायता के लिए सभी राजाओ से मिला लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी।महमूद की फौज गोगामढी से गुजर रही थी। मदद की कोई आशा नहीं देखकर गोगा बप्पा ने अपने चौहान भाईयो के साथ केसरिया बाना पहनकर 900 सिपाहियों के साथ महमूद की फौज का पीछा किया और रास्ता रोका .भयंकर युद्ध हुआ महमूद के लाखों सिपाहियों से लोहा लेते हुए और उनका संहार करते हुए अपनी छोटी सी सेना के साथ गोगा बप्पा भी वीरगती को प्राप्त हो गये।
तब सामंत ने कहा कि वो सोमनाथ मन्दिर का दूसरा एक और रास्ता जानता है जो कम समय मे ही सोमनाथ मन्दिर पहुंचा जा सकता है.महमूद के पास कोई चारा न था। उसने पैदल फौज को सामंत के साथ जाने का हुक्म दिया.फिर क्या था सामंत चौहान अपनी योजना अनुसार फौज को गुमराह करते हुए जैसलमेर के रेतीले टीलों में ले गया जहां कोसो की दूरी तय करने पर पानी नसीब न हो सके.. अवसर मिला और सावंत चौहान ने अपनी शमशेर खींच ली और हर हर महादेव का नारा बुलंद करते हुए शत्रुओ पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा।।
तभी आँधी ने भी विकराल रूप धारण कर लिया रेतीले टीलों में पहले पीले साँप पाये जाते थे जिन्होंने शत्रुओ का डस डस कर वध कर दिया। जो बचे वे रेतीले तूफान भीषण गर्मी में जलकर स्वाहा हो गये.इस प्रकार सावंत चौहान महमूद की आधी फौज के साथ लङता हुआ रेगिस्तान में धरती माता की गोद में समा गया।।
====गोगा जी के वंशज और उनके बारे में मिथ्या प्रचार का खंडन=====
ये प्रचार बिल्कुल गलत है कि गोगा जी कलमा पढकर मुसलमान बन गए थे बल्की वो तो गायो को बचाते हुए और तुर्क मुस्लिम हमलावरों से जूझते हुए खुद वीरगति को प्राप्त हो गए थे !
गोगाजी के कोई पुत्र जीवित न होने से उसके भाई बैरसी या उसके पुत्र उदयराज ददरेवा के राणा बने.. गोगाजी के बाद बैरसी , उदयराज ,जसकरण , केसोराई, विजयराज, मदनसी, पृथ्वीराज, लालचंद, अजयचंद, गोपाल, जैतसी, ददरेवा की गद्दी पर बैठे. जैतसी का शिलालेख प्राप्त हुआ है जो वि.स. 1270 (1213 ई.) का है. इसे वस्तुत: 1273 वि.स. का होना बताया है.
जैतसी के बाद पुनपाल, रूप, रावन, तिहुंपाल, मोटेराव, यह वंशक्रम कायम खान रासोकार ने माना है. जैतसी के शिलालेख से एक निश्चित तिथि ज्ञात होती है. जैतसी गोपाल का पुत्र था जिसने ददरेवा में एक कुआ बनाया. गोगाजी महमूद गजनवी से 1024 में लड़ते हुए मारे गए थे. गोगाजी से जैतसी तक का समय 9 राणाओं का प्राय: 192 वर्ष आता है जो औसत 20 वर्ष से कुछ अधिक है. जैतसी के आगे के राणाओं का इसी औसत से मोटेराव चौहान का समय प्राय: 1315 ई. होता है जो फिरोज तुग़लक के काल के नजदीक है. इससे स्पस्ट होता है कि मोटा राव का पुत्र कर्म सी उर्फ़ कायम खां फीरोज तुग़लक (1309-1388) के समय में मुसलमान बना ......
सत्य ये है कि उनके तेहरवे वंशधर कर्मसी(कर्मचन्द) जो उस समय बालक थे को जंगल मे से दिल्ली के फिरोजशाह तुगलक(१३५१-१३८८) उठाकर ले गया था ! फिरोजशाह ने उसे जबरदस्ती मुसलमान बनाकर अपनी पुत्री उससे ब्याह दी और उसका नाम कायंम खान रख दिया और बाद मे ये ही कायंम खान बहलोल लोदी के शासनकाल मे हिसार का नवाब बना था इसी कायम खां के वंशज कायम खानी चौहान (मुसलमान) कहलाए और ये अभी भी गौगा जी की पूजा करते है!
कायम खां यद्यपि धर्म परिवर्तन कर मुसलमन हो गया था पर उसके हिन्दू संस्कार प्रबल थे. उसका संपर्क भी अपने जन्म स्थान के आसपास की शासक जातियों से बना रहा था.
श्री ईश्वर सिंह मंडाढ कृत राजपूत वंशावली के अनुसार गोगा जी के वंशज मोटा राव के एक पुत्र जगमाल हिन्दू रह गए थे.जिनके वंशज शिवदयाल सिंह और पहाड़ सिंह जीवित हैं.
===चौहान वंश की चाहिल शाखा का संक्षिप्त विवरण===
चौहान वंश मे अरिमुनि, मुनि, मानिक व जैंपाल चार भाई हुए ! अरिमुनि के वंशज राठ के चौहान हुए ! मानक (माणिक्य) के वंशज शाकम्भरी (सांभर) रहे ! मुनि के वंशजो मे कान्ह हुआ ! कान्ह के पुत्र अजरा के वंशज चाहिल से चाहिलो की उतपत्ति हुई! (क्यामखां रासा छन्द सं. १०८) रिणी (वर्तमान तारानगर) के आसपास के क्षेत्रो मे १२ वी १३ वी शताब्दी मे चाहिल शासन करते थे और यह क्षेत्र चाहिलवाडा कहलाता था ! आजकल प्राय: चाहिल मुसलमान है! गूगामेढी (गंगानगर) के पूजारे चाहिल मुसलमान है!
कायमखानी जहाँ गोगा जी के वंश को चाहिल शाखा से बताते हैं वहीँ देवी सिंह मुंडावा जी के अनुसार ददेरवा के चौहान साम्भर शाखा से मानते थे....
====गोगा जी की मान्यता====
गोगा जी चौहान को उत्तर भारत मे लोक देवता के रूप मे पूजा जाता है,गोगामेढी पर हर साल भाद्र पद कृष्ण नवमी को मेला लगता है जहां दूर दूर से हिन्दू और मुसलमान पूजा करने आते है!आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है. गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकडी पर सर्प मूर्ती उत्कीर्ण की जाती है. लोक धारणा है कि सर्प दंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेडी तक लाया जाये तो वह व्यक्ति सर्प विष से मुक्त हो जाता है.
भिवानी में कलिंगा स्थित गोगा जी की महाडी
गोगामेडी में गोगाजी का मंदिर एक ऊंचे टीले पर मस्जिदनुमा बना हुआ है, इसकी मीनारें मुस्लिम स्थापत्य कला का बोध कराती हैं। कहा जाता है कि फिरोजशाह तुगलक सिंध प्रदेश को विजयी करने जाते समय गोगामेडी में ठहरा था। रात के समय बादशाह तुगलक व उसकी सेना ने एक चमत्कारी दृश्य देखा कि मशालें लिए घोड़ों पर सेना आ रही है।तुगलक की सेना में हाहाकार मच गया। तुगलक की सेना के साथ आए धार्मिक विद्वानों ने बताया कि यहां कोई महान सिद्ध है जो प्रकट होना चाहता है। फिरोज तुगलक ने लड़ाई के बाद आते समय गोगामेडी में मस्जिदनुमा मंदिर का निर्माण करवाया।
हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश राजस्थान में हजारो गाँव में गोगा जी की माडी बनी हुई हैं और उनकी हर जगह हर धर्म और जाति के लोगो द्वारा पूजा की जाती है,उनकी ध्वजा नेजा कहलाती है,गोगा जाहरवीर जी की छड़ी का बहुत महत्त्व होता है और जो साधक छड़ी की साधना नहीं करता उसकी साधना अधूरी ही मानी जाती है क्योंकि मान्यता के अनुसार जाहरवीर जी के वीर छड़ी में निवास करते है।
गौरक्षक,धर्मरक्षक,सिद्ध पुरुष गोगा जी को कोटि कोटि नमन----------
जय जुझार वीर गोगा जी चौहान (जाहरवीर)जी की,जय गुरु गोरखनाथ जी की
सन्दर्भ-------
1-मुह्नौत नैनसी की ख्यांत पृष्ठ संख्या 194-195
2-ठाकुर त्रिलोक सिंह धाकरे कृत राजपूतों की वंशावली एवं इतिहास महागाथा पृष्ठ संख्या 630-631
3-Early chauhan dynasty by Dashrath sharma page no-365-366
4-ईश्वर सिंह मंडाढ कृत राजपूत वंशावली पृष्ठ संख्या 198-199
5-देवी सिंह मुन्डावा कृत सम्राट पृथ्वीराज चौहान पृष्ठ संख्या 134
6-रघुनाथ सिंह कालीपहाड़ी कृत क्षत्रिय राजवंश पृष्ठ संख्या 203
7-कायमखान रासो पृष्ठ संख्या 10
8-श्री सार्वजनिक पुस्तकालय तारानगर' की स्मारिका 2013-14: 'अर्चना' में प्रकाशित मातुसिंह राठोड़ के लेख 'चमत्कारिक पर्यटन स्थल ददरेवा' (पृ. 21-25)
9-कर्नल जेम्स टॉड
10- गोविंद अग्रवाल: चूरू मण्डल का शोधपूर्ण इतिहास, पृ. 51
11-गोरी शंकर हीराचंद ओझा: बीकानेर राज्य का इरिहास भाग प्रथम, पृ. 64
12- A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/C, p.210
First time I read an athontic artical on goga ji ....thank you
ReplyDeleteJai goga ji chauhan
DeleteJai Jaharveer
DeleteYah kaha se parh kar aaya he gugga ji ne khud apni marji se samadhi le thi or unko echha maritu ka vardan tha
Delete👍👍👍
Deleteजय गोगावीर बाबा कि
ReplyDeleteजय जाहर वीर गोगा जी महाराज
ReplyDeleteभटनेर दुर्ग गाथा
ReplyDelete(भाग-छः)
_____________________________
मैं भटनेर केवल एक दुर्ग ही नहीं हूँ
घग्घर के मुहाने पर खड़ा
निश्छल प्रेम-सा अपनी प्रियतमा के लिए;
मुझमें बसता है आमजन का प्यार।
न जाने कितनी ही शताब्दियों से
जी रहे हैं लोग मुझे अपना समझकर
जिन्होंने केवल मेरे ही खातिर
लुटा दिया अपना घर-बार
करने मेरी रक्षा और मेरे द्वारा
दुश्मन को याद दिलाने छटी का दूध।
आये थे बहुत सूरमा दूर देश से
यदा-कदा, सर्वदा अपनी मर्दानगी दिखाने;
मुझसे लड़कर मेरा ही वरण करने
और रह गए गुलाम-से बनकर;
मेरे अद्भुत सुरक्षा कौशल को देखकर
और दबा ली उन पठान सरदारों ने
कसकर अपने दांतों तले उँगलियाँ
और हो गए हतप्रद; ठगे से।
आखिर किस-किस से लड़ें
और किसको विजित करें यहां?
जहां पग-पर बसते है योद्धा,
संत, सूरमा और दरवेश अपने सादे वेष में,
इस यौधेय देश मे; पहनकर केसरिया बाना
और रमा कर भभूत अपने कंटक शरीर पर
जहरीले पीवणे, गोयरे और बिच्छुओं के संग
रहते हैं वो हर पल चौकस अपने दुश्मनों से
खनकती तलवारों के साथ मैदान-ए-जंग में।
जन्म ले ही लिया था पीरों के पीर गोगाजी वीर ने
ददरेवा की धरती पर महमूद गजनबी के काल में,
मुझ भटनेर को छुड़ाने उसके चंगुल से
और भांप कर उसके मंसूबों को हर हाल में।
और नतमस्तक हो गए ख्वाजा के कारिंदे
आये थे जो उसके साथ जंग के मैदान में।
रहे गए वो हमेशा के लिए मेरे ही आँगन में
बसाकर अपनी संस्कृति अपने ही अंदाज में।
-एम. ए. राठौड़
मेल: ma.rathore786@gmail. com
सर्वाधिकार सुरक्षित।
10/11/2017
बहुत अच्छी जानकारी, और जाहरवीर बाबा का इतिहास बताने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteमैंने केवल यही सुना है कि उन्होंने जीवित समाधि ली थी अगर यह सत्य है तो जाहर बाबा वीरगति को प्राप्त नहीं हो सकते अपितु मुझे यह लगता है की इतिहास को तोड़ कर हमारी संस्कृति को बदनाम करके यह कथा बनाइ गई है
ReplyDeleteBilkul sahi kaha apne maine bhi yahi suna hai ki jiwit samadhi li thi unhone
DeleteBilkul rana ji k koi olaad nahi thiii or vo 24 ki age me jivit samadhi le gye thee or prithviraj chouhan unhese pehle nahi baad me hua hai ... Uske nana anangpal k sath milke to urjan surjan ne yudh kiya thaa or raha bhaag gya thaa vo dono maare gyee thee
DeleteYe sahi h samadhi hi lithi gogajine musalmano or unake adhin itihas karo ne socha ki sachhai pata nahi chlna chahiye is liye ye jhuthi kahani banai h or socho mandir lutkar ata gajni to jesalmer wapis nahi jata kyoki wo kai bar achukatha to kya ushko rasta nahi malum tha ye itihas ke sath khilwar kiya gaya h hinduwo ki astha mitane ke liye baki kuchh nahi
DeleteSahi kaha jese ki batya gya hai ke unka ek vansh muslim main bhi hai or bahi puja karte hai to ho salta hai unho ne hi je parchar kiya ho or rajsthan se bahar ke log jada jante nhi hai inke bare main is liye ise sach man liya sab ne
DeleteSame to you bro ❣️,,, jaharveer ko marna eske baaki batt nhi,,,kiyoki jisne devtao ko jra diya use harana eske baski bat nhi ,,,,jai BABA JAHARVEER 💪💪💪💪
DeleteGoga ji killed mohd gazni this is the truth he never died he is god Vishnu himself he took samadhi on his guru s aadesh he is cheeranjivi he protected Hinduism he killed mohd gazni with his bare hands he ripped him apart as lord narsingh killed hirnayakashap
ReplyDeleteBhai aapse baat ho Sakti h baba Goga ji ke upr..woh mere b veer h
DeleteBest
DeleteNc
ReplyDeleteNc
ReplyDeleteJai jahar veer goga ji mahraj raja mandlik ki jai ho
ReplyDeleteFake news
ReplyDeleteबाबा जाहरवीर पद्म्नाग अवतारी थे पद्म्नाग के पिता शेषनाग है और शेषनाग भगवान विष्णु जी की शयन शैय्या है और गुरु गोरक्षनाथ महादेव जी के अवतारी है अब आप जाने कहाँ से मनगडण्त कहानी चिपका कर लोगों को गुमराह कर रहे हो ऐसी बकवास की बाबा युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए ना करे ।
ReplyDeleteजय गोगा जाहरवीर जी महाराज
Deleteहां भाई इसी अफवाह मत फैलाओ
की गोगा जाहरवीर जी वीरगति को प्राप्त हो गए आगे की पीढ़ी तो गूगल पर ही निर्भर रहेगी उनको इतना juth मत बोलो
वो एक वीर पुरुष थे, कोई देवता नही,
ReplyDeleteमुझे लगता है यह कहानी देश मे अंधविश्वास फैलाने के लिए रची गयी है।
Nam to dekh apna sunil kumar meena sala pagal... Wo peer hai aisi ptki dega na jnani joga b ni rhega
DeleteTM log bhagwan Krishna Ko b Insaan Bolte ho n phir Allah Allah krte rehte ho...hindu ke Naam pr dhabba ho
Deleteबाबा नारसिहं जी की माता का कया नाम था
ReplyDeleteNaari brahmani
Deleteदासी ब्रह्मनि मूंगादे था
Deleteआप एक बात बताओ की माता बाछल की माता का नाम क्या था यानी गोगा जी के नाना और नानी के नाम क्या था !
नर्सिंग पांडेय - मूंगादे था
रतन सिंह की मा - रतनकोर था
अधिक जानकारी के लिये 7247826528 ऑनली व्हाट्सप्प
कलम गॉग चौहान शाखा की जानकारी हो तो बताओ
Deleteजय जाहर वीर गोगा जी महाराज
ReplyDeleteJai gogapeer ki
ReplyDeleteGuru gorkhnath ki
om guru g
ReplyDeleteI like it
ReplyDeleteJai Jahar beer ji
ReplyDeleteGoga ji Kon c cast se belong krte the...As..Rajput Gujjar jaat etc.
ReplyDeleteRajput chauhaa
Deletehistory ka patha bhi hai app ko
ReplyDeletegalat history bata reho ho
relly story btao
Bhut achi jankari di thanks
ReplyDeleteJay ho goga ji ki
Bhut achi jankari di thanks
ReplyDeleteJay ho goga ji ki
जय बाबा जाहरवीर गोगा जी की
ReplyDeleteJai jaharveer googa ji
ReplyDeleteJai Rajput
ReplyDeleteHlooo goga ji darti mata me smaye the murakh naki veergati ko prapt hue the unke sman koi yodha hai hi nhi tha
ReplyDeleteगोगा जी के विषय में जानना चाहते हो तो मुझसे सम्पर्क करो क्योंकि ये मेरे कुलदेवता हैं और मेरे गुरु काफी बड़ा सन्कलन प्रायः १८वि और १९वि शताब्दी के शुरुआत में लिखा गया है।समाज में क्रपया अताश्योक्ति न फैलाए।9039123435(वाट्सअप)🙏🙏 पुस्तक भी प्रकाशित की है इस विषय पर मैनें 🙏🙏
ReplyDeleteBhai sahab ye book mujhe chahiye or koi b fact ha to bataaye goga ji k baare m
DeleteBhai Saab y pustak chaiye mujhe
DeleteJai ho chatra dhari raja Jahar veer yoga chuhaan needle ghode me sawar,mata bhachal me lap,guru gorakh bath me chele mere raja jahar veer yoga chuhaan raja mandlik ko shat shat naman. Hey Raja Jahar veer Yoga Chuhaan hum Teri praja hain .hey raja apni praja ka khyal rakhna apni praja pe apni kripa sadev banaye rakhna Hindu dharam ki raksha karna gau mata ki raksha karna apne bhakton ki laaj laaj rakhna jai raja Teri Sara hi jai aur jab take suraj chand rahega goga rana aapka naam rahega jai Jahar veer goga chuhaan raja mandlik ki sada hi jai
ReplyDeleteJai Jaharveer Goga chuhaan raja mandlik ki jai Chatra dhari Raja ki jai Neele Ghode ke swaar Goga Chuhaan ki Jai Mata Bhachal ke laal ki jai raja jevar ke param partapi tejasvi putra ki jai Guru gorakh nath ke param partapi chele ki jai bhagwaan Vishnu ke avtaari ki jai Hindu dharam ke rakshak ki jai gau mata ke rakshak ki jai Rajputon ki aan baan shaan Goga Chuhaan ki jai jinka tej surya ke samaan samuche sansar ko prakashit karta hai jai jinki veergathain yug yugantar tak Sunai jainge un mahaan raja jahar veer Goga Chuhaan raja mandlik ko shat shat naman sahastro baar naman
ReplyDeleteJai Shri Jahar veer Goga Ji maharaja raja mandlik aapko mera shat shat naman hey mere pyare raja aap hamesha mujh par apni kripa banaye rakhna hey raja mujhe kabhi bhulna mat
DeleteJai Shri Goga Chuhaan
DeleteJai Shri Jahar veer Goga Chuhan Raja Mandlik hey mere pyare raja aapki sadaa hi jai
DeleteJai Jaharveer Goga Chuhaan Raja Mandlik ki jai
ReplyDeleteGoga ji Maharaj ki jai
ReplyDeleteJai goga ji Maharaj ki
🙏🙏🙏🙏
Jai Jahar Veer Goga Ji Chuhaan Raja mandlik ki sada hi jai Raja madad karo meri
ReplyDeleteVery nice temple
ReplyDeleteActually, I don't know anything about him, so no comment please. No one should give wrong or false statement.
ReplyDeleteजाहवीर जी को सांपों का देवता क्यों कहते हैं
ReplyDeleteगोगा जी ने समाधी ली थी वो मरे नही थे
ReplyDeleteअपने प्यारे जाहरवीर बाबा अपने भगवान है और भगवान कभी मरते नही बस अपने लोक चले जाते है इसीलिये जाहरवीर बाबा ने समाधि ली जिससे वो हम सबका ध्यान रख सके और हर वक़्त हमारे साथ रह सके।।।।।
ReplyDeleteमेरी जिंदगी मेरे जाहरवीर बाबा🙏🙏😘😘
Mere peer baba jahar veer ji ki seda hi jai ho meri achi sarkar mere peer baba ji
DeleteJai Rajamandlik g jai goga ji maharaja ji ko mera namaskar............
ReplyDeleteSahi kaha bhaiyo jhaharbaba jeevit hi samaye the aur hamare liye aaj bhi jeevit h aur rahege.jai baba gorakshanath jai baba jaharveer ki.
ReplyDeleteJai shree Goga Ji ki
ReplyDeleteAapne Goga Ji k pote ka. Name bata diya Lekin unke bete ka name Kya ta
Goga ji ka dehant nahi huaa ta Goga Ji apani mata ji k dar se dharti mata ki god me samaye te
Ye sab Guru Gorakhnath Ji ki maya ti
Or
Goga Ji Mandir ka nirman kisne karwaya ta
Kirpa kar k bataye ji
Jai shree Goga Ji Maharaj ji ki
Bhai ji is main goga ji ke wajir narsingh pande keha hai ,, aapne aap se kehane bena kar likh de gajni ko beda bena deya ,, pagal murkh
ReplyDeleteJai Goga Chauhan Ji
ReplyDeleteJai Jahar Veer Ji
अद्भूत गूगल महादान ये गुरू गोरख की माया है ।
ReplyDeleteजती संत वरदानी ऐसा जग में बिरला आया है ॥
विकट वचन सुन बाछल के युँ अपना मुह छिपाया है ।
"प्रेम" मन्त्र साबर बल साधन गोगा धरा समाया है ॥
गोगाजी के दास,
कवी प्रेम भारती, पूना
जय गोगाजी महाराज 🙏🚩🚩🚩🌹🌹🌹
ReplyDeleteजय जहारवीर गोगा जी
ReplyDeleteJahar veer Maharaj bhagwan h, stop this type of fake knowledge
ReplyDeleteJai Jaharveer Goga chuhaan raja mandlik ki jai Chatra dhari Raja ki jai Neele Ghode ke swaar Goga Chuhaan ki Jai Mata Bhachal ke laal ki jai raja jevar ke param partapi tejasvi putra ki jai Guru gorakh nath ke param partapi chele ki jai bhagwaan Vishnu ke avtaari ki jai Hindu dharam ke rakshak ki jai gau mata ke rakshak ki jai Rajputon ki aan baan shaan Goga Chuhaan ki jai jinka tej surya ke samaan samuche sansar ko prakashit karta hai jai jinki veergathain yug yugantar tak Sunai jainge un mahaan raja jahar veer Goga Chuhaan raja mandlik ko shat shat naman sahastro baar naman
ReplyDeleteJai Shri Jaharveer Goga ji Maharaj Raja Mandlik ki jai ho.Jai ho mere Chatra Dari Raja aapki sada hi jai apne iss sewak par apni kripa sadev banaye rakhna Jai Raje di.
ReplyDeleteJai gogaji Chauhan ki
ReplyDeleteJai Shri Jaharveer Goga Ji Maharaja Raja Mandlik. O mere Pyare Raja apne is nadaan Bhakt ko kabhi mat bhoolna mujh par hamesha apni kripa banaye rakhna. Jai Goga Jaharveer Raja Mandlik aapki sadaa hi jai
ReplyDeleterajputanasoch- kshatriyaitihas is a best hindi blog to increase your dharmik Knowledge. and know more about - religious stories,History, sociel problem, releted. and this blog is about Jaharveer baba ki katha.
ReplyDeleteJai shri jahar vir ji
ReplyDeleteSir
Ek baat smj nhi aayai
Es Mai apne btaya ke baba ji ka jaanm 1003 mai hua. or SMRATH prithvi raaj ji jaanm to 1166 mai hua!
To shri jahar veer ji SMRATH
Prithvi raaj chauhan ji ke baad kaise hue,
Yeah baat smj ni aayi sir
Sir please reply jroor krna
मैं आपका लेख अपनी एक फेसबुक पोस्ट में काम में ले रहा हूं आपको धन्यवाद भी करता हूं कि आपने बहुत अच्छा लिखा है ऐसे ही प्रयासों की जरूरत है जो अंधविश्वास से हमें वास्तविक इतिहास हमारे सौर्य और हमें हमारी जड़ों की ओर ले जाए ताकि हमारी पीढ़ी हमारे पूर्वजों का साहस फिर से सहन कर सके और हम इस आर्यभूमि को फिर से भगवा कर सकें
ReplyDeleteजय श्री जाहर वीर गोगा जी श्री जाहर वीर बाबा जी धरती में समाये थे न की वीरगति को प्राप्त हुए बाबा जाहर वीर एक ऐसे इकलौते अमर देव हैं जिन्हें बहुत बड़ी संख्या में लोग पूजते हैं और यह देव किसी की भी कोई भी मनोकामना पूरण करने में देर नहीं लगाते तो आपसे विनम्र निवेदन है की बाबा जी के बारे में गलत बातें लोगों को न बताएं
ReplyDeleteJay rajputana
ReplyDeleteraja mandlik kaali veer ki sath ki puri kahani kisko pta hai..
ReplyDeleteJai Shree Jahar Veer Goga Ji Maharaj Ji ki....🚩🚩🚩🚩
ReplyDeleteJai Guru Gorakh Naath
ReplyDeleteJai Shree Jahar Veer Goga Ji Maharaaj Raja Mandlik ki jai ho
Jai Kul Devta Maha Raja Ghogha Ji MAHARAJ Ki.
ReplyDeleteJai goga jahar veer. I love you
ReplyDeleteJahar Veer Maharaj ne samadhi hi li thi...........Its true........ Don't be confused
ReplyDeleteDelete your stupid post immediately or correct it, In future gain adequate amount of information before posting any wrong information.I am unable to understand your agenda behind posting such wrong and
ReplyDeletefalse stuff. Nahar Singh Pandey Ji is trustworthy of Baba Maharaj.
Here 's the correct story.
Arjan Sarjan were cursed people by Guru Gorakhnathnath Ji .Guruji is avatar of Shiv ji. Bachhal Maa only did tapasya of Guru ji , Kacchal ji took her boon deceitfully and gave birth to cunning and unfaithful sons. They convinced Ghaznavi to come and fight with Baba . Later when he saw himself losing he ran away , Baba cut the heads of Arjan Sarjan and when Mata Bachhal, who is Baba's Mata came to know about it she in anger said that don't show me face ever again you have killed my sister's sons . Baba in intention to prove every word of her mother left Mahal and decided to never go back. Baba's wife Rani Ma Shreeyal sent her maid to Baba and requested him to come and fulfill his duties towards her and meet her daily in night.Bachhal maa forced Shreeyal maa to invie him in front of her.When he came to Mahal to meet his wife, he saw maa Bachhal standing in front of him .He left the premises of the Mahal immediately , maa Bachhal also ran behind him and kept requesting to forgive her and come back . Baba being a true kshatriya never broke his maata's words and when he saw his mother is coming behind and not stopping he took samadhi.
The spot of Samadhi of Baba is worshipped as Goga Medi Mandir.Baba Maharaj is undefeatable. Jai Baba ke darbar ki.🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Nice information about gram devta nd my istdev
ReplyDeleteSat sat naman 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai shree gogaji baba 🙏🏻🙌
ReplyDeleteMe Gogaji ka vansaj hu Mera naam kartik Chouhan hai
ReplyDeleteKya me rajput hu?